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फैक्ट चेक: असम की 6 साल पुरानी तस्वीर बिहार चुनाव से जोड़कर वायरल

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसके जरिये नीतीश सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. तस्वीर में एक व्यक्ति को पोलिंग बूथ पर वोट डालते हुए देखा जा सकता है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
बिहार की ये तस्वीर नीतीश राज के 15 साल के विकास को दिखाती है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये तस्वीर बिहार की नहीं बल्कि असम की है. इसे 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान असम के कारबी आंगलोंग जिले में खींचा गया था.

बिहार में पहले चरण के मतदान हो चुके हैं और 3 नवंबर को दूसरे चरण के लिए वोटिंग होनी है. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल हो रही है जिसके जरिये नीतीश सरकार पर निशाना साधा जा रहा है. तस्वीर में एक व्यक्ति को पोलिंग बूथ पर वोट डालते हुए देखा जा सकता है, जिसके शरीर पर पूरे कपड़े नहीं थे. कटाक्ष करते हुए दावा किया जा रहा है कि बिहार की ये तस्वीर नीतीश राज के 15 साल के विकास को दिखाती है.

तस्वीर को पोस्ट करते हुए लोग लिख रहे हैं, "बिहार में नीतीश राज के 15 साल के विकास की जीती जागती तस्वीर वोट डालते हुए. ये इसी उम्मीद से आए होंगे पोलिंग बूथ काश कुछ तस्वीर बदले जो ये भुगत रहे इनके बच्चे न भुगते".

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. ये तस्वीर असम की और लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान की है.

तस्वीर को फेसबुक पर गलत दावे के साथ जमकर शेयर किया जा रहा है. ट्विटर पर भी लोग इस तस्वीर को बिहार चुनाव से जोड़ते हुए शेयर कर रहे हैं. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

इस तस्वीर को हमने बिंग सर्च इंजन पर खोजा तो हमें 'द हिंदू' की एक रिपोर्ट मिली. अप्रैल 2014 में प्रकाशित इस रिपोर्ट में वायरल तस्वीर मौजूद थी. खबर के मुताबिक, ये तस्वीर 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान असम के कारबी आंगलोंग जिले में ली गई थी. खबर में इस व्यक्ति को तिवा जनजाति का बताया गया है. ये जनजाति असम और मेघालय के पहाड़ों और मैदानों में निवास करती है. इस तस्वीर को 'द हिंदू' के फोटोग्राफर ऋतू राज कंवर ने खींचा था.

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ये खबर कारबी आंगलोंग के लोगों के चुनावी मुद्दों को लेकर प्रकाशित हुई थी. खबर में बताया गया है कि कैसे इस इलाके की जनता को आये दिन उग्रवादियों के बंद का सामना करना पड़ता है. इस बंद से छात्रों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ता है. खबर में इस समस्या को लेकर कुछ छात्रों का बयान भी मौजूद है.

यहां साबित होता है कि वायरल पोस्ट भ्रामक है. ये तस्वीर 6 साल से ज्यादा पुरानी है और असम की है न कि बिहार की.

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