सोशल मीडिया पर दिल्ली से बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी का एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो में रमेश बिधूड़ी को एक भाषण में किसान आंदोलन को लेकर कुछ टिप्पणी करते हुए सुना जा सकता है. अब सोशल मीडिया यूजर्स इस वीडियो के साथ दावा कर रहे हैं कि रमेश बिधूड़ी ने किसानों को गाली दी है.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजीव राय ने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा है "आंदोलन कर रहे किसान ***** हैं: भाजपा सांसद तुम्हारी भाषा ने साबित कर दिया की तुम क्या हो और तुम्हारे नेता क्या है."
आंदोलन कर रहे किसान भ@$वे हैं: भाजपा सांसद
— Rajeev Rai (@RajeevRai) December 22, 2020
तुम्हारी भाषा ने साबित कर दिया की तुम क्या हो और तुम्हारे नेता क्या है 😡 #FarmersProtests @BJP4India
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इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा है दावा भ्रामक है. रमेश बिधूड़ी ने किसान आंदोलन में बैठे कुछ लोगों के लिए 'ठलवे' शब्द का इस्तेमाल किया था न कि वह अपशब्द, जिसका जिक्र वायरल पोस्ट में किया जा रहा है. भारत में कुछ जगहों पर 'ठलवे' या 'ठलुआ' शब्द का इस्तेमाल 'निठल्ला' शब्द के अर्थ में होता है.
इस वीडियो को आम आदमी पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से भी शेयर किया गया है. इसके साथ कैप्शन में लिखा गया है, "जिस किसान ने खुद भूखे रहकर देश को खाना खिलाया, उसी किसान को भाजपा के सांसद ने गाली दी। आखिर भाजपा ने अपनी औकात दिखा ही दी." फेसबुक पर भी बिधूड़ी के इस वीडियो को भ्रामक दावे के साथ काफी शेयर किया जा रहा है. पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
क्या है सच्चाई?
खोजने पर हमें रमेश विधूड़ी के इस भाषण का पूरा वीडियो उनके फेसबुक पेज पर मिला. बिधूड़ी ने किसान आंदोलन को लेकर ये भाषण दिल्ली के कालकाजी क्षेत्र में दिया था. इस वीडियो में वायरल वीडियो वाला हिस्सा 16.15 मिनट बाद सुना जा सकता है. वीडियो को ध्यान से सुनने पर समझ आता है कि रमेश बिधूड़ी ने भाषण में 'ठलवे' शब्द का प्रयोग किया था.भाषण के दौरान रमेश बिधूड़ी ने कहा था, "देश में 80 करोड़ किसान हैं, चार हजार किसान नहीं हैं. कितने किसान हैं? 80 करोड़... और बॉर्डरों पर बैठे कितने हैं- कहीं पांच सौ, कहीं ढाई सौ, कहीं डेढ़ हजार. तो वो सब के सब कनाडा से आए हुए पैसे को लेकर, पाकिस्तान से आए पैसे को लेकर ....जो, जो, जो ठलवे होते हैं हर गांव में पांच, सात, दस, पांच सात... वो ठलवे बैठे हुए हैं कि खाने को फोकट का मिल रहा है, गरम पानी मिल रहा है, बढ़िया रजाई मिल रही है... और मोदी को हटाना है."
उत्तर और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में आम तौर पर 'ठलवे' या 'ठलुआ' शब्द का इस्तेमाल उस व्यक्ति के लिए किया जाता है जिसके पास कुछ काम न हो या जो खाली हो. अब 'ठलवा' शब्द भी अपमानजनक है या नहीं, ये बहस का विषय जरूर हो सकता है, लेकिन इस शब्द और वायरल पोस्ट में इस्तेमाल अभ्रद शब्द का अर्थ अलग-अलग है.
इस वीडियो को लेकर हमारी बात रमेश बिधूड़ी के भतीजे और सहायक अनुज बिधूड़ी से भी हुई. अनुज ने भी पोस्ट में कही जा रही बात को गलत बताया और कहा कि रमेश ने भाषण में 'ठलवे' शब्द कहा था. अनुज का कहना था कि रमेश खुद किसान परिवार से आते हैं तो वो किसानों के लिए ऐसी अभद्र भाषा का इस्तेमाल क्यों करेंगे. रमेश बिधूड़ी ने खुद भी एक न्यूज चैनल से बातचीत में ये कहा है कि उन्होंने भाषण में आंदोलन में बैठे कुछ लोगों के लिए 'ठलवे' शब्द का प्रयोग किया था. रमेश बिधूड़ी का बयान इस फेसबुक वीडियो में 2.48 मिनट बाद सुना जा सकता है.