सावन के महीने के साथ 22 जुलाई को शुरू हुई कांवड़ यात्रा लगातार सुर्खियों में बनी हुई है. सरकार ने यात्रा के रूट पर कांवड़ियों के ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था के साथ-साथ सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये हैं. लेकिन, देश के अलग-अलग हिस्सों से कांवड़ियों के तोड़फोड़ और हंगामा करने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जिससे बवाल मचा हुआ है.
इसी बीच, सरकार पर निशाना साधते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो गया है, जिसमें कुछ बच्चों को काफी ऊंचाई पर लगी एक केबल ट्रॉली में बैठकर नदी पार करते देखा जा सकता है. इन बच्चों ने नीले रंग की यूनिफॉर्म पहन रखी है, और उनके कंधों पर बस्ते टंगे हैं, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि वो स्कूल जा रहे हैं.
सोशल मीडिया पर ये वीडियो शेयर करते हुए एक व्यक्ति ने लिखा, “सरकार ने जितनी ताकत कावड़ यात्रा पर लगाई है काश! कि थोड़ा सा ध्यान इन स्कूल जाते बच्चों के रास्ते के लिए भी दे देते.” इस वीडियो के जवाब में कई लोग सरकार को घेरते हुए आरोप लगा रहे हैं कि बच्चे वोट नहीं डाल सकते, इसलिए सरकार उनके लिए काम नहीं करती.
इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये वीडियो भारत का है ही नहीं. दरअसल, ये वीडियो नेपाल के कुमपुर गांव का है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल वीडियो के ऊपर दायीं ओर "@FreeDocumentary” लिखा हुआ है. इस क्लू की मदद से खोजने पर हमें इस नाम का एक फेसबुक अकाउंट मिला, जिससे 1 मई 2024 को वायरल वीडियो पोस्ट किया गया था. इस पोस्ट के कैप्शन में बताया गया है कि खतरनाक रास्ते से स्कूल जाते बच्चों का ये वीडियो नेपाल का है.
थोड़ा और खोजने पर हमें इस वीडियो का लंबा वर्जन 6 सितंबर 2015 के एक यूट्यूब वीडियो में मिला, जिसे " Free Documentary” नाम के ही एक यूट्यूब चैनल ने शेयर किया था. करीब एक घंटे के इस वीडियो में 23:05 के मार्क पर वायरल क्लिप वाला हिस्सा देखा जा सकता है.
वीडियो के साथ दी गई जानकारी के मुताबिक ये वीडियो नेपाल के कुमपुर गांव का है, जो नेपाल के बागमती प्रांत में स्थित है. ये डॉक्यूमेंट्री 'Joachim Foerster’ नाम के एक व्यक्ति ने बनाई है. वीडियो में दिख रहे बच्चे अपने गांव से 'श्री आदर्श स्कूल' जा रहे थे, जहां पहुंचने के लिए उन्हें जंगलों के बीच पहाड़ के ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चलने के बाद एक केबल ट्रॉली की मदद से त्रिशूली नदी को पार करना पड़ता है. वीडियो में इस गांव के बच्चों और उनके परिवार के सदस्यों का इंटरव्यू लिया गया है और उनकी दिनचर्या दिखाई गई है.
साफ है, नेपाल के एक गांव में केबल ट्रॉली की मदद से नदी को पार कर स्कूल जाते बच्चों के वीडियो को भारत का बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है.