
त्रिपुरा में कुछ दिनों पहले हिंदू संगठनों की एक रैली के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी. खबरें आईं कि हिंसा में मुस्लिम समुदाय के लोगों और मस्जिदों पर हमला किया गया. इसी के मद्देनजर सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें सड़क पर मुस्लिमों के एक बड़े हुजूम को देखा जा सकता है. वीडियो के साथ दावा किया गया है कि त्रिपुरा में हिंसा के खिलाफ मुसलमान सड़कों पर उतर आए हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं.
अलग-अलग कैप्शन के साथ यह वीडियो फेसबुक और ट्विटर पर जमकर वायरल हो रहा है. एक फेसबुक यूजर ने कैप्शन में लिखा है "त्रिपुरा में मुसलमानों ने सड़क पर उतरकर सरकार से इंसाफ की मांग की त्रिपुरा के मुसलमानों के लिए आवाज़ उठाने के लिए मुसलमान नही इंसान होने की ज़रूरत है. #unitednations #humanrights #TripuraMuslimsUnderAttack".क्या है सच्चाई? इंडिया टुडे ने अपनी पड़ताल में पाया कि वीडियो के साथ गलत दावा किया गया है. यह वीडियो इसी साल मई महीने का है और उत्तर प्रदेश के बदायूं का है. वीडियो में दिख रही भीड़ एक मुस्लिम धर्मगुरु के जनाजे में उमड़ पड़ी थी. कुछ कीवर्ड्स और रिवर्स सर्च की मदद से खोजने पर सामने आया कि वीडियो को 9 मई 2021 को एक फेसबुक यूजर ने साझा किया था. यूजर ने वीडियो के साथ लिखा था कि ये "हजरत पीर सालिम मियां साहब बदायूंनी" का आखिरी सफर है.
दरअसल, 9 मई को उत्तर प्रदेश के बदायूं में मुस्लिम धर्मगुरु हजरत अब्दुल हमीद मोहम्मद सलीम उल कादरी का निधन हो गया था. धर्मगुरु के जनाजे में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में उनके समर्थक बदायूं पहुंच गए थे. इसके चलते कोरोना प्रोटोकॉल की जमकर धज्जियां उड़ाई गई थी. जनाजे के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ महामारी एक्ट के तहत मामला भी दर्ज किया था.
इस मामले पर उस समय 'आजतक' ने भी खबर प्रकाशित की थी. खबर में एक तस्वीर में भीड़ के पीछे एक बड़ा गेट नजर आ रहा है. इस गेट को वायरल वीडियो में भी देखा जा सकता है.

हमें जनाजे का एक अन्य वीडियो भी मिला जिसमें यह गेट एकदम नजदीक से दिख रहा है. गेट पर 'बदायूंनी' लिखा देखा जा सकता है.

इससे ये साबित हो जाता है कि वीडियो बदायूं का है और कई महीने पुराना है. इसका बीते दिनों त्रिपुरा में हुई हिंसा से कोई लेना देना नहीं है. फैक्ट चेकिंग वेबसाइट "बूम लाइव" भी इस वीडियो की सच्चाई बता चुकी है.