कुदरत के कहर से तबाह हुए केदारनाथ की ताजा तस्वीरें सामने आई हैं. इन तस्वीरों में आप देख सकते है कि कैसे एक कस्बा पूरी तरह तबाह हो गया.
सैलाब ने यहां आए कई तीर्थयात्रियों की जान ले ली. कई लोग अब भी रास्ते में फंसे हुए हैं. तस्वीरों में आप साफ देख सकते हैं कि मंदिर के आसपास के इलाके में कितना नुकसान हुआ है.
केदारनाथ में मंदिर गर्भगृह को छोड़कर कुछ नहीं बचा और मंदिर समिति के अध्यक्ष का मानना है कि इस पवित्र धाम को फिर से बसाने में दो से तीन साल लग जायेंगे.
बाढ़ में सबसे ज्यादा तबाही केदारनाथ में ही हुई है लेकिन मंदिर के भीतर कोई नुकसान नहीं हुआ है. लिंग पूरी तरह सुरक्षित है लेकिन बाहर जमा मलबे का रेत और पानी मंदिर के भीतर घुस गया है.
मंदिर के आसपास कुछ नहीं बचा. मंदिर समिति का कार्यालय, धर्मशालायें और भंडार गृह सब नष्ट हो गए. मंदिर परिसर में करीब 12 से 14 हजार यात्रियों के रुकने का इंतजाम था लेकिन अब कुछ नहीं बचा.
केदारनाथ में आए सैलाब में अब भी सैकड़ों श्रद्धालुओं की लाशें दबी हुईं हैं. तस्वीरों में तबाही के निशान दिखाई दे रहे हैं और मंदिर परिसर के पास बने लॉज और होटल भी पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं.
चश्मदीदों का कहना है कि बाढ़ और मलबे में ढेरों लोग बह गए हैं. जिन लोगों ने कुदरत के कहर को अपनी आंखों से देखा है उनका कहना है कि जिस जगह से भी तबाही गुजरी , वहां जिंदगी का नामो-निशान तक नहीं बचा.
कुदरत के कहर ने केदारनाथ को बदरंग कर दिया है. अब तो सिर्फ मलबा ही मलबा दिख रहा है.
केदारनाथ मंदिर को इससे काफी नुकसान पहुंचा है. इस तबाही के बाद केदारनाथ मंदिर की सूरत ही बदल गयी है.
जहां कभी हजारों की संख्या में श्रद्धालु होते थे आज वहां मरघट सा सन्नाटा पसरा है.
कुदरती आपदा से प्रभावित उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर राहत और बचाव कार्य जारी हैं. आईटीबीपी ने केदारनाथ में फंसे तमाम लोगों को बचाकर निकाल लिया है.
आईटीबीपी के मुताबिक, 'तकरीबन 250 लोगों को गौरीकुंड इलाके से एयरलिफ्ट किया गया है, जबकि गोविंदघाट- घंघारिया इलाके से 1500 लोग निकाले गए हैं. बद्रीनाथ के रास्ते में पड़नेवाले लामबगड़ इलाके से 1 हजार लोग बचाए गए हैं.'