
राहुल गांधी ने अपने तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर कई ऐसे बयान दिए हैं जिससे देश की राजनीति में हलचल मची हुई है. सत्ताधारी दल एनडीए के नेताओं के अलावा बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी राहुल गांधी के आरक्षण वाले बयान की आलोचना की है. राहुल गांधी ने कहा था कि फिलहाल भारत में सत्ता के गलियारों में पिछड़े वर्गों की भागीदारी बहुत कम है, और जब ये भेदभाव का माहौल खत्म हो जाएगा, सबको बराबरी का हक मिल जाएगा तभी आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचा जा सकता है.
इसी बीच सोशल मीडिया पर एक न्यूजपेपर कटिंग की फोटो खूब शेयर की जा रही है और कहा जा रहा है कि अब अमेरिकी अखबार तक राहुल गांधी के बयानों की आलोचना कर रहे हैं.
न्यूजपेपर कटिंग अंग्रेजी में है, जिसका अनुवाद है, “अमेरिकी पूछ रहे हैं, राहुल भारत के हैं या पाकिस्तान के?” अखबार पर “सैन फ्रांसिस्को” लिखा है और 31 मई की तारीख लिखी हुई है.

अखबार की तस्वीर एक्स और फेसबुक पर खूब वायरल है और यूजर्स इसे राहुल गांधी के मौजूदा अमेरिकी दौरे के संदर्भ में शेयर कर रहे हैं. एक फेसबुक यूजर ने वायरल तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “राहुल गाँधी अमेरिका में भारत के खिलाफ इतना बोल रहे हैं चीन की इतनी ज्यादा तारीफ कर रहे है कि कुछ अमेरिकी अखबार पूछ रहे है... की राहुल भारत से है या पाकिस्तान से?” ऐसे एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल तस्वीर किसी अंग्रेजी अखबार की नहीं बल्कि हिन्दी अखबार का अनुवाद है. ये खबर 31 मई 2023 की है, उस वक्त भी राहुल गांधी अमेरिका के दौरे पर गए थे.
कैसे पता चली सच्चाई?
वायरल न्यूजपेपर कटिंग में लिखी हेडलाइन के आधार पर अंग्रेजी कीवर्ड्स के साथ सर्च करने पर हमें अमेरिकी अखबार की ऐसी कोई खबर नहीं मिली. यहां गौर करने वाली बात ये भी है कि अखबार 31 मई का है, और खबर में राहुल गांधी के अमेरिकी दौरे का जिक्र है. मगर 31 मई 2024 को राहुल गांधी अमेरिकी दौरे पर नहीं थे, क्योंकि उस समय भारत में लोकसभा चुनाव चल रहे थे.
दरअसल, पिछले साल 31 मई 2023 को राहुल गांधी 10 दिवसीय दौरे के लिए अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को पहुंचे थे. यहां ये बात साफ हो गई कि अखबार की वायरल कटिंग अभी की नहीं बल्कि 2023 की है.
हमें वायरल तस्वीर में अंग्रेजी फॉन्ट के साथ कुछ छेड़छाड़ दिखी. उदाहरण के तौर पर पूरी कटिंग में फॉन्ट साइज अलग-अलग हैं. हमें अंग्रेजी हेडलाइन के बगल में कुछ लिखा हुआ नजर आया, जो देखने में देवनागरी जैसा लगता है.
इस आधार पर हिन्दी कीवर्ड के साथ सर्च करने पर हमें 8 जुलाई 2023 का एक ट्वीट मिला जिसमें ऑरिजिनल न्यूजपेपर कटिंग मौजूद थी, जो हिन्दी में थी. इससे ये साफ हो गया कि हिन्दी अखबार में छपी खबर को ट्रांस्लेट करके उसे अमेरिका का अंग्रेजी अखबार बताया जा रहा है.
हिन्दी की इस खबर को गूगल लेन्स के जरिये ट्रांस्लेट किया गया है, जिसका स्क्रीनशॉट नीचे देखा जा सकता है.

31 मई को छपी इस खबर में राहुल गांधी के सैन फ्रांसिस्को में दिए भाषण का जिक्र किया गया है, जो उन्होंने वहां रह रहे भारतीयों को संबोधित करते हुए दिया था. हमें इससे जुड़ी कई मीडिया रिपोर्ट्स भी मिलीं जिनमें वायरल अखबार की रिपोर्ट वाली बातों का जिक्र है.
हम ये पक्के तौर पर नहीं कह सकते कि ये किस हिन्दी अखबार की कटिंग है. मगर जिस तरह की भाषा इसमें इस्तेमाल की गई है, उससे लगता है कि ये कोई मेनस्ट्रीम अखबार नहीं है. उदाहरण के तौर पर हेडलाइन में ही राहुल गांधी के बयानों को “पागल-प्रलाप” कहा गया है. देश या विदेश का कोई भी विश्वसनीय अखबार किसी भी नेता के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करता.
हमारी पड़ताल से साफ है कि 2023 के एक हिन्दी अखबार की कटिंग को अंग्रेजी में ट्रांस्लेट करके अमेरिकी अखबारों द्वारा राहुल गांधी की आलोचना का भ्रामक दावा किया जा रहा है.