क्या तिरुपति मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की पूजा अर्चना के दौरान सिर्फ एक खास नस्ल की गाय के दूध का ही इस्तेमाल किया जाता है? सोशल मीडिया पर कुछ लोग इस तरह का दावा कर रहे हैं. अलग-अलग गायों का वीडियो अपलोड करके दावा किया जा रहा है कि वीडियो एक खास नस्ल की गाय पुंगनूर का है और इसी गाय का दूध, भगवान तिरुपति के अभिषेक में इस्तेमाल होता है.
फेसबुक यूजर Anita Gupta ने हरे हरे घास के बीच मे घूमती, एक भूरे रंग की गाय का वीडियो अपलोड कर लिखा, 'इस गाय की कीमत है 12 करोड़ रुपये और यह प्रतिदिन करीब 100 लीटर दूध देती है. यह पुंगनुर गाय है. केवल इसी गाय के दूध से ही तिरुपति भगवान का अभिषेक होता है. इसे देखना बहुत ही शुभ माना गया है. ज्यादा से ज्यादा #शेयर करे ताकि ओर भी दर्शन कर सके.'
इस पोस्ट पर लोगों ने हाथ जोड़ कर प्रणाम किया है. इस पोस्ट का आर्काइवड वर्ज़न यहां देखा जा सकता है. इसी तरह से कुछ और फेसबुक यूज़र जैसे NaMo Gunjan ने भी यही दावा करते हुए एक अलग वीडियो अपलोड किया. इस वीडियो में एक सफेद रंग की गाय को सजाया जा रहा है और पूजा की जा रही है. इस पोस्ट का आर्काइवड वर्ज़न यहां देखा जा सकता है.
इंडिया टुडे के एन्टी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने पाया कि वायरल पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा भ्रामक है. तिरुपति टेम्पल ट्रस्ट के पास एक बड़ा फार्म है जहां हज़ारों अलग-अलग नस्ल की गायों का रख रखाव होता है. मंदिर के किसी भी काम मे सभी गायों के दूध का इस्तेमाल होता है.
तिरुमला तिरुपातु देवस्थानम एक डेयरी फार्म भी संचालित करता है. इस फार्म के डॉयरेक्टर हरनाथ रेड्डी ने बताया कि यहां 3000 से ज़्यादा गायें हैं जिनका रख रखाव होता है.
रेड्डी ने कहा, 'हमारे यह ज़्यादातर ओंगोले, गिर और साहीवाल गाय हैं. इन सभी गायों के दूध का इस्तेमाल ट्रस्ट के सभी कामों में होता है. मंदिर में अभिषेक के लिए भी सभी गायों के दूध का इस्तेमाल होता है. हमारे पास पुंगनूर गाय भी है. लेकिन इस नस्ल की गाय अब बहुत कम रह गई है इसलिए इन्हें बचाने का काम हमारे यहां हो रहा है. ये गाय कुछ लीटर दूध ही देती है लेकिन हमारा मकसद इन्हें बचाना और इनकी सेवा करना है.'
हमने ने रेड्डी को वायरल वीडियो के लिंक भेजे तो उन्होंने बताया कि दोनों में से कोई भी गाय पुंगनूर नहीं है. रेड्डी ने कहा, 'जो सफेद गाय है, वो ओंगोले है और भूरी गाय गुजरात की गिर गाय है.' पुंगनूर गाय नाटी होती है जिसकी गिनती दुनिया में सबसे छोटे गायों में होती है.
पड़ताल में हमें इंटरनेट पर कुछ रिपोर्ट्स मिलीं जिसके मुताबिक पुंगनूर नस्ल की गाय को बचाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं. हालांकि इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि खास तौर से सिर्फ इसी गाय के दूध से घी का भगवान वेंकटेश के अभिषेक के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन मंदिर से जुड़े लोगों ने इसका पूरी तरह खंडन किया है.
मंदिर के जन सम्पर्क अधिकारी रवि ने कहा, 'फार्म पर मौजूद सभी गायों के दूध को मिला कर ट्रस्ट के सभी कामों में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा कुछ नहीं है कि सिर्फ एक खास गाय की नस्ल का ही दूध इस्तेमाल होता है किसी एक खास काम के लिए.'
लिहाजा वायरल वीडियो में दिख रही गाय पुंगनूर नहीं है. इसके अलावा भगवान वेंकटेश की मूर्ति के अभिषेक के लिए सिर्फ पुंगनूर गाय का दूध ही इस्तेमाल होता है, ये दावा भी गलत है.