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फैक्ट चेक: 'SC/ST मुर्दाबाद' के नारे लगा रही भीड़ का ये वीडियो अभी का नहीं, 5 साल से ज्यादा पुराना है

इस बार लोकसभा चुनाव में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बन रहा है. जहां पीएम मोदी ने हाल ही में कहा कि कांग्रेस, दलित और पिछड़ों के आरक्षण पर डाका डालने की तैयारी में है, वहीं कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी आरक्षण को खत्म करना चाहती है.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
वीडियो में देखा जा सकता है कि कुछ लोग दलित-आदिवासी और आरक्षण के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं, लेकिन चुनाव आयोग इन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
यह वीडियो लोकसभा चुनाव से संबंधित नहीं है, यह 2019 से इंटरनेट पर मौजूद है.

इस बार लोकसभा चुनाव में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बन रहा है. जहां पीएम मोदी ने हाल ही में कहा कि कांग्रेस, दलित और पिछड़ों के आरक्षण पर डाका डालने की तैयारी में है, वहीं कांग्रेस कह रही है कि बीजेपी आरक्षण को खत्म करना चाहती है.


इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है जिसमें सड़क पर धरना दे रहे कुछ लोग दलित-आदिवासी और आरक्षण के खिलाफ नारेबाजी करते दिख रहे हैं. यह लोग 'एससी-एसटी मुर्दाबाद' , 'आरक्षण मुर्दाबाद' और 'भीम आर्मी मुर्दाबाद' के नारे लगा रहे हैं. इन लोगों ने भगवा रंग का गमछा और पगड़ी पहन रखी है.
 


वीडियो को हाल-फिलहाल का बताकर दावा किया जा रहा है कि दलित विरोधी नारे लगा रहे यह लोग बीजेपी के हैं. साथ ही कहा गया है कि खुलेआम इस तरह के नारे लगाने के बावजूद चुनाव आयोग इन पर कोई एक्शन नहीं ले रहा.


इन दावों के साथ यह वीडियो फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सैकड़ों लोग शेयर कर चुके हैं. वायरल पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.


आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि यह वीडियो हाल फिलहाल का नहीं बल्कि 2019 से इंटरनेट पर मौजूद है.

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कैसे पता चली सच्चाई?


वीडियो के कीफ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमें पता चला कि इसे अप्रैल 2019 में भी शेयर किया गया था. उस समय फेसबुक पर कुछ लोकल न्यूज पोर्टल्स ने वीडियो को बिहार के सिवान का बताया था.

 


इन पोर्टल्स ने लिखा था कि नारे लगा रहे लोग एनडीए की उम्मीदवार कविता सिंह और उनके पति अजय सिंह के समर्थक हैं. अजय सिंह को हिंदू युवा वाहिनी का प्रदेश अध्यक्ष बताया गया था. फेसबुक पोस्ट्स के मुताबिक, नारेबाजी कर रहे लोग हिंदू युवा वाहिनी के ही लोग थे.

लेकिन मीडिया से बात करते हुए अजय सिंह ने कहा था कि वीडियो का उनसे या कविता सिंह से कोई लेना-देना नहीं है. उनका कहना था कि वीडियो कहीं और का है और विपक्ष उनके खिलाफ झूठ फैला रहा है.

सर्च करने पर हमें 27 जनवरी 2019 और 31 जनवरी 2019 के दो ऐसे यूट्यूब वीडियो भी मिले जिनमें वायरल वीडियो मौजूद है. इससे यह बात भी साफ हो जाती है कि वीडियो अप्रैल 2019 का नहीं बल्कि इससे ज्यादा पुराना है.

हालांकि, यहां हम इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि वीडियो कहां का है और इसमें दिख रहे लोग कौन हैं. 

लेकिन यह बात स्पष्ट है कि वीडियो 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान का नहीं, बल्कि पांच साल से ज्यादा पुराना है.

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