सात साल में जीता था बेस्ट एक्टर अवॉर्ड
मराठी फैमिली में जन्में अशोक सराफ बचपन से ही थिएटर के शौकीन रहे हैं. थियेटर की दुनिया में उनका परिचय उनके मामा ने करवाया है. अशोक बताते हैं, मेरे मामा हमारे साथ ही रहते थे. वे थिएटर आर्टिस्ट थे और उनकी खुद की थियेटर कंपनी भी थी. हमारे घर पर बचपन से ही थियेटर का माहौल था. घर पर कई दिग्गज आते-जाते रहते थे. मैं उनके काम से काफी प्रभावित था. यही वजह है मैंने बचपन से ही थियेटर करना शुरू कर दिया था. सात साल की उम्र में मैंने फिल्म में काम किया था. इस फिल्म के लिए मुझे बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी मिला था.
थियेटर ही मेरा पहला प्यार है
मैंने अपने करियर में बहुत सी फिल्में और टीवी शोज किए हैं लेकिन जो खुशी थियेटर के स्टेज पर जाकर मिलती है, उसे बयां कर पाना मुश्किल है. मैं थियेटर को ही अपना पहला प्यार मानता हूं. अक्सर थियेटर आर्टिस्ट की शिकायत रही है कि पैसे कम होते हैं, जिसे नकारा भी नहीं जा सकता है. मैंने थियेटर में अपनी फीस बढ़ाने के मकसद से इंडस्ट्री में काम किया. आपकी जितनी शौहरत होती है, थियेटर में उस हिसाब से आपको पैसे मिल जाते हैं. फिल्म और टीवी करने के बाद जब मैं थियेटर लौटा, तो पहले की फीस और बाद की फीस में जमीन आसमान का अंतर था.
पत्नी की सपोर्ट के बिना सक्सेस हैंडल नहीं कर पाता
आज मेरे करियर में मेरी पत्नी का बहुत बड़ा योगदान है. अगर वो सपोर्टिव नहीं होती थी, तो शायद मैं बिखर जाता. उसने कभी घर की प्रॉब्लम मेरे पास नहीं आने दी. वो हर कुछ मैनेज कर लेती थी. आज अगर सक्सेसफुल हूं, तो उसका क्रेडिट मेरी वाइफ को ही जाता है. वो खुद एक बेहतरीन अदाकारा हैं. इन दिनों मराठी शो की शूटिंग के सिलिसिले में दमन में हैं. हमारा एक बेटा है, लेकिन वो इस ग्लैमर इंडस्ट्री से काफी दूर है. वो टोरंटो में मास्टर सेफ है.
पहली कमाई थी पांच सौ रुपये
एक्टिंग से मेरी पहली कमाई पांच सौ रुपये थी. उस वक्त यह रकम भी बहुत ज्यादा होते थे. अपनी पहली कमाई के पैसे मैंने भगवान को भेंट चढ़ा दी और उसके बाद सारे पैसे परिवार को दे देता था, जिससे घर चलाने में मदद मिल सके.
21 साल से हूं टीवी से दूर, दमदार रोल पर करूंगा वापसी
मेरा लास्ट टीवी शो डोंट वरी हो जाएगा था. इस शो के बाद आज 21 साल होने को है, मैंने टीवी की तरफ मुड़कर नहीं देखा. ऐसा नहीं है कि मैं टीवी नहीं करना चाहता लेकिन मुझे कोई ऐसे शो मिले ही नहीं जिसमें वो बाद नजर आए. महज पैसा कमाने के लिए काम नहीं करना है. आज आप ही देखें, टीवी की क्वालिटी में कितना फर्क आय़ा है. पहले किरदार जुबानी याद रहते थे लेकिन आज कई ऐसे लीड एक्टर होंगे, जो दो साल काम करते हैं फिर भी उन्हें कोई पहचानता नहीं. जब तक कोई दमदार रोल नहीं मिलता है, मैं वापसी नहीं कर रहा.
आज भी नॉर्थ इंडिया के लोग मुझे आनंद माथुर के नाम से जानते हैं
हम पांच शो ने पूरे घर-घर पर पहुंचा दिया. खासकर नॉर्थ इंडिया में तो आज भी लोग आनंद माथुर के नाम से ही जानते हैं. जब भी एयरपोर्ट में किसी से मुलाकात होती है, तो वे मुझे माथुर साहब कहकर ही अड्रेस करते हैं. मुझे अच्छा लगता है कि शो के इतने सालों बाद भी आज भी मेरा किरदार उनके जेहन में ताजा है. मुझे कोई गिला नहीं कि उन्हें मेरा असली नाम नहीं पता है. बल्कि मुझे खुशी है और चाहूंगा कि उनके लिए मैं आनंद माथुर ही रहूं.
आज भी अपनी ऑनस्क्रीन बेटियों से टच में हूं
हम पांच में मेरी जो पांच बेटियां बनी हैं. आज भी उनसे टच में हूं. कभी-कभार फोन पर हमारी बातचीत हो जाती है. चूंकि मैं सोशल मीडिया पर बिलकुल भी एक्टिव नहीं हूं, तो वॉट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम का आइडिया नहीं है. जब उन्हें मेरी याद आती है, तो वे कॉल कर मेरा हालचाल पूछ लेती हैं. मैं सबके ग्रोथ से काफी खुश हूं. उस शो ने हमें बतौर परिवार कनेक्ट किया था.
सेट पर विद्या पानी और चाय लाकर देती थी
विद्या बालन की तरक्की देखकर बहुत खुशी होती है. कभी नहीं सोचा था कि वो राधिका जो हमेशा सहमी सी रहती है. आज बॉलीवुड में राज करेगी. आपको यकीन नहीं होगा, जब वो सेट पर थी, तो उन्हें देखकर कोई कह नहीं सकता था कि एक्ट्रेस हैं. बेहद ही सरल और मासूम सी थी. कई बार तो मैं कह देता था कि जा विद्या स्पॉट दादा को थोड़ा पानी या चाय बोलकर आ जा. और वो जाकर खुद पानी व चाय लेकर आ जाती थी. हां, काम के प्रति उसकी मेहनत दिखती थी. मैं तो उसकी हिंदी से काफी प्रभावित हो गया था. साउथ इंडियन होने के बावजूद उसकी हिंदी जबरदस्त की थी.