कोविड से उबरने के बाद बच्चों में कई तरह की परेशानियां देखी गई हैं. ऐसा ही एक दुर्लभ मामला दो साल के बच्चे में सामने आया है जिसमें कोविड से ठीक होने के बाद बच्चे का फेफड़ा खराब होने लगा और उसके कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया. बच्चों में इस तरह का संक्रमण बेहद दुर्लभ होता है. केवल 1 प्रतिशत बच्चे ही इस तरह के गंभीर संक्रमण का शिकार होते हैं.
जब दो साल के राहुल (बदला हुआ नाम) को तेज बुखार और सांस लेने में तकलीफ हुई, तो उसे आकाश हेल्थकेयर, द्वारका, नई दिल्ली ले जाया गया. उसके माता-पिता को स्थिति की गंभीरता का अंदाजा नहीं था. अस्पताल पहुंचने के कुछ मिनट बाद ही बच्चे को दिल का दौरा पड़ा. सीपीआर के 30 मिनट बाद ही दो साल के बच्चे को बचाया जा सका.
बच्चे के सभी अंगों ने ठीक से काम करना बंद कर दिया था
बच्चे में ब्रोंकियोलाइटिस (वायरल निमोनिया) की एक गंभीर बीमारी का पता चला जिसके कारण उसे न्यूमोपेरिकार्डियम हो गया था. न्यूमोपेरिकार्डियम एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें क्षतिग्रस्त फेफड़ों के कारण हृदय के आसपास की थैली प्रभावित होती है. राहुल के केस में, संक्रमण के कारण उसके फेफड़े फट गए थे, जिसके कारण हृदय के चारों ओर हवा के कारण ब्लड प्रेशर में गिरावट आई और उसका हृदय खराब हो गया.
अस्पताल आते ही पड़ा दिल का दौरा
राहुल एक नॉर्मल बच्चा था जिसे स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर समस्या नहीं थी. कोविड से ठीक होने के बाद, उसे पिछले साल दिसंबर में खांसी हुई और इसके बाद उसे तेज बुखार आना शुरू हुआ. बाद में उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी. उसके माता-पिता उसे स्थानीय अस्पताल ले गए, लेकिन उसकी हालत बिगड़ती चली गई. राहुल का दम घुटने लगा जिसके बाद अफरा-तफरी में उसके माता-पिता आकाश हेल्थकेयर, द्वारका में उसे ले आए. यहां आते ही बच्चे को दिल का दौरा पड़ा.
आकाश हेल्थकेयर, द्वारका के वरिष्ठ सलाहकार और प्रमुख बाल रोग और नवजात विशेषज्ञ डॉ. सैयद मुस्तफा हसन ने बताया, 'अस्पताल पहुंचने के कुछ ही मिनटों के भीतर, बच्चे को दिल का दौरा पड़ा. एक डॉक्टर के रूप में ये मेरे लिए विशेष रूप से परेशान करने वाला था क्योंकि बच्चा सिर्फ दो साल का है. आगे जब हमने जांच की तो पता चला कि बच्चे में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (MIS-C) विकसित हो गया है. ये एक दुर्लभ विकार है जिसमें बच्चे का अपना शरीर ही कई अंगों पर हमला कर रहा था.'
डॉक्टर ने आगे बताया, 'MIS-C के कारण फेफड़े, हृदय, मस्तिष्क और गुर्दे को काफी नुकसान पहुंचा था. बच्चा पेशाब भी नहीं कर पा रहा था, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई थी. पोस्ट कोविड इफेक्ट्स के कारण बच्चे को बोलने में कठिनाई आ रही थी और वो ठीक से देख भी नहीं पा रहा था.'
'हमने उसे सीपीआर से रिकवर करने के बाद तुरंत कंटीन्यूअस रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी (CRRT) शुरू की जिससे उसके शरीर से सभी अपशिष्ट पदार्थ निकल गए. ट्रीटमेंट 60 घंटे तक बिना रुके चलता रहा. संक्रमण को खत्म करने के लिए हमने साइटोसॉरब डायलिसिस फिल्टर का इस्तेमाल किया. हमने बच्चे के रक्तचाप को सामान्य बनाने के लिए भी काम किया.'
करीब 16 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहा बच्चा
राहुल को आईसीयू वार्ड में वेंटिलेटर पर 15-16 दिनों तक रखा गया. इस दौरान, विशेषज्ञों की एक टीम उसके गुर्दे, हृदय और फेफड़ों को सामान्य रूप से काम करने के लिए लगातार प्रयास में लगी रही. संक्रमण को दूर करने के लिए CRRT के साथ बच्चे को हेमोडायलिसिस और पेरिनोटियल डायलिसिस भी दिया गया. धीरे-धीरे उसके सेहत में सुधार हुआ जिसके बाद अस्पताल से उसे छुट्टी दे दी गई.
आकाश हेल्थकेयर, द्वारका में बाल रोग नेफ्रोलॉजी की सलाहकार डॉ नेहा भंडारी ने कहा, 'जब राहुल को हमारे पास लाया गया तो उसका दिल, फेफड़े और गुर्दे काम नहीं कर रहे थे. नन्हे से बच्चे के जीवन को बचाने के लिए अस्पताल के कई बाल चिकित्सा विशेषज्ञों की एक पूरी टीम लगी थी. हमने विभिन्न अंगों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए कई तरह की तकनीकों का इस्तेमाल किया.'
'यह एक बहुत ही दुर्लभ मामला है और 1% से भी कम बच्चे इस तरह के गंभीर संक्रमण से पीड़ित हैं. इस संक्रमण के कारण बच्चे के कई अंग काम करना बंद कर देते हैं. राहुल को अब सभी संक्रमणों से छुटकारा मिल गया है और वो अपना सामान्य जीवन फिर से शुरू कर सकता है.'
बच्चे में दिल का दौरा पड़ना दुर्लभ मामला
अस्पताल में बाल रोग और नवजात विशेषज्ञ सलाहकार डॉ. समीर पुनिया ने कहा कि बच्चों में अचानक दिल का दौरा पड़ना दुर्लभ है. उन्होंने कहा, 'बच्चों में अचानक कार्डियक अरेस्ट दुर्लभ है, लेकिन ऐसा हो सकता है. इसलिए, सभी बच्चों को अपने डॉक्टर से नियमित जांच की आवश्यकता होती है. डॉक्टर बच्चे का संपूर्ण शारीरिक जांच करते हैं. इस दौरान अगर बच्चे में किसी तरह की कोई स्वास्थ्य समस्या तो उसे तुरंत ठीक करने का एक मौका होता है.'
डॉक्टर ने कहा कि भारत के बड़े अस्पतालों में कई ऐसे मामले देखे गए हैं जब कोविड से ठीक होने के बाद बच्चों में कई ऐसे लक्षण देखने को मिले जो उनके लिए घातक साबित हो सकते हैं. उनकी सलाह है कि कोविड से ठीक होने के बाद माता-पिता अपने बच्चे के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान रखें और किसी भी तरह का लक्षण दिखे तो डॉक्टर से संपर्क करें.
राहुल के बचने की उम्मीद छोड़ चुकी थी उनकी मां
राहुल की मां ममता का कहना है कि जब राहुल को दिल का दौरा पड़ा तो उसके जीने की सारी उम्मीदें वो छोड़ चुकी थी.
उन्होंने कहा, 'मैंने तो उसके जिंदा रहने की सारी उम्मीदें ही छोड़ दी जब उसे दिल का दौरा पड़ा. इतनी खतरनाक बीमारी से मेरा बच्चा कैसे बच सकता था. आकाश हेल्थकेयर के प्रयासों से ही हमारा बच्चा जीवित है. मैं उनकी पूरी टीम की सराहना करती हूं और सभी माता-पिता से आग्रह करती हूं कि वे किसी भी कीमत पर अपने बच्चे के स्वास्थ्य को अनदेखा न करें.'