बीते दिनों भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य त्रिपुरा में सांप्रदायिक हिंसा देखने को मिली. खबरें आईं कि बांग्लादेश हिंसा के विरोध में विश्व हिंदू परिषद ने त्रिपुरा के पानीसागर इलाके में 26 अक्टूबर को एक रैली निकाली. रैली के दौरान हिंसा हुई और हिंदू संगठनों पर आरोप लगे कि इसी रैली के दौरान उनके लोगों ने मुस्लिमों और मस्जिदों पर हमले किए.
अब सोशल मीडिया पर एक वीडियो के जरिए दावा किया जा रहा है कि त्रिपुरा की एक मस्जिद से जिहाद का ऐलान किया गया है. यानी कि अगर अब त्रिपुरा में मुस्लिमों पर हमले हुए तो समुदाय की तरफ से करारा जवाब दिया जाएगा चाहे किसी की जान ही क्यों ना चले जाए.
वीडियो देखने में किसी मस्जिद का लगता है जहां से लाउड स्पीकर पर अरबी भाषा में कुछ बोला जा रहा है. खराब ऑडियो के कारण ये कह पाना मुश्किल है कि मस्जिद से क्या बात कही जा रही है लेकिन इसमें बार-बार "अल्लाह हू अकबर" सुनाई दे रहा है. एक-दो जगह पर 'जिहाद' जैसा कुछ भी सुना जा सकता है.
क्या है सच्चाई?
इंडिया टुडे ने अपनी पड़ताल में पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. वीडियो डेढ़ साल से ज्यादा पुराना है और इसका त्रिपुरा हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है.
वीडियो को शेयर करते हुए एक फेसबुक यूजर ने कैप्शन में लिखा है "लो भाई त्रिपुरा से पॉजिटिव खबर वहां के लोगों ने उनके जिंदा कोम होने का सबूत पेश किया। *उठाना ख़ुद ही पड़ता है थका टूटा बदन अपना *कि जब तक साँस चलती है कोई कंधा नहीं देता..!* त्रिपुरा ने किया जेहाद का ऐलान. जब मरना ही है तो लड़कर मरो डर कर नहीं". इसी जैसे कैप्शन के साथ वीडियो ट्विटर पर भी साझा किया गया है.
कैसे पता की सच्चाई?
वीडियो को इन-विड टूल की मदद से खोजने पर पता चला कि कई यूजर्स ने इसे पिछले साल फरवरी में हुए दिल्ली दंगों के बाद शेयर किया था. उस समय भी लोगों ने दावा किया था कि दंगों के बाद भारत में मस्जिद से जिहाद का ऐलान किया जा रहा है.
खोजने पर हमें ये वीडियो तुर्की की न्यूज वेबसाइट 'Akit' के एक आर्टिकल में मिला. आर्टिकल 7 फरवरी 2020 को प्रकाशित हुआ था. इसके मुताबिक, वीडियो सीरिया के इदलिब शहर की एक मस्जिद का है जहां से सरकार के खिलाफ जिहाद करने का ऐलान किया गया. हसन सिवरी नाम के एक पत्रकार ने भी उस समय इस वीडियो को अपने वेरीफाइड हैंडल से ट्वीट किया था. उन्होंने भी वीडियो को सीरिया का ही बताया था.
Aljazeera Tv: "Türk ordusuna ait 100 araçlık askeri konvoy, İdlip derinliklerine doğru ilerlemek üzere Suriye'ye giriş yaptı."
— Hasan Sivri (@hasansvri) February 7, 2020
हालांकि, हम पुख्ता तौर पर ये नहीं कह सकते कि वीडियो सीरिया का ही है. लेकिन इतनी बात स्पष्ट है कि वीडियो को हाल ही में हुई त्रिपुरा हिंसा से जोड़ना गलत है. वीडियो त्रिपुरा हिंसा के पहले से इंटरनेट पर मौजूद है. साथ ही, वीडियो का पिछले साल हुए दिल्ली दंगों से भी कोई संबंध नहीं है. दिल्ली में दंगे 23 फरवरी 2020 से शुरू हुए थे और वीडियो इससे कई दिन पहले इंटरनेट पर आ चुका था.