scorecardresearch
 

फैक्ट चेक: भारत में बाढ़ के हालात दिखाने के लिए इस्तेमाल हो रही बांग्लादेश की पुरानी तस्वीर

सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है जिसे भारत का बताया जा रहा है. तस्वीर में पानी में डूबे हुए एक इलाके में एक औरत को पेड़ के तने से बनी नाव पर दो बच्चों के साथ खाना पकाते देखा जा सकता है.

Advertisement

आजतक फैक्ट चेक

दावा
बाढ़ में लोगों की दुर्दशा दिखाती ये तस्वीर भारत की है.
सोशल मीडिया यूजर्स
सच्चाई
ये तस्वीर भारत की नहीं, बल्कि बांग्लादेश में 2016 में आई बाढ़ की है.

हर साल की तरह इस साल भी बारिश देश के कई हिस्सों में कहर बनकर टूट रही है. बाढ़ग्रस्त इलाकों में हो रही मौतें और जनता की दुर्दशा की खबरें लगातार आ रही हैं. इसी के मद्देनजर सोशल मीडिया पर एक तस्वीर तेजी से वायरल हो रही है जिसे भारत का बताया जा रहा है. तस्वीर में पानी में डूबे हुए एक इलाके में एक औरत को पेड़ के तने से बनी नाव पर दो बच्चों के साथ खाना पकाते देखा जा सकता है. नाव के नजदीक एक झोपड़ी भी नजर आ रही है. इस तस्वीर को शेयर करते हुए यूजर्स लिख रहे हैं, "वर्तमान भारत की जीती जागती #तस्वीर खैर आप #मंदिर_मस्जिद बनाइये".

तस्वीर को भारत का बताकर फेसबुक और ट्विटर पर जमकर पोस्ट किया जा रहा है. वायरल पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा गलत है. ये 2016 की बांग्लादेश की तस्वीर है, भारत की नहीं.

कैसे पता की सच्चाई?

सबसे पहले हमने इस तस्वीर को रिवर्स सर्च किया. पता चला कि तस्वीर को भारत का बताकर बीते कुछ सालों में कुछ न्यूज वेबसाइट्स ने भी खबरें प्रकाशित की हैं. कुछ जगह तस्वीर को नेपाल में आई बाढ़ से भी जोड़ा गया है. लेकिन पड़ताल में हमें मानवीय सहायता करने वाली एक संस्था "इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेड क्रॉस एंड रेड क्रेसेंट सोसाइटी" (आईएफआरसी) की एक पीडीएफ फाइल भी मिली जिसमें वायरल तस्वीर का इस्तेमाल किया गया था.

ये रिपोर्ट जुलाई 2016 में बांग्लादेश के कुछ हिस्सों में बाढ़ से मची तबाही को लेकर थी और इसमें बताया गया था कि किस तरह इस संस्था ने बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद की. रिपोर्ट में वायरल तस्वीर को बांग्लादेश के एक जिले कुरीग्राम का बताया गया है और फोटो क्रेडिट बांग्लादेश की एक सामाजिक संस्था 'आरडीआरएस' को दिया गया है.

Advertisement

हमें फोटो शेयरिंग वेबसाइट पिनट्रेस्ट पर भी ये तस्वीर मिली. यहां बताया गया था कि इस तस्वीर को शम्सुलहक सुजा नाम के एक फोटोग्राफर ने खींचा था. हमें इस नाम से बांग्लादेश के एक फोटोग्राफर की फेसबुक प्रोफाइल भी मिली. फेसबुक प्रोफाइल पर मौजूद नंबर के जरिये हमने शम्सुलहक सुजा से संपर्क किया. शमसुल हक ने हमसे बातीचीत में इस बात की पुष्टि कर दी कि ये तस्वीर उन्होंने ही आरडीआरएस के लिए खींची थी.

शम्सुल ने हमें बताया कि ये तस्वीर उन्होंने जुलाई 2016 में कुरीग्राम जिले के उलीपुर उपजिला में ली थी. इस दौरान शम्सुल आरडीआरएस के एक ऑफीशियल असाइनमेंट पर बांग्लादेश के बाढ़ग्रस्त इलाकों को कवर कर रहे थे. शम्सुल का कहना था कि उस समय तस्वीर में दिख रहे इलाके में हालत काफी खराब थे और लोगों को सही तरीके से खाना भी नसीब नहीं हो रहा था.

इसी समय उन्होंने ये तस्वीर खींची थी जिसे बाद में काफी सराहा गया  और एक अवार्ड भी मिला. शम्सुल के अनुसार, वो तस्वीर वाली जगह पर दो दिन बाद दोबारा गए थे, लेकिन बाढ़ का कहर इतना बढ़ चुका था कि उन्हें वहां कोई नहीं मिला. आईएफआरसी की रिपोर्ट के मुताबिक इस तबाही में कुरीग्राम के छह लाख से भी ज्यादा लोग प्रभावित हुए थे.

Advertisement

इसके अलावा, बांग्लादेश के कुछ अखबार और न्यूज चैनल भी इस तस्वीर को बाढ़ से जुड़ी खबरों में प्रकाशित कर चुके हैं.

बांग्लादेश में बाढ़ से प्रभावित हुए लोगों की इस तरह की और भी कुछ तस्वीरें इंटरनेट पर देखी जा सकती हैं. ऐसी ही तस्वीरें हमें Alamy और Braced.Org नाम की वेबसाइट्स पर मिलीं. इनमें में भी वायरल तस्वीर की तरह बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोगों को अस्थायी नाव पर बैठकर खाना बनाते देखा जा सकता है.

यहां हमारी तफ्तीश में इस बात की पुष्टि हो जाती है कि ये तस्वीर बांग्लादेश की है और पांच साल पुरानी है. हालांकि ये सच है कि भारत में भी बारिश से कई इलाकों में बुरा हाल है और इससे जुड़ी तस्वीरें और वीडियो इंटरनेट पर मौजूद हैं.

क्या आपको लगता है कोई मैसैज झूठा ?
सच जानने के लिए उसे हमारे नंबर 73 7000 7000 पर भेजें.
आप हमें factcheck@intoday.com पर ईमेल भी कर सकते हैं
Advertisement
Advertisement