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क्या वाकई सबसे सेफ सिटी है कोलकाता? जानें- ममता बनर्जी के दावे में कितना दम

कोलकाता रेप कांड के बाद पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने नया एंटी-रेप बिल पास किया है. इस बिल को पेश करते समय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि केंद्र सरकार खुद कहती है कि कोलकाता सबसे सुरक्षित शहर है. ऐसे में जानते हैं कि क्या वाकई कोलकाता सबसे सेफ सिटी है.

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ममता बनर्जी ने कोलकाता को सबसे सेफ सिटी बताया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर- Meta AI)
ममता बनर्जी ने कोलकाता को सबसे सेफ सिटी बताया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर- Meta AI)

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से रेप और हत्या पर बवाल जारी है. मुख्य आरोपी संजय रॉय सीबीआई की हिरासत में है. उसे फांसी देने की मांग हो रही है. 

इस बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने रेपिस्टों को फांसी देने के मकसद से भी एक नया बिल विधानसभा में पास किया है. 'अपराजिता बिल' के नाम से आए इस बिल में तीन केंद्रीय कानूनों में संशोधन किया गया है, ताकि रेप और गैंगरेप के मामलों में जल्द से जल्द ट्रायल खत्म कर दोषी को सजा दी जा सके.

मंगलवार को एंटी-रेप बिल पेश करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने ये भी कहा कि केंद्र सरकार ने खुद कोलकाता को सबसे सुरक्षित शहर बताया है, लेकिन अब बीजेपी आरजी कर के नारे लगा रही है, आरजी कर के लिए न्याय की मांग कर रही है.

इस दौरान ममता बनर्जी ने एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला दिया. एनसीआरबी केंद्र सरकार की एजेंसी है, जो हर साल क्राइम के आंकड़ों पर रिपोर्ट जारी करती है. ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार खुद कहती है कि भारत में कोलकाता सबसे सुरक्षित शहर है.

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क्या वाकई सबसे सुरक्षित शहर है कोलकाता?

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, कोलकाता लगातार तीन साल से सबसे सेफ मेट्रो सिटी बना हुआ है.

एनसीआरबी हर साल 19 मेट्रो सिटी के क्राइम से जुड़े आंकड़े जारी करता है. इनमें अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, कोयंबटूर, दिल्ली, गाजियाबाद, हैदराबाद, इंदौर, जयपुर, कानपुर, कोच्चि, कोलकाता, कोझिकोड, लखनऊ, मुंबई, नागपुर, पटना, पुणे और सूरत हैं. 

रिपोर्ट के मुताबिक, इन 19 मेट्रो शहरों में 2022 में 8.53 लाख से ज्यादा आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे. ये संज्ञेय अपराध थे. यानी ऐसे अपराध जिनमें पुलिस बिना वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती है. 2021 की तुलना में 2022 में इन अपराधों में 10% से ज्यादा की कमी आई थी.

2022 में जितने केस दर्ज हुए थे, उनमें से डेढ़ फीसदी से भी कम यानी 12,213 मामले कोलकाता में दर्ज हुए थे. जबकि, सबसे ज्यादा 3.18 लाख मामले दिल्ली में दर्ज किए गए थे.

कोलकाता में हर एक लाख आबादी पर क्राइम रेट सबसे कम रहा था. यहां हर एक लाख आबादी पर 86.5 केस दर्ज किए गए थे. 2021 में ये 103.4 और 2020 में 129.5 रहा था. प्रति लाख आबादी पर सबसे ज्यादा 1952.5 क्राइम रेट दिल्ली का था. इसके बाद कोचि में 1358.2 और इंदौर में 1251.8 रहा था.

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क्या महिलाओं के लिए भी इतना ही सेफ है कोलकाता?

एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि 2022 में 19 मेट्रो शहरों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 48,755 मामले दर्ज किए गए थे. 2021 की तुलना में ये आंकड़ा 12.3 फीसदी ज्यादा था. 

हालांकि, कोलकाता में महिलाओं के खिलाफ अपराध मामले बढ़े हैं. 2021 में कोलकाता में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 1,783 मामले दर्ज किए गए थे, जिनकी संख्या 2022 में बढ़कर 1,890 हो गई. कोलकाता में महिला अपराध का क्राइम रेट हर एक लाख आबादी पर 27.8 है. जबकि, तमिलनाडु के कोयंबटूर में 12.9 और चेन्नई में 17.1 है.

महिलाओं के खिलाफ अपराध में दिल्ली पहले और मुंबई दूसरे नंबर पर है. 2022 में दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 14,158 और मुंबई में 6,176 मामले दर्ज किए गए थे.

यह भी पढ़ें: दुष्कर्मियों को पहले ही उम्रकैद से फांसी तक की सजा, फिर ममता सरकार का एंटी-रेप बिल कितना अलग?

हालांकि, मेट्रो शहरों में कोलकाता दूसरे नंबर पर है जहां रेप के सबसे कम मामले सामने आते हैं. 2022 में तमिलनाडु के कोयंबटूर में रेप के 7 मामले दर्ज किए गए थे. उस साल कोलकाता में रेप के 11 मामले सामने आए थे.

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2020 से 2022 के बीच तीन साल में इन 19 मेट्रो शहरों में रेप के 9,374 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें से कोलकाता में 33 मामले दर्ज हुए हैं. तीनों साल कोलकाता में रेप के 11-11 मामले दर्ज किए गए थे.

      

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पश्चिम बंगाल पर क्या हैं आंकड़े?

- क्रिमिनल केसः एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में देशभर में 58.24 लाख मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से 3% यानी 1.80 लाख मामले पश्चिम बंगाल में दर्ज हुए थे.

- महिला अपराधः देशभर में 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4.45 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे. इनमें से लगभग 8% यानी 34,738 मामले पश्चिम बंगाल से थे.

- रेप केसः 2022 में देश के सभी राज्यों में रेप के 31,516 मामले दर्ज हुए थे. इनमें से 3.5% यानी 1,111 मामले पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए थे. रेप के सबसे ज्यादा 5,399 मामले राजस्थान में सामने आए थे.

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