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1994 में फ्रीज, 2025 में जन्म...! IVF डॉक्टर ने बताया भारत में क्या कहते हैं एग और भ्रूण फ्रीजिंग के नियम?

IVF के ज़रिए सबसे पहले1978 में ब्रिटेन में लुईस ब्राउन का जन्म हुआ था. यह रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के क्षेत्र में एक बड़ा कदम था और तब से दुनिया भर में इस प्रक्रिया से लाखों बच्चों का जन्म हुआ है.

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30 साल पहले फ्रीज किए भ्रूण से जन्मा हेल्दी बच्चा (Image Credit: Adobe Image)
30 साल पहले फ्रीज किए भ्रूण से जन्मा हेल्दी बच्चा (Image Credit: Adobe Image)

ओहियो (अमेरिका) में एक चमत्कार हुआ है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है. हाल ही में 26 जुलाई 2025 को थैडियस डैनियल पियर्स नाम का बच्चा इस दुनिया में आया. अब आप सोचेंगे कि इसमें क्या खास बात है. हर मिनट में एक बच्चा पैदा होता है तो इस बच्चे में क्या खास है? आपको बता दें कि ये कोई साधारण बच्चा नहीं हैं. थैडियस का जन्म एक ऐसे भ्रूण (embryo) से हुआ, जिसे 30 साल से भी ज्यादा समय से स्टोर करके रखा हुआ था.

इससे पहले यह रिकॉर्ड 2022 में अमेरिका के ओरेगन में जन्मे जुड़वां बच्चों के नाम पर दर्ज था, जिनके भ्रूण 30 साल तक स्टोर करके रखे गए थे. लेकिन थैडियस की कहानी उससे भी एक कदम आगे है. आइए, इस पूरी कहानी को समझते हैं.

क्या था पूरा मामला?

थैडियस डैनियल पियर्स का जन्म लंदन, ओहियो में रहने वाले लिंडसे और टिम पियर्स के घर हुआ. इस कपल ने इस भ्रूण को 'गोद' लिया था, जो 1994 में बनाया गया था. लिंडसे ने यह भी बताया कि थैडियस की एक 30 साल की 'बहन' है, जो उसी IVF प्रक्रिया से पैदा हुई थी, जिससे यह भ्रूण बना था. जब यह भ्रूण बनाया गया था, उस वक्त टिम पियर्स सिर्फ दो साल के थे और लिंडसे का जन्म भी नहीं हुआ था.

थैडियस का भ्रूण 1990 के दशक में बनाया गया था. उस समय लिंडा आर्चर्ड और उनके उस समय के पति को बच्चा पैदा करने में दिक्कतें आ रही थीं. उन्होंने इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक की मदद ली, जो उस काफी ज्यादा चर्चा में थी. इस पूरी प्रक्रिया में चार भ्रूण बनाए गए. एक भ्रूण को लिंडा के गर्भ में इंप्लांट किया गया, जिससे उनकी बेटी का जन्म हुआ. आज वह बेटी 30 साल की है और उसकी खुद की एक 10 साल की बेटी भी है.

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बाकी तीन भ्रूणों को क्रायोप्रिजर्वेशन (cryopreservation) तकनीक से फ्रीज कर दिया गया. ये भ्रूण एक खास टैंक में 30 साल से ज्यादा समय तक सेफ रहे. इस तकनीक का इस्तेमाल आज भी भ्रूण को संरक्षित करने के लिए किया जाता है, क्योंकि IVF प्रक्रिया में ज्यादातर एक से ज्यादा भ्रूण बन जाते हैं.

लिंडा और उनके पति के अलग होने के बाद, लिंडा को इन भ्रूणों की कस्टडी मिली. सालों बाद, लिंडा को 'भ्रूण गोद लेने' (embryo adoption) के बारे में पता चला. यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें भ्रूण डोनेट किए जाते हैं और दूसरा कोई कपल उसे गोद लेकर अपने बच्चे के रूप में जन्म देते हैं. अमेरिका में यह प्रोसेस अक्सर क्रिश्चन ग्रुप की ओर से पूरा किया जाता है. इस प्रक्रिया के जरिए लिंडा ने अपने भ्रूण को किसी दूसरे परिवार को दान करने का फैसला किया.

भ्रूण को गोद लेने के प्रोसेस में दान करने वाले और लेने वाले परिवार दोनों की ही सहमति जरूरी होती है. पुराने भ्रूण को गोद लेना किसी खतरे से कम नहीं होता है क्योंकि पुराने भ्रूण को पुरानी टेक्नीक से स्टोर किया जाता है. जिसके कारण सफल गर्भावस्था के चांसेस काफी कम होते हैं लेकिन इन सभी खतरों के बावजूद भी लिंडसे और टिम पियर्स ने इस खतरे को स्वीकार किया.

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35 साल की लिंडसे और 34 साल के टिम को कई सालों तक बच्चा नहीं हो पाया जिसके बाद उन्होंने भ्रूण गोद लेने का फैसला किया और उसी प्रोग्राम को ज्वॉइन किया जिसमें लिंडा के भ्रूण थे. जिसके बाद फर्टिलिटी क्लिनिक में इसे इंप्लांट किया गया. इसी पूरी प्रक्रिया को डॉ.गॉर्डन ने पूरा किया. उन्होंने कहा, "हमारा मानना है कि हर भ्रूण में एक हेल्दी बच्चे के रूप में जन्म लेने की संभावना होती है, लेकिन उसे मौका मिलना जरूरी है."

इस खबर के बारे में विस्तार से जानने के लिए Aajtak.in की हेल्थ टीम ने IVF और भ्रूण फ्रीजिंग के मामले में डॉक्टर से बात की और कुछ जरूरी सवालों का जवाब जानने की कोशिश की है. आइए जानते है क्या कहना है डॉक्टर का.

IVF ((इन विट्रो फर्टिलाइजेशन)

आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक मॉडर्न तकनीक है जो उन कपल्स की मदद करती है जिन्हें नेचुरल तरीके से बच्चे पाने में दिक्कत होती है. इस प्रक्रिया में महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर, यानी लैब में मिलाकर एक भ्रूण तैयार किया जाता है.

आईवीएफ की प्रक्रिया में कई स्टेप्स होते हैं. सबसे पहले, महिला को कुछ दवाइयां दी जाती हैं ताकि उसके अंडाशय में कई अंडे बन सकें. फिर डॉक्टर एक छोटी सी प्रक्रिया से इन अंडों को बाहर निकाल लेते हैं. इसके बाद, लैब में इन अंडों को पुरुष के शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है, जो पति या डोनर का हो सकता है. इस काम को "इन विट्रो" कहा जाता है.

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जब भ्रूण तैयार हो जाता है, तो उसे महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है. यह प्रक्रिया बिना किसी बड़े ऑपरेशन के, एक नर्म ट्यूब की मदद से की जाती है. लगभग दो हफ्ते बाद महिला का ब्लड टेस्ट किया जाता है ताकि पता चले कि क्या वह गर्भवती हुई है. अगर सफल होता है तो ये आईवीएफ साइकिल पूरी मानी जाती है. इस पूरी प्रक्रिया में लगभग एक महीने का समय लगता है.

एग फ्रीजिंग (या अंडाणु क्रायोप्रिजर्वेशन)

  • डॉक्टर एग प्रोडक्शन को प्रोत्साहित करने के लिए हार्मोन इंजेक्शन देते हैं ताकि महिला का शरीर कई अंडे पैदा कर सके.
  • डॉक्टर एक छोटे प्रोसेस की मदद से अंडाशय से अंडों को इकट्ठा करते हैं, जिसे अंडा पुनर्प्राप्ति (egg retrieval) कहा जाता है.
  • लैब में, नए निकाले गए अंडों को विट्रीफिकेशन, जो एक बेहतरीन क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक है, का इस्तेमाल करके तुरंत जमा दिया जाता है. जमने के बाद, उन्हें एक स्टोरेज सेंटर में भेज दिया जाता है जहाँ उन्हें तब तक रखा जाता है जब तक कपल्स उनका इस्तेमाल करने के लिए तैयार न हो जाए. इस प्रक्रिया में कुल मिलाकर लगभग 14 दिन लगते हैं.

एग्स को कितने समय तक स्टोर करके रखा जा सकता है?

दिल्ली के लाजपत नजर स्थित बिरला फर्टिलिटी & IVF अस्पताल की फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर मुस्कान छाबरा ने Aajtak.in को बताया, सबसे पहले यह जानना जरूरी है कि IVF के लिए जो Eggs (अंडाणु) या Sperm (शुक्राणु) होते हैं, उन्हें स्टोर करने के लिए ‘ओओसाइट क्रायोप्रेज़र्वेशन (Oocyte Cryopreservation) नाम की तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें इन्हें लिक्विड नाइट्रोजन के अंदर माइनस 196 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाता है, ताकि उनकी गुणवत्ता बनी रहे. इस तकनीक से एग्स और भ्रूण (Embryos) को 10 से 15 साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है. हमारे क्लिनिक के अनुसार, दस साल तक फ्रीज करना आम होता है.

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एग्स या भ्रूण फ्रीजिंग की प्रक्रिया में कितना खर्च आता है?

स्पर्म फ्रीजिंग काफी आसान और सस्ती प्रक्रिया है, जबकि एग्स या भ्रूण फ्रीजिंग की प्रक्रिया थोड़ी महंगी होती है क्योंकि इसके लिए महिला को हार्मोन इंजेक्शन देने पड़ते हैं ताकि उसके अंडाशय में ज्यादा अंडे बनें. इसके बाद एक छोटे ऑपरेशन के जरिए अंडे निकाले जाते हैं और लैब में फर्टिलाइजेशन कर फ्रोजन कर दिए जाते हैं. एग्स फ्रीज करने का खर्च आमतौर पर दस हजार रुपये से शुरू होता है और भ्रूण फ्रीज करने का पूरा IVF प्रोसेस लगभग 1 से 1.5 लाख रुपये तक का हो सकता है.

नॉर्मल डिलीवरी और IVF से जन्में बच्चे में क्या कोई अंतर होता है?

इस सवाल पर डॉक्टर मुस्कान ने कहा कि IVF में लगातार तकनीक बेहतर होती जा रही है, इसलिए फ्रोजन एग्स और भ्रूण से सामान्य बच्चों जैसा ही स्वस्थ बच्चा जन्म लेता है. इसमें गर्भावस्था या बच्चे के विकास में कोई फर्क नहीं पड़ता.

एग या भ्रूण को फ्रिज कराने के बाद अगर कपल उसे एक्सेप्ट न करना चाहें तो?

अगर कोई कपल एग्स या भ्रूण फ्रीज कराकर बाद में उनका इस्तेमाल नहीं करता, तो क्लिनिक उनसे संपर्क करता है. अगर वे जवाब नहीं देते, तो एआरटी बोर्ड को जानकारी दी जाती है और उनकी गाइडलाइन के अनुसार आगे बढ़ा जाता है.. इसके अलावा, अगर कपल का तलाक हो जाता है, तो भ्रूण को किसके पास रखना है, ये कोर्ट के आदेश पर निर्भर करता है.

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भारत में 'भ्रूण दान' के क्या नियम हैं?

भारत में भ्रूण दान की अनुमति बिल्कुल नहीं है. अगर किसी को जरूरत है तो उन्हें नए डोनर से एग्स और स्पर्म लेना पड़ता है,  न कि पहले से फ्रीज भ्रूण. इसके लिए सभी प्रोसेस स्टेट के नियमों और रजिस्टर्ड ART बैंक के तहत ही होते हैं.

क्या लंबे समय तक फ्रीज किए गए एग्स से सफल प्रेग्नेंसी संभव है?

डॉक्टर मुस्कान का कहना है कि ये फ्रीज किए गए भ्रूम की गुणवत्ता और फ्रीजिंग प्रक्रिया पर निर्भर करता है. अच्छी गुणवत्ता और उचित फ्रीजिंग के साथ, सालों बाद भी सफल प्रेग्नेंसी की संभावना ज्यादा होती है.

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