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सोनू सूद ने जरूरतमंदों को बांटी रेमडेसिविर, बॉम्बे हाई कोर्ट सख्त, दिए जांच के आदेश

रेमडेसिविर की कालाबाजारी को देखते हुए सोनू सूद और कांग्रेस एमएलए जीशान सिद्दिकी के खिलाफ आपाराधिक कम्प्लेंट दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने दोनों की जांच करने का आदेश दिया है. महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि छानबीन शुरू की जा चुकी है.

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जीशान सिद्दिकी, सोनू सूद
जीशान सिद्दिकी, सोनू सूद
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रेमडेसिविर की हो रही कालाबाजारी
  • सोनू सूद और MLA जीशान का आया नाम
  • बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिए जांच के आदेश

रेमडेसिविर की कालाबाजारी को देखते हुए सोनू सूद और कांग्रेस एमएलए जीशान सिद्दिकी के खिलाफ आपाराधिक कम्प्लेंट दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने दोनों की जांच करने का आदेश दिया है. महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट को बताया है कि छानबीन शुरू की जा चुकी है.

एडवोकेट जनरल आशुतोष ने कहा- देखा गया है कि सिद्दिकी बीडीआर नामक फाउंडेशन के तहत कई लोगों की मदद कर रहे हैं. इस ट्रस्ट को ड्रग्स की सप्लाई करने की परमिशन नहीं मिली हुई है. महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि इन पर आपराधिक केस बनता है. माजगांव मेजिस्ट्रेट कोर्ट में ट्रस्ट, ट्रस्टी धीर शाह, दवाई कंपनी और 4 डायरेक्टर्स के खिलाफ केस बनाया गया है. जस्टिस एसपी देशमुख और जीएस कुलकर्णी ने पूछा है कि क्या केस सिद्दिकी के खिलाफ भी दर्ज हुआ है या नहीं? आशुतोष ने कहा कि अभी तक तो एमएलए के खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं किया गया है, उन्होंने सभी चीजें ट्रस्ट की ओर मोड़ दी हैं. 

जस्टिस ने कही यह बात
जस्टिस कुलकर्णी ने कहा कि यह सभी चीजें जो आपने एफिडेविट में लिखी हैं, वह केवल एक शख्स के आधार पर ही लिखी हैं. चीजों की पूरी जानकारी लें, इसके बाद हमारे पास आएं, तभी ऑर्डर को पास किया जाएगा.

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बता दें कि सोनू सूद भी मरीजों को रेमडेसिविर डोज उपलब्ध करा रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार द्वारा की गई थोड़ी बहुत छानबीन के बाद उनका कहना है कि सोनू सूद और जीशान सिद्दिकी ने उन्हें पहले एक शख्स के पास भेजा, जिसने बी शख्स तक पहुंचाया. फिर बी शख्स ने सी शख्स तक पहुंचाया. छानबीन जब आगे बढ़ाई गई तो देखा कि लाइफलाइन मेडिकल हॉस्पिटल के अंदर रेमडेसिविर की डोज सिपला कंपनी द्वारा भेजी जा रही है. सिर्फ इतनी ही जानकारी उनके हाथ अभी तक लग पाई है, दोनों से पूछताछ करनी अभी बाकी है. 

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मालूम हो कि रेमेडसिविर दवाई केवल केन्द्रीय सरकार द्वारा ही मुहैया कराई जा रही है, वह भी हर राज्य में कोरोना के मरीजों की संख्या को देखते हुए. अगर कोई प्राइवेट व्यक्ति इस तरह से दवाई को बांटता है तो वह सरकार के नियमों का उल्लंघन है.

जस्टिस कुलकर्णी ने कहा कि राज्य सरकार इस बात पर छानबीन करें, क्योंकि उनकी इजाजत के बिना कोई व्यक्ति इस तरह रेमडेसिविर बांट रहा है, यह गलत है. इन दोनों की जांच की जाए और सभी चीजों को एफिडेविट में शामिल किया जाए. रियलिटी में सरकार इस ड्रग को डील कर रही है, लेकिन ये लोग पब्लिक को कह रहे हैं कि इनके पास रेमडेसिविर है. यह पूरी तरह से अनधिकृत है. इस तरह की छानबीन से तो लोग आसानी से सरकार पर ऊंगली उठा सकते हैं. हम आपकी मदद के लिए यहां बैठे हैं, छानबीन करिए. 

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