देश के संविधान ने हर नागरिक को बोलने की आजादी दी है. और इस अधिकार का इस्तेमाल करने में हमारे नेता भी पीछे नहीं रहते हैं. पर जरूरी नहीं कि हर बयान की काबिल-ए-तारीफ हो.
कभी-कभार यह बयानबाजी नेताओं के अपने या फिर यूं कहें, उनकी पार्टी की ही फजीहत करने का काम करती है.
दरअसल यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान भी नेता वोटरों को लुभाने के लिए जमकर बोले. अपने भाषणों के जरिए प्रतिद्वंदियों पर हमला बोला तो टीवी इंटरव्यू के जरिए पार्टी में खुद की साख बढ़ाने के चक्कर में अपनों को भी नहीं बख्शा.
चुनावी बयानबाजी के इस सुपरफास्ट दौर में जनता श्रोता बन रही. चुपचाप सुना. और अपनी प्रतिक्रिया वोट के जरिए दे डाली.
आइए एक नजर डालते हैं उन बयानों पर जिन्होंने पार्टियों के घोषणा पत्र से भी ज्यादा सुर्खियां बटोरी.
'चाहे मुझे चुनाव आयोग फांसी भी दे दे, पर पसमंदा मुसलमानों को उनका हक (आरक्षण) दिलाकर रहूंगा.'-सलमान खुर्शीद ( कानून मंत्री, भारत सरकार)
‘चुनाव आयोग चाहे तो मुझे नोटिस दे दे लेकिन मुसलमानों का आरक्षण बढ़ाया जाएगा.’-बेनी प्रसाद वर्मा (केन्द्रीय इस्पात मंत्री, भारत सरकार)
'चुनाव में जाकर क्या बोलें, हनुमान चालीसा पढ़ें'- बेनी प्रसाद वर्मा (केन्द्रीय इस्पात मंत्री, भारत सरकार)
'उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को बहुत नहीं, तो राष्ट्रपति शासन लागू होगा'- श्रीप्रकाश सिंह जयसवाल (कोयला मंत्री, भारत सरकार)
'राहुल गांधी चाहें तो रात को 12 बजे देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं.'-श्रीप्रकाश सिंह जयसवाल (कोयला मंत्री, भारत सरकार)
'प्रदेश का मुख्यमंत्री चाहे कोई भी हो रिमोट कंट्रोल तो राहुल गांधी के पास ही होगा.'-श्रीप्रकाश सिंह जयसवाल (केन्द्रीय इस्पात मंत्री, भारत सरकार)
'भाजपा में मुख्यमंत्री पद के 55 उम्मीदवार हैं.'-वरुण गांधी, भाजपा सांसद (पिलीभीत)
'हमारी सरकार आई तो बलात्कार पीड़ितों को नौकरी दी जाएगी.'- मुलायम सिंह यादव (सपा सुप्रीमो)