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Runway 34 Movie Review: अजय की फिल्म की सटीक लैंडिंग, कुर्सी की पेटी बांधकर देखनी पड़ेगी

Runway 34 Review: खतरों से भरी इस उड़ान को अजय देवगन ने कितनी सफल लैंडिंग दिलवाई है, ये बात आपको हमारा रिव्यू पढ़ समझ आ जाएगी.

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Runway 34 movie Review: Ajay Devgn and Amitabh bachchan
Runway 34 movie Review: Ajay Devgn and Amitabh bachchan
स्टोरी हाइलाइट्स
  • Runway 34 Review: सत्य घटनाओं पर आधारित है ये रनवे 34
  • फिल्म में अजय देवगन-अमिताभ बच्चन का दिखा बोलबाला
फिल्म:रनवे 34
3.5/5
  • कलाकार : अजय देवगन, अमिताभ बच्चन, रकुल प्रीत सिंह
  • निर्देशक :अजय देवगन

अजय देवगन ने 6 साल पहले शिवाय फिल्म डायरेक्ट की थी. एक्टिंग भी वहीं कर रहे थे और निर्माता भी खुद ही थे. एंड रिजल्ट तो सभी को याद है....फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो गई थी. अब अजय देवगन ने फिर डायरेक्टर की भूमिका संभाली है, एक्टिंग भी कर रहे हैं और निर्माता भी हैं, सबकुछ सेम टू सेम है. उनकी फिल्म रनवे 34 रिलीज हो गई है. दिमाग में फिल्म रिलीज से पहले काफी कुछ चल रहा था....कही वन मैन आर्मी बनने के चक्कर फिर बड़ी चूक तो नहीं कर रहे अजय देवगन? हमने फिल्म देख ली है...आपको भी बताते हैं कि रनवे पर सफल लैंडिंग हो पाई है या नहीं

कहानी

कैप्टन विक्रांत खन्ना (अजय देवगन) आला दर्जे के पायलट हैं. अनुभव इतना हो चुका है कि बिना कैलकुलटेर सारा गणित अपने दिमाग में बैठा लिया है. उसी आत्म विश्वास के साथ दुबई के दोहा से कोची तक की फ्लाइट उन्हें उड़ानी है- Skyline 777. उनका साथ दे रही हैं को पायलट तान्या एल्बा कर्की (रकुल प्रीत सिंह). अब फ्लाइट समान्य रूप से फ्लाई कर रही है, सबकुछ सही जा रहा है, लेकिन कोची से 45 मिनट पहले बताया जाता है कि वहां पर मौसम काफी खराब है, तेज हवाएं चल रही हैं और विजिबिलिटी कम है. अब विक्रांत 'रिस्क' लेते हुए दो से तीन बार लैंडिंग ट्राई कर जाते हैं, सफल नहीं होते लेकिन प्लेन का फ्यूल जरूर बर्बाद होता रहता है. खतरा बड़ा है, 150 यात्री विमान में सवार हैं. इस सब के ऊपर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर को विक्रांत 'Mayday' कह चुके हैं. तकनीकी भाषा में इसका मतलब होता है बड़ी इमरजेंसी. अब Skyline 777 को कैसे और किन हालातों में लैंड करवाया जाता है, फ्लाइट में मौजूद यात्रियों का क्या होता है, पायलट विलेन बनता है या फिर हीरो....इन्हीं सब पहलुओं के जवाब खोजती दिखेगी रनवे 34.

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बेहतरीन तालमेल इसे कहते हैं!

सबसे पहले तो ये बता दें कि अजय देवगन से ज्यादा एक्सपेक्ट नहीं किया जा रहा था. एक्टर शानदार हैं, इसमें कोई डाउट नहीं...लेकिन उनके निर्देशन को लेकर कई सवाल मन में चल रहे थे. रनवे 34 देखने के बाद फिर ये थ्योरी सही साबित हो गई है कि किसी भी किताब को उसके कवर से जज नहीं करना चाहिए....सॉरी हमारा मतलब फिल्म को भी सिर्फ ऐसे ही ट्रेलर या पुराने अनुभवों के आधार पर जज नहीं करना चाहिए. रनवे 34 की कहानी में ठहराव है....बीच-बीच में तगड़े इंटेंस मोमेंट हैं और हां विजुअल्स भी बेहतरीन लगे हैं. बजट इतना बड़ा नहीं था ऐसे में VFX को लेकर ज्यादा उम्मीद नहीं थी. लेकिन कहना पड़ेगा कि अजय की फिल्म में VFX का शानदार इस्तेमाल हुआ है. मतलब खराब मौसम से लेकर लैंडिंग वाले सीन तक, कई बार ऐसा लगा कि सबकुछ असली में हो रहा है. ये फीलिंग ही मेकर्स को पूरे नंबर दे गई.

दूसरी बढ़िया बात ये भी रही कि इस फिल्म को क्रिस्टल क्लियर अंदाज में दो हिस्सों में बांटा गया है. पहला हाफ फ्लाइट की उड़ान और फिर उस 'खतरनाक' लैंडिंग को दिखाता है. दूसरा हाफ पूरी तरह से उस लैंडिंग के बाद की जांच को दर्शाता है. इतना जरूर है कि दूसरा हाफ थोड़ा ज्यादा लंबा खिच गया है, लेकिन आप ये नहीं कह सकते कि कुछ भी फालतू या कह लीजिए जबरदस्ती का दिखाया गया है. हर तार एक दूसरे से जुड़ता हुआ दिखता है और हर सवाल का दर्शकों को फिल्म खत्म होने तक जवाब भी मिल जाता है.

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अजय-अमिताभ पर सारा अटेंशन, सही या गलत?

रनवे 34 की 90 फीसदी एक्टिंग सिर्फ और सिर्फ अजय देवगन और अमिताभ बच्चन ने की है. आंकड़ों के लिहाज से ये ओवरडोज लग सकता है, लेकिन जब फिल्म देखेंगे तो दोनों की मौजूदगी कहानी को और ज्यादा ठहराव और मजबूती देती है. अजय देवगन की बात करते हैं, ज्यादा डायलॉग उन्होंने अपने पास नहीं रखे हैं.. स्क्रीन स्पेस तो पूरा मिला है लेकिन उनका आधे से ज्यादा काम तो 'आंखों' ने ही कर दिया है. उन्हीं आंखों में आपको आत्मविश्वास, गुस्सा, डर सबकुछ दिख जाएगा. एक्टर से और क्या उम्मीद करते हैं आप.....रकुल प्रीत को किरदार सही दिया गया है. को पायलट की भूमिका में जितनी स्कोप हो सकती थी, वो उन्होंने दिखा दी है. इससे भी अच्छा कर सकती थीं...बिल्कुल...लेकिन क्या ये कहानी वो मौका देती...जवाब नहीं... ऐसे में जितना दिया गया, उन्होंने सही तरीके से निभाया. 

अमिताभ बच्चन फिल्म में AAIB के अधिकारी नारायण वेदांत की भूमिका में हैं. ये किरदार उनका ऐसा रहा है कि यहां पर आपको मोहब्बतें वाले नारायण शंकर की भी याद आ जाएगी और बीच-बीच में पिंक वाले दीपक सेहगल की भी. ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि उनके रनवे वाले किरदार में नारायण शंकर वाली शुद्ध हिंदी का भरपूर इस्तेमाल है....और दीपक सेहगल जैसे दमदार डायलॉग दिए गए. मतलब उनका ये नारायण वेदांत एक परफेक्ट कॉम्बो सा बन गया है. कुछ दूसरे कलाकारों को भी ठीक ठाक स्पेस दिया गया है- बोमन ईरानी, आकांक्षा सिंह, अंगीरा धार...लेकिन मेन फोकस तो अजय और अमिताभ पर ही रहा है.

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और हां....ये फिल्म रीयल इवेंट पर बेस्ड है..2015 में जेट एयरवेज की फ्लाइट के साथ ये सबकुछ हुआ था. गूगल कर लीजिए सारी डिटेल मिल जाएगी...नहीं करना तो ये रनवे 34 देख डालिए...थोड़ा मसाला और थोड़ा ड्रामा के साथ सबकुछ आपकी स्क्रीन पर परोस दिया गया है.


 

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