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Depression Vs Sadness: उदासी और अवसाद में फर्क करना जरूरी! जानें डिप्रेशन के लक्षण

कई बार लोग अपनी उदासी को डिप्रेशन समझ लेते हैं. हालांकि, डिप्रेशन और उदासी एक दूसरे से अलग हैं. आइए जानते हैं डिप्रेशन और उदासी में क्या है फर्क और क्या हैं डिप्रेशन के लक्षण.

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Depression Vs Sadness (Representational Image)
Depression Vs Sadness (Representational Image)

आज के वक्त में अवसाद या डिप्रेशन ऐसे शब्द हो गए हैं जिनसे शायद ही कोई व्यक्ति अंजान हो. इस शब्द को लोगों ने सुना तो जरूर है, लेकिन बहुत कम लोग हैं जो सही मायनों में इसका मतलब जानते और समझते हैं. कई लोग अक्सर उदासी को डिप्रेशन से कंफ्यूज करते हैं. उदास व्यक्ति को ये लगने लगता है कि वो डिप्रेशन में है. हालांकि, ऐसा होता नहीं है. उदासी और डिप्रेशन  दोनों बहुत अलग हैं. आज हम आपको उदासी और डिप्रेशन में फर्क बता रहे हैं. साथ ही, हम आपको ये भी बताएंगे कि डिप्रेशन क्यों खतरनाक है और आप कैसे इसकी पहचान कर सकते हैं. 

क्या है उदासी?
उदासी एक आम मानवीय भवाना है. हर व्यक्ति जीवन में कभी न कभी इस भावना को महसूस जरूर करता है. हालांकि, उदासी ऐसी होती है जो व्यक्ति के अंदर ज्यादा समय तक नहीं होती है. किसी अप्रिय घटना के बाद व्यक्ति अक्सर उदास महसूस करता है. किसी अपने की डेथ, किसी इंटरव्यू को क्लियर ना कर पाना, मन की बात पूरी ना होना जैसी घटनाओं से व्यक्ति उदास महसूस कर सकता है, लेकिन उदासी की भावना समय के साथ धीरे-धीरे गायब हो जाती है. उदासी व्यक्ति के रोजाना जीवन को प्रभावित नहीं करती है. हालांकि, डिप्रेशन उदासी से बहुत अलग और खतरनाक है. 

क्या है डिप्रेशन?
डिप्रेशन एक मेंटल डिसऑर्डर है जिसका समय रहते इलाज होना बेहद जरूरी है. जब कोई व्यक्ति डिप्रेशन में होता है वो लगातार उदास रहने लगता है. हालांकि, ऐसा नहीं है कि डिप्रेशन में व्यक्ति दूसरों के सामने भी खुद को उदास ही दिखाए. अगर कोई डिप्रेशन में है तो वो चाहे लोगों के बीच हंस-बोल रहा हो, लेकिन अंदर से बहुत खाली और उदास महसूस करता है. वहीं, डिप्रेशन में व्यक्ति की रोजाना की जिंदगी प्रभावित होने लगती है. 

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डिप्रेशन के लक्षण
अगर आप लगातार हफ्तों तक खुद को बिना किसी बात के उदास पाते हैं तो हो सकता है कि आप डिप्रेशन का शिकार हों. वहीं, अवसादग्रस्त व्यक्ति खुद को हमेशा खराब मूड में पाता है. वहीं, व्यक्ति के अंदर से कुछ भी करने की इच्छा खत्म हो जाती है. चीजों से रुचि खत्म होने लगती है. वहीं, व्यक्ति की सोने के पैटर्न में भी बदलाव आ जाता है. कुछ लोग जरूरत से ज्यादा सोने लगते हैं. पूरी नींद लेने के बाद भी वो खुद में कम ऊर्जा पाते हैं. वहीं, कुछ लोगों को नींद आना बंद हो जाती है. वो पूरी-पूरी रात, पूरा-पूरा दिन जागते हुए गुजार देते हैं. नींद के साथ-साथ, अवसादग्रस्त व्यक्ति की डाइट पर भी असर पड़ने लगता है. 

डिप्रेशन से ग्रसित व्यक्ति में ये सभी लक्षण लंबे समय तक रहते हैं. अगर आपमें ये लक्षण 2 सप्ताह से ज्यादा के लिए रहते हैं तो आपको मनोवैज्ञानिक से सलाह लेने की जरूरत है. मनोवैज्ञनिक अलग-अलग टेस्ट करके किसी भी व्यक्त के डिप्रेशन में होने के निष्कर्ष तक पहुंचते हैं. अगर आप समय रहते डिप्रेशन का इलाज नहीं कराते हैं जो ये आपके लिए खतरनाक हो सकता है. 

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