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अमेरिकी राष्ट्रपति Biden ने ऐसा क्या कर दिया, जो उनपर ब्रेन की जांच का दबाव बनाया जा रहा? वाइट हाउस का रहा है इतिहास

राष्ट्रपति पद की बहस में मौजूदा प्रेसिडेंट जो बाइडेन का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं रहा. वे अपने कंपीटिटर डोनाल्ड ट्रंप से कमजोर दिखे. अब इसे लेकर बाइडेन की अपनी ही पार्टी के नेता इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. साथ ही चुनावों से उम्मीदवारी वापस लेने को भी कह रहे हैं. इस बीच एक डिमांड ये भी आई कि क्यों न बाइडेन का कॉग्निटिव टेस्ट करवाकर उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए.

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अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. (Photo- Pixabay)
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन पर लगातार सवाल उठ रहे हैं. (Photo- Pixabay)

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन 81 साल के हो चुके. कुछ समय से लगातार उनकी शारीरिक और मानसिक ताकत पर सवाल उठते रहे, लेकिन 27 जून को हुई प्रेसिडेंशियल डिबेट के बाद ये चर्चा जोर पकड़ चुकी कि क्या बाइडेन को कॉग्निटिव टेस्ट देना चाहिए. असल में बहस के दौरान राष्ट्रपति कई बार कन्फ्यूज लगे, यहां तक के उनके चेहरे पर कोई भाव तक नहीं थे. उनके हाथ-पैरों के ठीक से न करने की बात भी कई बार उठी. अब विपक्षी पार्टी ने उनके कॉग्निटिव टेस्ट की आधिकारिक मांग कर डाली. 

क्या कहा राष्ट्रपति ने

चिट्ठी के जवाब में हालांकि बाइडेन ने टेस्ट देने से साफ मना कर दिया. एनबीसी न्यूज के मुताबिक, उन्होंने कहा कि मैं हर रोज कॉग्निटिव टेस्ट से गुजरता हूं. हर काम में टेस्ट देता हूं. रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी के बाद से बाइडेन का कोई रुटीन मेडिकल एग्जाम नहीं हुआ, जो कि काफी चौंकानेवाली बात है. खुद वाइट हाउस के सेक्रेटरी ने इसका खुलासा किया था. 

क्या है कॉग्निटिव टेस्ट, जिसकी बात हो रही

एक खास बात ये है कि बाइडेन के पक्ष में खड़े लोग भी उनके टेस्ट की मांग कर रहे हैं ताकि सवाल उठा रहे लोगों के मुंह बंद हो जाए. तो क्या है वो टेस्ट जो अमेरिकी राष्ट्रपति को पद के लायक घोषित कर सकता, या उसपर सवाल उठा सकता है! ये सोच-समझ की जांच है, जिसमें ब्रेन फंक्शन जैसे सोचना, सीखना, याद रखना और भाषा का इस्तेमाल भी शामिल है. अगर ये चीजें सही नहीं हैं तो इसे कॉग्निटिव खराबी या विकलांगता माना जाएगा. 

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american president joe biden cognitive test demand reasons amid presidential election against donald trump photo Pixabay

कब होता है ये टेस्ट

जो लोग डिमेंशिया की शिकायत करते हैं, या फिर जिनमें ऐसे लक्षण होते हैं, जो बार-बार भूलते हैं, या फिर फैसले सही ढंग से नहीं ले पाते, उन्हें भी डॉक्टर ये टेस्ट करवाने को कहते हैं. ये अक्सर उम्रदराज मरीज होते हैं. 60 के बाद कॉग्निटिव दिक्कतें बढ़ जाती हैं, और 75 के बाद डर सबसे ज्यादा रहता है. इस लिहाज से देखा जाए तो बाइडेन रिस्क ग्रुप में हैं. हालांकि उन्हें ऐसा कोई टेस्ट करवाने और जांच रिपोर्ट देने से इनकार कर दिया. 

वाइट हाउस की मेडिकल यूनिट ने निकाली चिट्ठी

बाइडेन की जांच की बात इतनी ज्यादा खिंच गई कि खुद वाइट हाइस के डॉक्टर को इसपर बात करनी पड़ी. सोमवार को जारी एक लेटर में उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति का लगातार मेडिकल टेस्ट होता है और इसमें न्यूरोलॉजिकल स्पेशलिस्ट भी रहते हैं, जो देखते हैं कि अमेरिका के लीडर में डिमेंशिया या पर्किंसन्स जैसे लक्षण तो नहीं. मेडिकल यूनिट के पत्र के अनुसार, बाइडेन बिल्कुल सेहतमंद हैं. 

वाइट हाउस में बीमारियां छिपाने का इतिहास

पहले भी ऐसे कई मामले आ चुके, जब पद पर बने रहने के लिए राष्ट्रपति जानलेवा बीमारियां छिपाते रहे. दो कार्यकाल पूरा कर चुके ग्रोवर क्लीवलैंड ने बीमारी छिपाने की सारी हदें पार कर दीं. मुंह के कैंसर की तीसरी स्टेज में उन्होंने जहाज में सर्जरी करवाई और बहाना बनाया गया कि वे छुट्टियां मना रहे हैं. समुद्र की उछलती लहरों के बीच हो रही सर्जरी में डॉक्टरों के हाथ कांपने का खतरा था, जिससे मामला बिगड़ सकता था, लेकिन रिस्क लिया गया. उस समय क्लीवलैंड ठीक होकर लौटे लेकिन जल्दी ही उनकी मौत हो गई. माना जाता है कि ये समुद्री सर्जरी का नतीजा था, जिसकी वजह से कैंसर खत्म नहीं हो सका. इस बारे में आम जनता को जानकारी काफी देर से मिली.

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american president joe biden cognitive test demand reasons amid presidential election against donald trump photo AP

राष्ट्रपतियों के बीमारी छिपाने की आदत पर अमेरिकी इतिहासकार मैथ्यू एल्जिओ ने एक किताब भी लिखी. 'द प्रेसिडेंट इज अ सिक मैन' नाम की किताब में शारीरिक के साथ-साथ मानसिक बीमारियों का भी जिक्र है, जिनका असर देश पर भी पड़ा.

रूजवेल्ट ने अटैक को कहा अपच

लगातार तीन बार राष्ट्रपति रह चुके फ्रैंकलिन रूजवेल्‍ट का किस्सा सबसे अलग है. 40 साल की उम्र में रूजवेल्ट को पोलियो हुआ, जिसमें उनके दोनों पांव बेकार हो गए. ये वो समय था, जब पोलियो के कारण लाखों जानें जातीं, और जो बचते वे अपाहिज हो जाते. रूजवेल्ट ने जब अपने पहले कार्यकाल के लिए दावेदारी की, तब वे व्हीलचेयर पर ही थे. अमेरिकियों को इस बारे में पक्की जानकारी नहीं थी. ये टीवी या ऐसी घमासान कैंपेनिंग का दौर नहीं था, तो राज को राज रखना कुछ खास मुश्किल भी नहीं था. 

वाइट हाउस पहुंचने के बाद वे लगातार कई बीमारियों से घिरते चले गए, लेकिन किसी को भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी. यहां तक कि जब रूजवेल्ट को पहला हार्ट अटैक आया और मीडिया ने सवाल किए तो कहा गया कि उन्हें डायजेशन की समस्या हो रही है. रूजवेल्ट समेत अमेरिकी राजनीति पर बात करती किताब विसलस्टॉप में भी इस बारे में खूब खुलकर लिखा गया है. 

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वूड्रो विल्सन कई गंभीर बीमारियों के साथ-साथ वाइट हाउस पहुंचे. वे डबल विजन के मरीज थे, यहां तक कि दो बार दिल का दौरा पड़ चुका था. उनके शरीर का दायां हिस्सा ठीक से काम नहीं करता था. कागजों को पढ़ने और साइन करने में भी वे बहुत समय लेते.

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