फिल्म का नाम: दोजख- In Search Of Heaven
डायरेक्टर: जैगम इमाम
स्टार कास्ट: ललित मोहन तिवारी ,नाजिम खान ,रूबी सैनी ,पवन तिवारी ,गैरिक चौधरी
अवधि: 92 मिनट
सर्टिफिकेट: U
रेटिंग: 2.5 स्टार
डायरेक्टर जैगम इमाम, जिन्होंने टीवी इंडस्ट्री में 'लुटेरी दुल्हन' जैसे सीरियल लिखे हैं, उन्हीं के द्वारा लिखे उपन्यास 'दोजख' पर आधारित है फिल्म 'दोजख- In Search Of Heaven'. इसे कई फिल्म समारोहों में सराहा गया है. दोजख का अर्थ होता है 'नर्क'. आइए जानते हैं आखिरकार कहानी क्या है फिल्म 'दोजख- In Search Of Heaven' की
कहानी
संत कबीर के दोहे 'उड़ जाएगा हंस अकेला' से फिल्म का आगाज होता है. यह बनारस के पास के कस्बे रामनगर की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म है. एक मौलवी (ललित मोहन तिवारी ) जो 5 वक्त के नमाजी हैं, खुदा की इबादत के साथ-साथ एक छोटी सी दुकान भी चलाते हैं. घर में बीवी के साथ उनका 12 साल का इकलौता बेटा जॉन मोहम्मद (गैरिक चौधरी ) रहता है, जिसे प्यार से वो जानू बुलाते हैं.
जानू पैदा तो हुआ है मुस्लिम परिवार में, लेकिन उसकी दिलचस्पी मंदिर के पुजारी जी की बातों में ज्यादा है. वो अक्सर पुजारी जी (नाजिम खान ) के साथ बैठकर घंटो बातें करता रहता है. कभी रामलीला में हनुमान का किरदार निभाता है तो कभी गंगा नदी के प्रवचन सुनकर खो जाता है.
जब इस बात का इल्म उसके वालिद मौलवी साहब को पड़ता है तो वह बहुत गुस्सा होते हैं. इस वजह से जानू की पिटाई भी होती है. फिर दुर्भाग्यवश जानू की मां का देहांत हो जाता है और उन्हें दफनाते वक्त रोते हुए जानू अपने अब्बा से कहता है कि उसे कभी भी दफनाया ना जाए ,क्योंकि कब्र के अंदर अंधेरा होता है. बस ऐसे ही कहानी अगले दौर में पहुंचती है और कई भावुक घटनाएं घटती जाती हैं, जिसका वर्णन 92 मिनट की इस फिल्म में किया गया है.
क्यों देखें
फिल्म की कास्टिंग ही इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है. जिस तरह से ललित मोहन तिवारी मौलवी और नाजिम खान एक पुजारी का किरदार निभाते हैं, वो काबिल-ए-तारीफ है. खास तौर पर बच्चे के किरदार में गैरिक ने बहुत ही उम्दा काम किया है. अगर आपको भावुक कर जाने वाली फिल्मों में यकीन है और सीधी-सच्ची सी कहानी में विश्वास है तो यकीनन यह आपके मतलब की फिल्म है. पहली फुरसत में निबटा आइए.
क्यों ना देखें
अगर आपको सिर्फ कमर्शियल और तड़क-भड़क वाली फिल्में पसंद हैं तो ये फिल्म आपके लिए नहीं बनी है.