
कोरोना की दूसरी लहर के बीच पिछले कई दिनों से गंगा नदी के किनारे लाशें मिलने की भयावह तस्वीरें और आंकड़े सामने आ रहे हैं. इस बीच सोशल मीडिया पर लाश को कंधे पर उठाकर ले जा रहे पुलिसकर्मी की एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है.
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की कांग्रेस विधायक आराधना मिश्रा ने इस फोटो को शेयर करते हुए अंग्रेजी में कैप्शन लिखा, जिसका हिंदी अनुवाद है, “ये पुलिसवाला एक ऐसे व्यक्ति के शव को अपने कंधों पर लेकर जा रहा है, जिसके परिवार तक ने उसे छोड़ दिया. इस पुलिसकर्मी का सम्मान किया जाना चाहिए. पर सवाल ये उठता है कि वो एम्बुलेंस और शवयान वाहन कहां हैं जिनकी पर्याप्त उपलब्धता का दावा सरकार कर रही है? भाजपा सरकार मृतकों को भी उचित सम्मान नहीं दे पा रही है. दुखद और शर्मनाक.”

इस पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है. इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल फोटो बदायूं की नहीं आगरा की है जहां बीते साल एक तालाब में लावारिस लाश मिली थी. लाश को दो पुलिसकर्मी कंधे पर रखकर एम्बुलेंस तक ले गए थे. फेसबुक पर ये दावा काफी वायरल है.
क्या है सच्चाई
हमें उत्तर प्रदेश पुलिस के डीएसपी संदीप वर्मा की एक फेसबुक पोस्ट मिली, जिसमें उन्होंने बताया है कि वायरल फोटो में शव को अपने कंधे पर ले जाते पुलिसकर्मी का नाम प्रशांत सिंह है. हमने आगरा के एत्माद्दौला थाने में तैनात सब इंस्पेक्टर प्रशांत सिंह से संपर्क किया जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि ये फोटो आगरा का है और पिछले साल का है. उन्होंने बताया, “पिछले साल मैं आगरा के फतेहपुर सीकरी थाने में तैनात था.
वहां पास ही स्थित कछपुरा गांव के एक तालाब में एक अज्ञात शव पाए जाने की सूचना मिली तो मैं कुछ साथियों के साथ वहां गया. शव किसी बुजुर्ग का था और काफी क्षत-विक्षत हालत में था. जिस तालाब के पास शव मिला, वो गांव के काफी अंदर था जहां तक एम्बुलेंस नहीं जा सकती थी. लिहाजा, मैं और अमन शव को कंधे पर रखकर तकरीबन आधा किलोमीटर तक लाए और फिर उसे एम्बुलेंस में रखा.”
प्रशांत ने हमें उस घटना का एक वीडियो भेजा, जिसकी एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है. इस वीडियो में देखा जा सकता है कि शव को कंधे पर ले जाते पुलिसकर्मी कैसे गांव की संकरी पगडंडियों से होकर गुजर रहे हैं.
प्रशांत की भेजी हुई एक तस्वीर एक फेसबुक यूजर ( ) ने 7 अप्रैल 2020 को शेयर की थी. यानी, ये बात साफ हो जाती है कि वायरल फोटो न तो बदायूं की है और न ही वर्तमान की है. ये कम से कम एक साल पुरानी फोटो है.
( उदय गुप्ता के इनपुट के साथ )