"मेरे बच्चे.." डायलॉग तो सुना ही होगा. ये डायलॉग है सिद्धार्थ कुमार तिवारी की महाभारत के शकुनि का जो 2013 में स्टार प्लस पर ऑन एयर हुई थी और अब लॉक डाउन के चलते दूरदर्शन, कलर्स, स्टार भारत पर बी आर चोपड़ा की महाभारत के साथ-साथ स्टार प्लस पर भी सिद्धार्थ कुमार तिवारी का सीरियल महाभारत चल रहा है. इस महाभारत को भी दर्शक बेहद पसंद कर रहे हैं और शकुनि मामा के डायलॉग तो वायरल होने लगे हैं. 30 साल की उम्र में शकुनि मामा का किरदार निभाने वाले प्रणीत भट्ट ने आजतक से खास बातचीत की और उन दिनों की यादों को ताजा किया..
नेगेटिव किरदार करना चाहते थे प्रणीत
जब मैंने महाभारत का ऑडिशन दिया तब मैं सीरियल गीत कर रहा था, उसमें पॉजिटिव किरदार था और महाभारत से मुझे फोन आया था पॉजिटिव किरदार के लिए जो मैं गीत में कर ही रह था. मैं नेगेटिव करना चाहता था क्योंकि हर एक्टर की एक जर्नी होती है और मैं एक थिएटर आर्टिस्ट हूं. और मैंने एक और शो किया था अर्सलान उसमें मैं सुपर हीरो था, तो मैं हर शो के बाद अलग रोल करना चाहता था ताकि अपनी कला को और परफेक्ट करने का मौका मिले. उस समय जो क्रिएटिव थे वो मेरे साथ अर्सलान मे काम कर चुके थे.
शकुनि के किरदार से डर गए थे प्रणीत
पहले तो बड़ा मन था नेगेटिव रोले का और जब शकुनि का रोल मिला तो मैं डर गया. मिला भी तो इतना बड़ा विलन क्योंकि अब तो वो रेस्पांसिबलिटी हो गई, वो किरदार अगर सही से पोट्रे नहीं कर पाया तो लोग बोलेंगे क्या बेकार एक्टर हैं. उस समय तो करियर ही खत्म होने का डर था, तो एक दिन मैं हिम्मत बांधकर सिद्धार्थ जी के पास गया और बोला कि आपको लगता है कि मैं शकुनि का किरदार निभा लूंगा.
उन्होंने मुझे देखा और बोले 'डर रहा है' तो मैंने कहा हां मुझे अब डर लग रहा है. तब वो बोले कि 'हां अच्छा है डर रहा है, इसका मतलब है तुझे किरदार की ग्रेविटी मालूम है'. फिर उन्होंने मुझे महाभारत को समझने के लिए दो महाभारत की किताबें दी, मैंने उन्हें पढ़ा और फिर मैंने दो तीन अलग ऑथर की महाभारत पढ़ी, शकुनि मामा को अच्छे से समझा फिर मुझे शकुनि मामा से मोहब्बत हो गई.
शकुनि बनने के लिए प्रणीत ने क्या-क्या किया?
मैं पूरी टीम को थैंक्स कहना चाहता हूं जिसने सीरियल महाभारत बनाने के लिए महाभारत जैसा माहौल क्रिएट किया. जो लुक है उसके लिए मैं दाढ़ी नहीं चिपकाना चाहता था, हम लोग रियल कैरेक्टर लगना चाहते थे. मैंने किरदार के लिए वजन बढ़ाया था. मुझे लगना था मामा, इसलिए दाढ़ी बढ़ाई, वजन बढ़ाया, बाल बढ़ाए, मैं कैरेक्टर को जीने लगा. स्वास्तिक और महाभारत की पूरी टीम मेरी फैमिली बन गई थी. मेरे कितने फ्रेंड्स थे जो बोलते थे कि क्या किरदार ले लिया, नहीं कर पाएगा. ये सब मैंने एक चुनौती के रूप में लिया और जब उसका रिजल्ट मिला तो मैं खुश हो गया.
शूटिंग के दौरान पर्दे के पीछे होती थी ढेर सारी मस्ती.
जब हम सीन करते थे तो वो रियल में करते थे, मैं वो किरदार जी रहा था. एक सीन था जिसमें भगवान कृष्ण मुझे इशारा करते हैं, तो मैं भूल गया था कि सामने रेलिंग है. मैं रेलिंग से टकराकर नीचे गिर गया और मेरे नाक में लग गई. सब सदमे में चले गए क्योंकि कोई कुछ कर ही नहीं सका. दुशासन और दुर्योधन तो इधर-उधर देखने लगे और बोले कि मामा कहां गया. फिर जब मैंने कहा कि मैं ठीक हूं तो सब ज़ोर-ज़ोर से हसने लगे. दरअसल हमारी जो ऑफ स्क्रीन केमिस्ट्री है वो होस्टल लाइफ जैसी थी. सब एक दूसरे का बहुत ख्याल रखते थे. सब मुझे मामा ही कहना पसंद करते थे.
शकुनि मामा के फेमस डायलॉग
मेरे जितने भी डायलॉग सिद्धार्थ जी और मिहिर जी ने लिखे हैं वो सब मेरे फेवरेट हैं. कुछ डायलॉग तो आजकल बहुत वायरल हो रहे हैं जैसे-
"मेरे बच्चों.. रणभूमि में युद्ध हो, उस से पहले मनोभूमि में खेल जाता है."
" मेरे बच्चे.. जो धर्म के रास्ते पर चलते हैं, उनके साथ बहुत अधर्म किया जा सकता है, क्योंकि वो धर्म का रास्ता कभी नहीं छोड़ते और हम उनके साथ अधर्म पर अधर्म किये जायेंगे.."
मेरे बच्चे.. और प्रणीत का कनेक्शन
एक्चुअली हम लोग भांजा शब्द नहीं बोलना चाहते थे क्योंकि ये उर्दू शब्द है और जो राइटिंग टीम थी वो स्टोरी लाइन के साथ ही जाना चाहते थे ताकि कोई गड़बड़ ना हो. तो उन्होंने बोला कि पुत्र बोलो. फिर मैंने उन्हें कहा कि जब शकुनि को बच्चे की तरह मोहब्बत है दुर्योधन से, तो मैं उसे मेरे बच्चे बोल दूंगा. तो सिद्धार्थ जी को पसंद आया उन्होंने हां कह दिया. यहां तक अगर आप आज भी स्वास्तिक के ऑफिस जाकर स्क्रिप्ट देखेंगे तो सब में पुत्र ही लिखा हुआ है, लेकिन पूरी महाभारत में मैंने "मेरे बच्चे.." ही बोला है.
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क्या शकुनि भी किसी को इमोशनल कर सकता है?
मेरा एक सीन था, जो मेरी बहन के साथ हो रहे अन्याय से रिलेटेड था. मैं अपने पिता से बोलता हूं कि 'ये गलत है, मेरी बहन की शादी एक अंधे से कैसे करवा सकते हो जिसको हमने इतने प्यार से पाला पोसा है.' उस सीन का ट्रायल शूट किया था हमने, हम सब और क्रिएटिव के साथ चैनल की टीम वो सीन देख रहे थे, सबकी आंखों में आंसू आ गए थे.
सबने मेरी तारीफ की , सिद्धार्थ जी भी वहां थे. सबके जाने के बाद सिद्धार्थ जी मुझे रोका और पूछा सीन के बारे में, मैंने कहा कि मैं इससे और अच्छा कर सकता हूं, लेकिन जो रिएक्शन है वो 90 प्रतिशत मिल गया है. तब सिद्धार्थ जी ने कहा कि सीन गलत है, अगर मामा शकुनि के लिए जनता रोएगी तो मामा तो हीरो बन जाएगा. फिर उन्होंने मुझे समझाया कि 'अगर शोले फ़िल्म में हीरो की बहन के साथ नहीं बल्कि गब्बर की बहन के साथ अन्याय होगा तो गब्बर क्या तबाही मचाएगा.'
फिर मुझे समझ आया और मैंने इस सीन पर दोबारा काम किया. फिर मैंने एक आंख बंद करके वही डायलॉग बोले, सीन शूट हुआ, उसी टीम ने जब दोबारा वही सीन देखा तो इस बार उनकी आंखों में आंसू नहीं डर था और काम बन गया.
लोगों ने शकुनि के किरदार में प्रणीत को बहुत प्यार दिया और शायद यही वजह थी कि प्रणीत बिग बॉस-8 के घर गए वो शकुनि के ही किरदार में.
इस नेगेटिव किरदार के अलावा प्रणीत ने कई और सीरियल्स में नेगेटिव किरदार निभाए, जैसे रिश्तों का चक्रव्यूह में पूजन सिंह, पोरस में डारिस 3, मेरी हानिकारक बीवी में अघोरी बाबा और अलादीन-नाम तो सुना ही होगा में जिन्न-ए-अंगूठी जो आगे चलकर पॉजिटिव किरदार बन गया.