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अनुपम खेर बोले- किसी की बाल्टी होने से अच्छा है मोदी का चमचा होना

अनुपम खेर एक एक्टर के साथ-साथ अब नरेंद्र मोदी सरकार के समर्थक के रूप में भी जाने जाते हैं. पिछले साल जब उन्हें एफटीआईआई का चेयरमैन बनाया गया था, तब इसकी वजह उनका मोदी सरकार के करीब होना बताया गया था. हाल ही में अनुपम ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान इन सवालों पर तल्ख टिप्प्णी की.

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अनुपम खेर
अनुपम खेर

अनुपम खेर एक एक्टर के साथ-साथ अब नरेंद्र मोदी सरकार के समर्थक के रूप में भी जाने जाते हैं. पिछले साल जब उन्हें एफटीआईआई का चेयरमैन बनाया गया था, तब इसकी वजह उनका मोदी सरकार के करीब होना बताया गया था. हाल ही में अनुपम ने एक टीवी इंटरव्यू के दौरान इन सवालों पर तल्ख टिप्प्णी की.

अनुपम खेर ने एक नेशनल न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, 'किसी की बाल्टी होने से अच्छा है, मोदी का चमचा होना.' अनुपम से पूछा गया था कि उनके विरोधी उनकी बातों के बारे में कहते हैं कि वे इसलिए ऐसा कह रहे हैं, क्योंकि वे मोदी सरकार का गुणगान करना चाहते हैं. जवाब में अनुपम खेर ने कहा, 'सही कहते हैं, कहने दीजिए. किसी की बाल्टी होने से अच्छा है मोदी का चमचा होना.' इस इंटरव्यू की एक क्ल‍िप को भी टि्वटर पर शेयर किया गया है.

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अनुपम खेर ने कहा कि हमारे देश में जो भी अपनी जाति या धर्म के बारे में बोलता है, उसे कॉन्श‍ियस कर दिया जाता है. उन्होंने अपना कलावा दिखाते हुए कहा कि 'ये हवन है, इसे मेरी मां ने लगाया है. ये किसी धार्मिक कारण से नहीं है. मैं ताबीज भी पहनता हूं जो मुझे मुस्लिम पीर ने दिया है. ये है हिन्दुस्तान की असली पहचान.' 

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बता दें कि पिछले साल अनुपम खेर ने 'आज तक' के कार्यक्रम मुंबई मंथन 2017 में शिरकत की थी. इस दौरान उन्होंने भाजपा समर्थक होने के कारण एफटीआईआई का चेयरपर्सन बनाए जाने के आरोपों पर कहा था, मेरा अपना कॅरियर, 508 फिल्में ये योगदान कुछ भी नहीं है क्या? मैं आलोचनाओं से डरने वाला इंसान नहीं हूं. यदि मैं आलोचनाओं से डरता तो आठ फिल्में भी नहीं कर पाता. मेरा मानना है कि लोग निगेटिव चीज की ओर ज्यादा जाते हैं, पॉजीटिव नहीं देखते'. अनुपम खेर ने गजेंद्र चौहान का बिना नाम लिए कहा, मेरे पहले जो भी था, उसे चेयरपर्सन बनाना गलत फैसला था.

अनुपम ने कहा था, मुझे एक दिन पहले स्मृति ईरानीजी का फोन आया कि आपको एफटीआईआई की जिम्मेदारी संभालनी है. मैं इसके लिए तैयार नहीं था. मैं इस जिम्मेदारी को लेने की कोई औपचारिकता नहीं चाहता था, मैं चेयरपर्सन बनने के बाद बिना बताए एफटीआईआई गया. मैं अनुपम खेर का बोझ लेकर वहां नहीं जाना चाहता था.

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अपने संघर्ष के दिन किए थे याद

इस दौरान उन्होंने अपने संघर्ष को याद करते हुए कहा था, मैं 37 रुपए लेकर मुंबई आया था और आज एफटीआईआई का चेयरमैन हूं. यदि ये हो सकता है, तो कुछ भी हो सकता है. अपने ही स्कूल या कॉलेज में इस तरह कुछ बनकर जाना वाकई बड़ी बात है. बात दें कि अनुपम खेर एफटीआईआई से ही पासआउट हैं. उनकी पत्नी किरण खेर बीजेपी की सांसद हैं. किरण खेर ने साल 2014 में चंडीगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीता था.

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