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Raju Srivastava demise: गजोधर भैया तुम याद्दाश्त में कैद हो, जब भी याद आओगे हंसाते रहोगे

कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव अब हमारे बीच नहीं रहे. उनका अलविदा कह जाना कॉमेडी जगत के लिए बड़ी क्षति है. राजू श्रीवास्तव ने भारत में कॉमेडी को बड़े नामों की नकल से निकालकर आम आदमी को उसका केंद्र बनाया. भारत में आज के कॉमेडी कल्चर को जो आकार मिला है, उसकी नींव में राजू श्रीवास्तव की ऑब्ज़र्वेशन बेस्ड कॉमेडी मिलेगी.

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राजू श्रीवास्तव
राजू श्रीवास्तव

एक समय था जब हमारे देश में कॉमेडी का मतलब हिंदी फ़िल्म कलाकारों की मिमिक्री होता था. अंग्रेज़ी दुनिया में उस वक़्त रिचर्ड प्रायर, बिल कॉस्बी और जॉर्ज कार्लिन जैसे बड़े नाम क्रांतिकारी कॉमेडी का काम कर रहे थे. लेकिन हिंदुस्तान में हंसाने का काम इक्का-दुक्का लोग ही संभाल रहे थे और ऐसा महंगे लोगों की पार्टियों में ही हो रहा था. कॉमेडी क्लब्स और लाइव परफ़ॉरमेंस अभी दूर की कौड़ी थी. जॉनी लीवर एकमात्र नाम था जो स्टेज पर कॉमेडी करने से जोड़ा जाता था.

इसके अलावा, शैल चतुर्वेदी, अरुण जैमिनी, केपी सक्सेना, सुरेन्द्र शर्मा आदि की बदौलत, हिंदी पट्टी में होने वाले कवि-सम्मेलनों को धीरे-धीरे स्टैंड-अप कॉमेडी की शक्ल मिलने लगी थी. लेकिन उसे कविता-गान से पूरी तरह बाहर आने की इजाज़त नहीं मिल सकी. लेकिन ऑडियो कैसेट्स की आमद के साथ एक शख्स जो हमारे घर में आकर हमें हंसाने लगा, वो था राजू श्रीवास्तव. 'हंसी के हंगामे' नाम की कैसेट में राजू श्रीवास्तव ने गजोधर भइय्या के मुंह से फ़िल्म शोले की कहानी सुनाई और वो हमेशा के लिये हमारी याद्दाश्त में क़ैद हो गए.

भयानक हिट हुए राजू के शो, गजोधर के साथ आए संकटा, बिरजू भी 

हिंदी पट्टी के छोटे शहरों के नये लोग धीरे-धीरे मेट्रो शहरों की ओर बढ़े और बातचीत के साथ राजू का नाम फैला. लेकिन देश ने एक साथ राजू श्रीवास्तव के दर्शन किये स्टार वन पर आने वाले भयानक हिट हुए शो 'द ग्रेट इंडियन लाफ़्टर शो' में. और यहां उन्होंने ख़ुद को स्थापित कर दिया. इस शो के पहले विजेता सुनील पाल लगातार मिमिक्री करते हुए आये थे. हालांकि इसी दौरान उनका कैरेक्टर 'रतन नूरा' ("मेरा नाम है रतन नूरा, काम करता हूं खतम पूरा...") ख़ूब सराहा गया. लेकिन राजू श्रीवास्तव के ऐक्ट की विषय वस्तु सबसे अलग रहती थी. और ऐसा कतई नहीं है कि वो कोई आउट-ऑफ़-द-वर्ल्ड टॉपिक लेकर आते थे. राजू ने बार-बार, लगातार, ऐसे विषय चुने जो हमारी रोज़ की ज़िन्दगी से जुड़े हुए थे. मसलन, राजू ने एक मौके पर एक ट्रेन का रोल किया. वो मुंबई की उस लोकल ट्रेन की ऐक्टिंग कर रहे थे जो यार्ड में अभी-अभी धुली गयी है और स्टेशन पर पहुंच रही है, जहां हज़ारों की भीड़ उसका इंतज़ार कर रही है. वो ट्रेन प्लेटफ़ॉर्म पर रुकती है और लोगों से कहती है, "आओ... घुसो...". इंसान भले ही कभी मुंबई नहीं गया हो लेकिन ट्रेन और उसमें होने वाली भीड़ से तुरंत जुड़ा हुआ पाता है और ठहाका मार के हंसता है. इसके बाद राजू एक के बाद एक ऐसे ऐक्ट लाते गए. और इस दौरान गजोधर का साथ तो उन्होंने नहीं ही छोड़ा बल्कि साथ में उसके दो दोस्त संकटा और बिरजू को भी ले आये.

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जब राजू के पास शाहरुख़ खान ख़रीदने पहुंचे सब्ज़ी 

'बेटी की शादी' ऐक्ट में राजू श्रीवास्तव ने चीज़ों को बारीक़ी से देखने और उन्हें पकड़कर कॉमेडी ऐक्ट में लाने का जो काम किया, उसे बहुत ऊंचे पायदान पर रखा जा सकता है. शादी के दौरान लाइट चले जाने पर घर की छोटी लड़की के दुख और दांत में लकड़ी फंसाए घूम रहे लड़की के मामा की ऐंठ और दूसरे कैरेक्टर का कहना 'ऐसा है भइय्या, जनरेटर तो ला दें हम 10. गुरु लेकिन हम आगे बढ़के नेतागिरी नहीं करते हैं...', इसने राजू को सभी से तुरंत जोड़ दिया. क्या बच्चे और क्या बड़े, सभी राजू के कॉन्टेंट से जुड़े दिखते थे. और यहीं कानपुर से आने वाला, अमिताभ बच्चन की हेयरस्टाइल की नकल करने वाला राजू श्रीवास्तव तरक्की के रास्ते पर चल पड़े कॉमेडी सीन में अलग दिख रहे थे.

राजू श्रीवास्तव ने भारत में कॉमेडी को बड़े नामों की नकल से निकालकर आम आदमी को उसका केंद्र बनाया. उनके ऐक्ट में शाहरुख़ खान को सब्ज़ी ख़रीदने जाना होता था जहां उनके हाव-भाव को देखकर सब्ज़ी वाला उन्हें एक आम इंसान की तरह ट्रीट करते हुए कहता था - "हां, ये कर लो पहले."

राजू श्रीवास्तव पर वायरल मीम

आगे चलकर ये एक बहुत इस्तेमाल किया जाने वाला मीम भी बना. उनका गजोधर शोले भी देखता था और टाइटेनिक भी. उनके ऐक्ट के गुंडे अपना धंधा बदलकर प्रवचन देने का काम कर रहे थे. वो फ़िल्म स्टार के बारे में बात इसलिये करते थे जिससे बता सकें कि एक आम आदमी अगर सलमान ख़ान को किसी की अर्थी को कंधा देते वक़्त भी देख ले, उस मौके पर भी वो उस स्टार पर कैसे कमेन्ट करेगा. वो एक ऐसे फ़िल्मी फ़ैन की तस्वीर भी पेश करते हैं जो सांताक्रूज़ के श्मशान घाट के पास इसलिये रहता है जिससे फ़िल्म स्टार्स के मरने पर उसे ज़्यादा से ज़्यादा फ़िल्मी लोगों से मिलने का मौका मिल सके. और इसके ज़रिये वो ब्लैक कॉमेडी का तगड़ा ऐक्ट परोसते हैं जिसे छूने से लगभग हर कोई बचता है, या फिर उसे मालूम ही नहीं होता कि ऐसे मौकों को भी एक कॉमेडी ऐक्ट का हिस्सा बनाया जा सकता है.

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स्टार वन पर राजू श्रीवास्तव की एंट्री के चलते जो हुआ, उसने भारतीय ग़ैर-फ़िल्मी कॉमेडी के मामले में क्रांतिकारी बदलाव किया. भारत में आज के कॉमेडी कल्चर को जो आकार मिला है, उसकी नींव में राजू श्रीवास्तव की ऑब्ज़र्वेशन बेस्ड कॉमेडी मिलेगी. जैसा कि स्टैंड-अप कॉमिक पुनीत पनिया कहते हैं कि 'राजू ने कुछ ऐसे सेट्स परफ़ॉर्म किये हैं जो लेजेंड्री हैं. जैसे आप को उनके गजोधर जैसे कैरेक्टर याद हैं. या फिर उन्होंने एक बार बताया था कि एक ट्रेन में ऊपर लटका हुआ हैंडल कैसा महसूस करता है. इतनी विशाल ऑडियंस के लिये इस तरह के ऐक्ट बेजोड़ हैं. वो कैरेक्टर करते थे लेकिन वो कैरेक्टर कोई फ़िल्म स्टार नहीं होता था. लेकिन आपको समझ में आ जाता था कि वो किसके बारे में बात कर रहे हैं. पहले तो यही समझा जाता था कि कॉमेडी को लाउड होना चाहिये, उसमें अलग-अलग आवाजें या मिमिक्री होती है. लेकिन राजू ने ये सब बदल दिया." 

 

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