
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर जमकर वायरल हो रही है, जिसमें कुछ बच्चों को केले के पत्तों में खाना खाते देखा जा सकता है. बच्चों ने सफेद धोती और गमछा पहन रखा है. दावा किया जा रहा है कि ये तस्वीर जर्मनी की है जहां ये विदेशी बच्चे गुरुकुल में सनातन सभ्यता अपना रहे हैं.
एक फेसबुक पेज ने इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा है, "यह तस्वीर भारत की नहीं,जर्मनी की है, जहां के बच्चे गुरुकुल में पढ़ते हैं, जिस सनातन संस्कृती-सभ्यता को हम भूल रहे हैं, उसे विदेशी लोग अपना रहे हैं".

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. ये तस्वीर पश्चिम बंगाल के मायापुर स्थित इस्कॉन संस्था के भक्तिवेदांत अकादमी की है.
फेसबुक पर इस पोस्ट को काफी शेयर किया जा रहा है. ट्विटर पर भी ये तस्वीर गलत दावे के साथ वायरल है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें कुछ फेसबुक पोस्ट मिलीं, जहां इस तस्वीर को मायापुर के भक्तिवेदांत गुरुकुल का बताया गया था. जानकारी को पुख्ता करने के लिए हमने भक्तिवेदांत गुरुकुल में संपर्क किया. यहां के प्रिंसिपल बालादेव श्रीमान दास ने हमें बताया कि ये तस्वीर भक्तिवेदांत अकादमी की ही हैं. तस्वीर में दिख रहे बच्चे अकादमी के विद्यार्थी हैं.
दास का कहना था कि इस तस्वीर को कुछ दिन पहले एक बच्चे के माता-पिता ने सोशल मीडिया पर अपलोड किया था. अकादमी की वेबसाइट और फेसबुक पेज पर अकादमी की कई तस्वीरें मौजूद हैं. इन तस्वीरों में उसी तरह के खंभे देखे जा सकते हैं जैसा कि वायरल तस्वीर में दिख रहा है.

भक्तिवेदांत गुरुकुल इस्कॉन द्वारा स्थापित किया गया एक वैदिक शैक्षिक संस्था है. इस संस्था में शैक्षिक विषयों (गणित, अंग्रेजी आदि) के साथ-साथ संस्कृति और वेदों की पढ़ाई भी होती है. प्रिंसिपल बालादेव का कहना था कि अकादमी में भारतीय छात्रों के साथ विदेशी छात्र भी पढ़ते हैं. भक्तिवेदांत अकादमी कई और देशों में भी स्थित है.
पड़ताल से ये साफ है कि वायरल तस्वीर जर्मनी की नहीं, बल्कि भारत की है.