केरल में एक बार फिर राज्यपाल बनाम राज्य सरकार की जंग छिड़ गई है. केरल सरकार राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को स्टेट यूनिवर्सिटी के चांसलर पद से हटाना चाहती है.
केरल की पी. विजयन की सरकार ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान को केरल कलामंडल डीम्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर पद से हटा भी दिया है. इसके लिए यूनिवर्सिटी के नियमों में संशोधन भी कर दिए हैं. और अब सभी स्टेट यूनिवर्सिटी से चांसलर के पद से राज्यपाल को हटाने की तैयारी में है.
केरल सरकार की शिक्षा मंत्री आर. बिंदु ने गुरुवार को साफ कहा कि अगर चांसलर पद से राज्यपाल को हटाने के अध्यादेश को आरिफ मोहम्मद खान मंजूरी नहीं देते हैं तो फिर विधानसभा में इसके लिए बिल लाया जाएगा.
आर. बिंदु ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि राज्यपाल ने पहले भी कई सारे अध्यादेशों को बगैर खामी बताए रोक दिया था और अगर इस अध्यादेश को भी रोका जाता है तो दिसंबर में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बिल पेश किया जाएगा.
राज्य में बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही केरल सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहीं हैं. वहीं, सरकार का कहना है कि इससे हायर एजुकेशन के क्षेत्र में कोई अनिश्चितता नहीं होगी.
लेकिन ये विवाद कैसे उठा?
- कुछ ही समय पहले सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला आया था. ये फैसला राज्य की एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति की नियुक्ति से जुड़ा था.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी यूनिवर्सिटी के कुलपति को सर्च कमेटी के सिर्फ एक नाम प्रस्तावित करने के आधार पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है.
- यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (यूजीसी) के नियम कहते हैं कि सर्च कमेटी को तीन नाम प्रस्तावित करना जरूरी है. लेकिन राज्य का यूनिवर्सिटी एक्ट कहता है कि सर्च कमेटी को सिर्फ एक नाम प्रस्तावित करने का अधिकार है.
- बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने राज्य की 11 यूनिवर्सिटीज के कुलपतियों से इस्तीफा देने को कह दिया. राज्यपाल के फैसले को कुलपतियों ने केरल हाईकोर्ट में चुनौती भी दी है. और एकसाथ इतने कुलपतियों का इस्तीफा मांगने पर राज्यपाल और केरल सरकार में टकराव पैदा हो गया.
अब आगे क्या होगा?
- विजयन सरकार ने पहले ही केरल कलामंडल डीम्ड यूनिवर्सिटी के चांसलर पद से राज्यपाल को हटा दिया है. नियमों में संशोधन कर दिया है.
- नए नियमों के तहत, यूनिवर्सिटी का चांसलर आर्ट या कल्चर से जुड़ा कोई व्यक्ति होगा. उसका कार्यकाल 5 साल का होगा. कार्यकाल खत्म होने के बाद चांसलर का कार्यकाल एक बार और बढ़ाया जा सकता है.
- लेकिन अब सरकार सभी स्टेट यूनिवर्सिटीज के चांसलर पद से राज्यपाल को हटाने की तैयारी कर रही है. सरकार इसे लेकर अध्यादेश लाने की तैयारी में है. और अगर अध्यादेश को मंजूरी नहीं मिलती है तो फिर विधानसभा में बिल लाया जाएगा.
लेकिन तब भी राज्यपाल की मंजूरी तो चाहिए ही
- अगर विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा हो तो अध्यादेश लाकर कानून बनाया जा सकता है. लेकिन अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद 6 महीने के भीतर उसका बिल विधानसभा में पेश करना जरूरी है और वहां से कानून बनाना जरूरी है.
- लेकिन कोई अध्यादेश भी तभी पास होता है जब राज्यपाल उस पर हस्ताक्षर करते हैं. अगर राज्यपाल को लगता है तो वो उस अध्यादेश को रोक भी सकते हैं.
- इसलिए सरकार विधानसभा में बिल लाने की तैयारी कर रही है. पर बिल अगर विधानसभा से पास हो भी जाता है तो भी वो कानून तभी बनेगा जब राज्यपाल उस पर हस्ताक्षर करेंगे.
- संविधान के तहत, राज्यपाल किसी बिल को रोक सकते हैं, उसको संशोधित करने को कह सकते हैं या फिर विधानसभा को दोबारा विचार करने को कह सकते हैं. लेकिन अगर विधानसभा में फिर वही बिल बिना किसी बदलाव के पास हो जाता है तो राज्यपाल के पास उस पर हस्ताक्षर करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं होता.
- लेकिन यहां भी एक पेंच है. संविधान ने राज्यपाल के हस्ताक्षर करने की कोई समयसीमा तय नहीं की है.