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नया पैर लगवाने को नहीं पैसे, बेटे को लाइलाज बीमारी, जोधा-अकबर फेम एक्टर ने सुनाया दर्द

जोधा अकबर सीरियल में काम कर चुके एक्टर लोकेंद्र सिंह इन दिनों पैसे की तंगी और अपनी बीमारी से जुझ रहे हैं. लोकेंद्र ने आजतक से खास बातचीत के दौरान बताया कि उनका छोटा बेटा भी ऑटिज्म से ग्रसित है. पैसे की आर्थिक तंगी की वजह से बेटे की स्पेशल क्लासेस भी बंद करने पर मजबूर हैं.

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लोकेन्द्र राजावत
लोकेन्द्र राजावत
स्टोरी हाइलाइट्स
  • लोकेंद्र सिंह ने गंवाया अपना पैर
  • पैर से ज्यादा अपने बेटे की सता रही है चिंता
  • ओटिज्म से ग्रसित हैं छोटा बेटा

पिछले कुछ दिनों जोधा अकबर सीरियल फेम एक्टर लोकेंद्र अपनी बीमारी को और आर्थिक तंगी को लेकर चर्चा में हैं. बता दें, डायबिटीज की वजह से लोकेंद्र कुछ समय पहले ही अपना एक पैर गंवा चुके हैं.

aajtak.in से खास बातचीत के दौरान लोकेंद्र ने बताया कि उन्हें खुद से ज्यादा अपने बेटे की चिंता सता रही है. दरअसल लोकेंद्र के छोटे बेटे ऑटिज्म जैसी लाइलाज बीमारी से गुजर रहे हैं. 

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सबकुछ बर्बाद हो गया है

लोकेंद्र बताते हैं, 'काफी समय से डायबिटीज हुआ है. इस बीमारी ने मेरे पैर तक छीन लिए हैं. लेकिन खुद से ज्यादा छोटे बेटे को लेकर परेशान हूं. मेरे परिवार में चार लोग रहते हैं. मेरा छोटा बेटा 13 साल का है और उसे ऑटिज्म डिटेक्ट हुआ था. हमारा पूरा ध्यान अपने छोटे बेटे को ठीक करने में लगा रहता था. पत्नी ने अपना सबकुछ छोड़ बच्चे की देखभाल में लगा दिया था. मेरी कमाई का ज्यादातर हिस्सा उसी के मेडिकल ट्रीटमेंट, दवाइयां और स्पेशल क्लासेस में जाता था. जब से मेरी बीमारी ने जोर पकड़ा है, सबकुछ बर्बाद हो गया.

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पैर गंवाने से ज्यादा बेटे के बीमारी की चिंता 

लोकेंद्र बताते हैं, मेरी बीमारी और खर्चे की वजह से उसकी देखभाल अब नहीं हो पा रही है. जिससे उसके ट्रीटमेंट पर रोक लग गया है. सच कहूं, पैर गंवाने का उतना गम नहीं है, जितना अपने छोटे बेटे को ऐसे लाचार देख कर होता है. वो घंटों टीवी के सामने बैठा रहता है और न ही कुछ बोलता है और न ही समझता है. उसे तो ये भी नहीं पता कि उसके पिता का पैर चला गया है. 

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बड़े बेटे ने संभाल ली है जिम्मेदारी

लोकेंद्र अपने बड़े बेटे के बारे में कहते हैं, उसकी पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी है. अब सारा भार उसपर आ गया है. अब वो ही जैसे-तैसे हमारे परिवार को संभाल रहा है. अगर मुझे एक आर्टिफिशियल पैर मिल जाए, तो मैं भी काम करने के लायक बन जाऊंगा और बेटे की मदद करूंगा. 

आर्टिफिसियल पैर के लिए पैसे तक नहीं 

अपनी इलाज को लोकेंद्र कहते हैं, सिन्टा की ओर से पैसे मिले हैं.डॉक्टर ने कहा है अगर मुझे आर्टिफिसियल पैर लगा दिए जाते हैं, तो मैं अपनी मर्जी से काम कर पाऊंगा. जिसका खर्च लगभग ड़ेेेढ़ लाख रुपये बता रहे हैं. हमारे पास इतना भी पैसा नहीं है कि अपने लिए पैर खरीद सकूं. 

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