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सुशांत को ब्योमकेश बनाने में जुटे दिबाकर

दिबाकर बनर्जी जोर-शोर से अपनी आने वाली फिल्म ब्योमकेश बख्शी की तैयारियों में जुटे हुए हैं. वे किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. इसलिए वे फिल्म में ब्योमकेश बन रहे सुशांत सिंह राजपूत को कोलकाता ले जा रहे हैं. 

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सुशांत सिंह राजपूत और दिबाकर बनर्जी
सुशांत सिंह राजपूत और दिबाकर बनर्जी

दिबाकर बनर्जी जोर-शोर से अपनी आने वाली फिल्म की तैयारी में जुटे हुए हैं. डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी को लेकर वे बहुत ज्यादा उत्साह में हैं. इस फिल्म में वो किसी भी प्रकार की कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. इसलिए वे सुशांत सिंह राजपूत को कोलकाता ले जा रहे हैं. सुशांत ब्योमकेश बख्शी का किरदार निभा रहे हैं.

ब्योमकेश 1930-40 के दशक का बेहद दिलचस्प और चर्चित किरदार है. दिबाकर चाहते हैं कि सुशांत ब्योमकेश के किरदार में पूरी तरह से घुस जाएं और उस किरदार में घुसने के लिए यह जरूरी है कि उन्हें बंगाली संस्कृति से अच्छी तरह से वाकिफ कराया जाए और उसके माहौल में वे पूरी तरह से खुद को जमा पाएं.

दिबाकर यूं तो सुशांत को कोलकाता ले जा रहे हैं लेकिन वे पुराने कलकत्ता से रू-ब-रू कराएंगे. दिबाकर और सुशांत वहां दो-तीन हफ्ते तक रहने वाले हैं और उस दौरान वो किसी भी बड़े या 5 स्टार होटल में नहीं रुककर किसी साधारण सी जगह पर रहेंगे. साथ ही दिबाकर उन्हें कई और पुरानी चीज़ों का भी अनुभव करवाएंगे.

दिबाकर बनर्जी कहते हैं, 'मैं सुशांत को यूनिवर्सल बंगाली में तब्दील करना चाहता हूं. जैसे इसकी शहरी संस्कृति में रमने, भीड़ भरे स्टूडेंट बोर्डिंग हाउस में रहने, सड़क किनारे खाने और मैदान के चारों ओर घूमना, कॉफी हाउस में अड्डा, कॉलेज स्ट्रीट पर किताबें ढूंढना, नेशनल लाइब्रेरी में पढ़ना, थिएटर रोड पर जात्रा देखना, लाइटहाउस पर विंटेज फिल्म देखना, टांगरा में चाइनीज व्यंजनों का लुत्फ उठाना. जब वे यह सब सीख जाएंगे तब वे ब्योमकेश की दिशा में पहला कदम बढ़ा लेंगे. मैं यह सब इसलिए कर रहा हूं क्योंकि 14 साल की उम्र के बाद मुझे इस तरह का मजा कभी नहीं आया था.'

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