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Budget 2024-25: कहां से कितना कमाएगी मोदी सरकार, कहां करेगी खर्च? आसान भाषा में समझें पूरा लेखा-जोखा

Budget 2024-25: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 का अंतरिम बजट पेश कर दिया है. इस साल सरकार ने 47 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च होने का अनुमान लगाया है. ऐसे में जानते हैं कि सरकार कहां से कमाएगी और उस रकम को कहां-कहां खर्च करेगी?

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2024-25 में सरकार 47 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च करेगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
2024-25 में सरकार 47 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च करेगी. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Budget 2024-25: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी बजट आज आ गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 का बजट पेश किया. हालांकि, ये अंतरिम बजट था. और चुनाव के बाद जुलाई में फुल बजट आएगा. 

बजट भाषण में निर्मला सीतारमण ने कहा, कुछ महीने बाद ही आम चुनाव हैं. ऐसे में आमतौर पर अंतरिम बजट में कोई नीतिगत घोषणाएं नहीं होतीं. लोकलुभावन वादे नहीं किए जाते. हमने उसी परंपरा को जारी रखा है.

बजट में सरकार बताती है कि उसकी कमाई कहां से होगी और वो कहां खर्च करेगी? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि सरकार 2024-25 में 47.65 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करेगी. और ये सिर्फ अनुमान है. इस खर्च के लिए सरकार को 30 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई तो टैक्स और दूसरी जगहों से हो जाएगी. लेकिन बाकी के खर्च पूरा करने के लिए सरकार उधार लेगी. 

सरकार की आमदनी टैक्स और ड्यूटी से होती है. लेकिन उसका खर्च सरकारी योजनाओं, राज्यों को देने, पेंशन देने, सब्सिडी देने और डिफेंस पर होता है. 

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कहां से कमाएगी?

अगर सरकार 1 रुपया कमाती है. तो उसका 28 पैसा उधारी का होगा. 19 पैसे इनकम टैक्स और 18 पैसे जीएसटी से मिलेंगे. 17 पैसे कॉर्पोरेशन टैक्स से आएंगे. 5 पैसा एक्साइज ड्यूटी और 4 पैसा कस्टम से आएगा. और बाकी का पैसा नॉन-डेट कैपिटल और नॉन-टैक्स रिसिप्ट से मिलेगा.

कहां खर्च करेगी?

सरकार जो 1 रुपया कमाएगी, उसका 20 पैसा तो लिए गए कर्ज पर ब्याज चुकाने में ही चला जाएगा. 20 पैसा राज्यों में बंट जाएगा. 16 पैसा केंद्र की योजनाओं और 8 पैसा केंद्र प्रायोजित योजनाओं पर खर्च होगा. इन सबके बाद 8-8 पैसा वित्त आयोग और डिफेंस के पास चला जाएगा. 6 पैसा सब्सिडी और 4 पैसा पेंशन पर खर्च हो जाएगा. 

सरकार कोई भी होगा, कर्ज बड़ा सहारा

चाहे किसी की भी सरकार हो, देश चलाने में कर्ज बड़ा सहारा है. मनमोहन सरकार में कमाई में 27 से 29 पैसा कर्ज से आता था. मोदी सरकार में ये कर्ज कम जरूर हुआ. लेकिन कोरोना ने कमर तोड़ दी. कोरोना के दौर में सरकार का सरकार की कमाई में कर्ज बेतहाशा बढ़ा. 

2021-22 में सरकार की 1 रुपये की कमाई में 36 पैसा उधारी का था. 2023-24 में सरकार की कमाई में 32 पैसा कर्ज का था. हालांकि, 2024-25 में ये थोड़ा कम होकर 28 पैसा हो गया है.

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जब कमाई कम और खर्च ज्यादा होता है तो सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ता है. वित्त वर्ष 2024-25 में सरकार का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 5.1% रहने का अनुमान है. हालांकि, सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.5% पर आने की बात कही है. 

बीते 10 साल में वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा सबसे ज्यादा 9.2% पहुंच गया था. ये वो साल था, जब कोविड महामारी अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी थी.

GDP का 57% से ज्यादा कर्ज

7 अगस्त 2023 को सरकार ने लोकसभा में कर्ज के बारे में जानकारी दी थी. वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया था कि 31 मार्च 2023 की स्थिति के अनुसार देश की जीडीपी का 57.1% हिस्सा कर्ज का है. यानी, जितनी देश की जीडीपी है, उसका 57% से ज्यादा तो कर्ज है. 

लोकसभा में सवाल के जवाब में सरकार ने बताया था कि 31 मार्च 2014 तक देश पर करीब 59 लाख करोड़ रुपये का कर्ज था. जो 31 मार्च 2023 तक बढ़कर 156 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया.

2024-25 के बजट दस्तावेज के मुताबिक, 31 मार्च 2024 तक देश पर कुल कर्ज 168.72 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. 31 मार्च 2025 तक ये कर्ज बढ़कर लगभग 184 लाख करोड़ रुपये हो सकता है.

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