राष्ट्रीय स्तर पर भले ही 2जी स्पेक्ट्रम, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला और अन्ना हजारे के आंदोलन जैसे मुद्दे ज्वंलत हो सकते हैं लेकिन नेहरु-गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले रायबरेली-अमेठी में चुनाव के मुख्य मुद्दों में खराब सड़कें, बिजली कटौती और खाद की कमी आदि प्रमुख हैं.
रायबरेली और अमेठी के तहत आने वाली विधानसभाओं में चुनाव के मुद्दे भी अन्य क्षेत्रों की तरह स्थानीय ही हैं.
स्थानीय लोग 2जी, राष्ट्रमंडल खेल घोटाला, लोकपाल पर हुए आंदोलन, बाबा रामदेव के आंदोलन और अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर बातचीत जरूर करते हैं लेकिन चुनाव के दौरान इनका खास महत्व नहीं दिखाई देता.
हालांकि स्थानीय लोग अपनी समस्याओं के लिए अपने सांसदों-रायबरेली से सोनिया गांधी तथा अमेठी से राहुल गांधी को जिम्मेदार नहीं मानते.
अधिकतर स्थानीय लोग कहते हैं कि मायावती सरकार इन क्षेत्रों के साथ सौतेला व्यवहार अपना रही है और केंद्रीय धन का इस्तेमाल नहीं कर रही.
हालांकि वे इस ओर भी इशारा करते हैं कि सोनिया और राहुल के नाम पर वोट तो मिलेंगे लेकिन सभी 10 विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के उम्मीदवारों की जीत संभव नहीं लगती क्योंकि स्थानीय विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं.
अमेठी के तिलोई इलाके में एक चाय विक्रेता ने कहा, ‘यहां रात 11 बजे से सुबह सात बजे तक बिजली आती है. इसके अलावा यदि बिजली आती है तो बड़े नसीब की बात है.’ ग्रामीण इलाकों के लोग खाद की कमी से परेशान दिखाई देते हैं. मांग बढ़ने से खाद की कीमतें भी बढ़ गयी हैं.
अमेठी के रहने वाले छत्रपाल सिंह ने कहा, ‘हर जगह भ्रष्टाचार है. हमें राशनकार्ड के लिए, जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए या अन्य किसी सरकारी दस्तावेज के लिए रिश्वत देनी पड़ती है.’ कुछ मतदाता हजारे के बारे में बातचीत करते हैं लेकिन उनका कहना है कि यहां किसी भी सीट के चुनाव पर उनके आंदोलन का असर शायद नहीं पड़ेगा.
उधर ईंट के भट्टे पर काम करने वाले रामेश्वर शर्मा ने कहा, ‘यह वीआईपी क्षेत्र हो सकता है लेकिन हमें क्या मिला. हम गांधी परिवार के सम्मान में सोनिया गांधी और राहुल को वोट देते हैं लेकिन रायबरेली और अमेठी की सभी 10 विधानसभाओं में कांग्रेस उम्मीदवारों को जनता का समर्थन मिलने की उम्मीद नहीं है.’