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टीवी स्टार्स का दशहरा: किसी के लिए 'स्वार्थ' तो किसी के लिए 'कोरोना' है रावण

दशहरा के मौके पर हमने टीवी स्टार्स से बात कर यह जानना चाहा कि आखिर वे किसे रावण मानते हैं. कुछ स्टार्स ने स्वार्थ और हमारे अंदर के रावण को खत्म करने की बात कही, तो वहीं कुछ बॉडी शेमिंग और कोरोना को रावण मानते हैं.

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सौम्या टंडन, जूही परमार और देबीना बनर्जी
सौम्या टंडन, जूही परमार और देबीना बनर्जी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • टीवी के सिलेब्स ने बताया कौन हैं उनका रावण
  • कोई भूखमरी, तो कोई कोरोना को करना चाहता है खत्म

विजय दशमी का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है. कहा जाता है कि इस दिन हम रावण रुपी अपनी बुराईयों को खत्म कर अच्छी चीजों पर फोकस करते हैं. 

हमारे समाज में ऐसी कई बुराईयां हैं, जिसे हम जड़ से खत्म करना चाहते हैं. कोई असाक्षरता को बुरा मानता है, तो कोई महिलाओं से जुड़े अपराध को रावण के रूप में देखता है. सिलेब्स से बातकर हमने जानना चाहा कि आखिर वे समाज के किस इश्यू को रावण मानते हैं और उसका खात्मा करना चाहते हैं. 

 

गुरमीत चौधरी

हमें स्वार्थ को खत्म करने की जरुरत गुरमीत: चौधरी 

मुझे लगता है कि सोसायटी में जिस रावण से खुद को दूर रखकर उसका खात्मा करना है, वो है स्वार्थ. मैं मानता हूं कि सिर्फ अपने बारे में सोचना यह सबसे गंदी बात है. इसस तरह की सोच से हमें दूर रहने की जरूरत है. आज का वक्त ऐसा है कि सिर्फ आप खुद के बारे में नहीं सोच सकते हैं. आज के समय से अपने पड़ोसी और लोगों की मदद करना बहुत जरूरी है. आज की जनरेशन थोड़ी सेल्फ सेंट्रिक हो गई है. उनके जेहन से यह निकालना होगा कि हमें खुद से बाहर निकलकर बाकि के बारे में भी सोचने की जरूरत है. इससे हम खुद भी ग्रो कर पाएंगे और एक बेहतर समाज का निर्माण कर पाएंगे. 

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देबीना बनर्जी

रावण तो हमारे अंदर ही है : देबीना बनर्जी 

जब मेरा पहला ब्यूटी पैजेंट था, उस वक्त मैंने इसी सवाल का जवाब दिया था. मुझे पूछा गया था कि दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा अपने मायके आती हैं, तो असूर किसके पास जाते हैं. तो मेरा जवाब यही था कि वे अपने लोगों के पास आते हैं, क्योंकि हम असूर ही हैं. अगर मुझसे रावण के बारे में पूछा जाए, तो मेरा आंसर यही रहेगा कि हम खुद ही रावण हैं. हमारे अंदर के इंसानियत को जगाने की जरूरत है. समाज में लोभ, क्रोध इतना सबकुछ है कि किसे-किसे आप खत्म करेंगे. इसलिए मैं कहूंगी कि आप खुद को बदलें, तो बाकि चीजें अपने आप ही बदल जाएंगी. आपको ही अपने अंदर राम और रावण के बीच का अंतर समझने की जरूरत है. 

जूही परमार

बॉडी व ऐज शेमिंग जैसे रावण मनोबल तोड़ते हैं : जूही परमार 

समाज में तो वैसे कई रावणरुपी चीजें हैं जिसे खत्म करने की उम्मीद रखती हूं, फिलहाल मैं चाहूंगी कि लोग एक दूसरे को जज करना बंद करें. यहां औरतें तुरंत जज कर दी जाती हैं. लोगों को किसी भी चीज के लिए जज किया जाता है. बॉडी शेमिंग और ऐज शेमिंग आम बात होती जा रही है. इनका खत्म होना बहुत जरूरी है. इस तरह की निगेटिविटी लोगों का मनोबल तोड़ती है.  

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तनुज महाशब्दे

 

कोरोना और आतंकवाद को मानता हूं रावण : तनुज महाशब्दे 

मैं फिलहाल रावण तो कोरोना को मानता हूं. कोरोना ने जिस तरह से पूरे विश्व को परेशान कर दिया है. इसे जल्द से जल्द खत्म हो जाना चाहिए. इसके अलावा मैं आतंकवाद को भी रावण समझता हूं. आतंकवाद ने भी पूरे विश्व के नाक पर दम कर रखा है. कितने लोगों की जाने गई हैं. ये दोनों रावण को जल्द से जल्द खत्म होने की जरूरत है. 

सौम्या टंडन

भूखमरी जैसे रावण का हो दहन : सौम्या टंडन 

मैं पिछले दिनों ही एक आर्टिकल पढ़ रही थी कि कोविड की वजह से बहुत से लोग जो गरीबी से रेखा से उपर आए थे, वो दोबारा नीचे चले गए. भूखमरी इतनी बढ़ गई है कि रात में कितने सारे लोग हैं, जो भूखे पेट सो रहे हैं. कितने छोटे बच्चे हैं, जिन्हें दुध नहीं मिल पा रहा है. मुझे जो चीज सबसे ज्यादा तकलीफ दे रही है कि भूखमरी हमारी सोसायटी से हट जाए. कोविड के बाद यह बहुत बढ़ गई है. मैं इसे ही समाज का सबसे बड़ा रावण मानती हूं और चाहती हूं कि जल्द ही इसका दहन हो और लोग इससे निकलें. कोई भी बच्चा भूखा पेट न सोए.  

 

 

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