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रजिस्टर्ड नहीं है संघ, समझिए पंजीकृत न होने के नफा-नुकसान... जानिए क्या हैं नियम

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का रजिस्ट्रेशन नहीं होने को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. अब मोहन भागवत के बयान के बाद यह मसला फिर से सुर्खियों में है. किसी संस्था का रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है और इसे लेकर क्या नियम हैं?

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संघ के रजिस्ट्रेशन पर आया मोहन भागवत का बयान (Photo: ITG)
संघ के रजिस्ट्रेशन पर आया मोहन भागवत का बयान (Photo: ITG)

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के रजिस्टर्ड संगठन नहीं होने का मुद्दा उछालते रहे हैं. यह मुद्दा फिर से चर्चा में है. कांग्रेस और लेफ्ट के रजिस्ट्रेशन को लेकर आरोप पर अब संघ प्रमुख मोहन भागवत का जवाब आया है. मोहन भागवत ने कहा है कि संघ गैरकानूनी नहीं, संविधान के दायरे में है. हमारा काम संविधान की दायरे में ही है, इसलिए हमें रजिस्ट्रेशन की कोई जरूरत नहीं है.

संघ प्रमुख ने आजादी की लड़ाई का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि1925 में जब स्थापना हुई थी, क्या हम ब्रिटिश सरकार से रजिस्ट्रेशन कराते? संघ पर तीन बार प्रतिबंध लगा और हर बार कोर्ट ने इसे वैध संस्था बता प्रतिबंध खत्म कर दिए. उन्होंने हिंदू धर्म का उल्लेख करते हुए सवालिया अंदाज में पूछा कि क्या यह पंजीकृत है? फिर भी यह हमारे जीवन में मौजूद है. कई चीजें हैं जो रजिस्टर्ड नहीं हैं. आजादी के बाद गैर पंजीकृत संगठनों को भी कानूनी दर्जा दिया गया है और हमें भी उसी श्रेणी में मान्यता मिली हुई है.

संघ प्रमुख के बयान पर कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद ने तीखी प्रतिक्रिया दी. हरिप्रसाद ने संघ प्रमुख के बयान को सदी का सबसे बड़ा झूठ बताते हुए कहा कि ब्रिटिश सरकार के समय न राजनीतिक दल रजिस्टर्ड थे, ना ही एनजीओ. उन्होंने कहा कि अगर संघ सबसे बड़ा संगठन है, तो उसके सदस्यों की सूची और फंडिंग के रिकॉर्ड कहां हैं? हर संस्था को संविधान के तहत जवाबदेह होना चाहिए.

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विपक्ष के सवाल, मोहन भागवत के बयान और बीके हरिप्रसाद की प्रतिक्रिया के बाद संघ के रजिस्ट्रेशन का मुद्दा सुर्खियों में आ गया है. बात रजिस्ट्रेशन की जरूरत से लेकर इसकी प्रक्रिया तक की हो रही है. सवाल है कि किसी संगठन के लिए रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी होता है? किसी संगठन के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है?

संस्थाओं को लेकर नियम क्या?

ऐसी संस्थाएं कानूनी मान्यता नहीं रखतीं, जिनका पंजीकरण ना हुआ हो. हालांकि, ऐसी संस्थाएं जो व्यक्तियों के समूह के रूप में कार्य करती हों उन्हें सरकारी निकायों से मान्यता मिली हो सकती है. मोहन भागवत ने भी अपने बयान में इसी का उल्लेख किया. संघ प्रमुख ने यह बताया कि बिना पंजीकरण कार्य करने वाले संगठन को व्यक्तियों का समूह कहा जाता है और संघ भी इसी श्रेणी में आता है.

संगठन का रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी?

-जिन संगठनों के रजिस्ट्रेशन नहीं होते, उनको अपने नाम संपत्ति नहीं रख सकते. अपने नाम संपत्ति रखने के लिए भी संगठनों का रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है.

-बिना रजिस्ट्रेशन वाले संगठन की कानूनी मान्यता नहीं होती. अलग कानूनी पहचान, कानूनी मान्यता के लिए भी रजिस्ट्रेशन जरूरी है.

-बैंकों में खाता भी पंजीकृत संस्थाओं का ही खुलता है. जो संगठन पंजीकृत नहीं है, उनके नाम से बैंक खाता भी नहीं खुलता.

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- पंजीकृत संस्थाएं कर लाभ के लिए, विदेशों से चंदा स्वीकार करने के लिए अनुमति की मांग कर सकती हैं. जो संगठन रजिस्टर्ड नहीं हैं, उनको ये अधिकार नहीं होता.

-रजिस्टर्ड संस्थाएं वित्तीय प्रबंधन से लेकर फैसलों तक, जवाबदेह और सरकार की निगरानी में होती हैं. जो संस्थाएं रजिस्टर्ड नहीं हैं, उनके साथ ऐसा नहीं है.

-गैर रजिस्टर्ड संगठन ऐसे किसी भी लाभ के लिए दावेदारी नहीं कर सकते, जो रजिस्टर्ड संस्थाओं को मिलते हैं.

संस्थाओं के रजिस्ट्रेशन का नियम क्या

किसी भी संस्था का रजिस्ट्रेशन सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 1860 के तहत होता है. इस एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए संस्था के उद्देश्य भी बताने होते हैं. बाइलॉज तैयार करना होता है, जिसमें संस्था के संचालन से जुड़े नियमों के उल्लेख होते हैं. रजिस्टर्ड संस्थाओं को अपने आय-व्यय और सदस्यता का लेखा-जोखा रखना होता है. रजिस्टर्ड संस्थाएं ये सब सरकार को बताने के लिए बाध्य होती हैं, लेकिन गैर पंजीकृत संस्थाओं के साथ ऐसी कोई बाध्यता नहीं होती.

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