अन्ना हजारे की लड़ाई का बॉलीवुड के अभिनेता अमिताभ बच्चन ने यह कहते हुए समर्थन किया है कि वह ‘देश हित’ वाले सभी मुद्दों के साथ हैं. अमिताभ ने मीडिया से भी अपील की है कि वह इस उद्देश्य के लिए प्रतिबद्धता प्रदर्शित करे.
अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर लिखा है, ‘देश के हित के किसी भी मुद्दे का मैं हमेशा समर्थन करता हूं. कोई भी काम या योजना जो देश के हित में होती है, उसकी हम सराहना करते हैं. और हम इसका ढिंढोरा नहीं पीटना चाहते. और न ही हमें इसका ज्ञान है कि इसे पीटा कैसे जाता है.’
अमिताभ की पोस्ट पर आई एक प्रतिक्रिया से आहत महानायक ने कहा, ‘यह जानना दुखद है कि बिना मेरा पक्ष जाने, उस महिला ने ऐसे तथ्य मान लिए, जिनका अस्तित्व ही नहीं था. यह कहना कि मैं व्यस्त हूं, सिर्फ पैसे कमाने से मतलब रखता हूं और सामाजिक सरोकारों के मुद्दों में मेरी कोई रुचि नहीं है, पूरी तरह अस्वीकार्य और गलत है.’ उन्होंने सवाल किया, ‘कितने चैनल ऐसे हैं, जो इसके लिए प्रतिबद्ध हैं.’ {mospagebreak}
अमिताभ ने चैनलों से जवाब मांगते हुए कहा, ‘सिर्फ अपने व्यावसायिक लाभ के लिए रिपोर्ट तैयार करना और दूसरों से जवाब मांगना पर्याप्त नहीं है. अगर कोई चैनल का स्ट्रिंगर, जो वहां रिपोर्ट तैयार करने जाए और वहां माइक्रोफोन और रिपोर्टिंग छोड़ कर अनशन करने बैठ जाए, तो यह बात प्रभावित करेगी, कुछ ऐसा करें, जो करने के लिए ये हमसे कहते हैं.’
बॉलीवुड के अन्य लोग भी खुलकर अन्ना का समर्थन कर रहे हैं. निर्देशक फरहान अख्तर ने लिखा है, ‘आज शाम चार बजे, आजाद मैदान पर. अन्ना हजारे के समर्थन में वहां पहुंचिये.’ अन्ना हजारे के समर्थन में जंतर मंतर पहुंचे अभिनेता अनुपम खेर ने कहा है, ‘जंतर मंतर पर उल्लास का माहौल है. दोस्तों कृपया इस अभियान को समर्थन दीजिए. हमारे पास एक यह ही आशा है.’ अनुपम ने लिखा है, ‘आज सुबह मैं जंतर मंतर पर था. 13 तारीख से जेल भरो आंदोलन शुरू होने वाला है.’ निर्देशक मधुर भंडारकर भी अन्ना के समर्थन में खुलकर सामने आए. {mospagebreak}
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त फिल्म निर्देशक गौतम घोष ने कहा, ‘एक सम्मानित हस्ती के इस प्रकार के आंदोलन से तंत्र को झटका मिलना चाहिए और उसकी मूर्छा टूटनी चाहिए. मैं विभिन्न प्रकार के इतने व्यापक भ्रष्टाचार के बारे में सुनकर स्तब्ध हो जाता हूं और आक्रोशित महसूस करता हूं.’ जाने माने फिल्म निर्देशक और नाट्य रंगकर्मी सुमन मुखोपाध्याय कहते हैं, ‘देश तंत्र को साफ करने के लिए जनांदोलन के चरण में प्रवेश कर चुका है और यह किसी भी सच्चे लोकतंत्र के लिए अच्छी बात है. इस प्रकार के सभी अहिंसक विरोध से अंतत: सत्ता प्रतिष्ठान बैठकर विचार करने को बाध्य हो सकता है.’