कन्या भ्रूण हत्या जैसे सेंसिटिव टॉपिक पर बॉलीवुड में ज्यादातर सीरियस फिल्में बनी हैं, लेकिन जयेशभाई जोरदार ने कॉमिक रस डालकर फिल्म के भारी-भरकम सब्जेक्ट को थोड़ा सा लाइट कर एक खूबसूरत पहल की है. यह फिल्म महिलाओं से जुड़े कई हक की बात करती है.
क्या है फिल्म की कहानी?
गुजरात के छोटे से गांव प्रवीणपुर के सरपंच रामलाल पटेल (बोमन ईरानी) के बेटे जयेश पटेल (रणवीर सिंह) के घर को कुल के दीपक का इंतजार है ताकि वंश को आगे बढ़ाते हुए गांव व उनके खानदान की परंपरा बरकार रहे. पहली बेटी के जन्म के बाद जयेश की वाइफ मुद्रा पटेल (शालिनी पांडे) छठवीं बार गर्भ धारण करती हैं. पिछले चार बच्चे भ्रूण हत्या में मार दिए गए हैं. दोबारा जांच करवाने के दौरान जयेश-मुद्रा को पता चल जाता है कि छठवीं औलाद भी कन्या है. क्या जयेश प्रवीण के दवाब में आकर इस बच्ची को भी मार देता है या कहानी आगे क्या मोड़ लेती है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
डायरेक्टर ने किया कमाल
फिल्म से न्यूकमर डायरेक्टर व राइटर दिव्यांग ठक्कर अपना डेब्यू करने जा रहे हैं. दिव्यांग के इस पहल की दाद देनी होगी कि वे इतने इंटेंस सब्जेक्ट को बड़ी ही सरलता बल्कि एक हास्यअंदाज में पेश किया है. जयशभाई की हरकतें आपको कहीं गुदगुदाती हैं, तो समाज में महिलाओं के प्रति रवैये की कटू सच्चाई जान आपका दिल भर आता है. खासकर महिलाओं के लिए खुशबुदार साबून लगाने पर पाबंदी ताकि मर्द बेकाबू न हों, यह सोसायटी के पेट्रियाकी सोच पर कटाक्ष है.
गुजरात के बैकड्रॉप में तैयार इस कहानी में किरदारों की एक्टिंग से गुजराती फ्लेवर लाने में सफल रहे हैं. फिल्म के कुछ सीन्स जहां रणवीर महिलाओं के बीच बैठकर रोतें हैं, पिता की जिद्द और गुस्से के आगे बेबस रणवीर जब मां की ओर आस से देखते हैं, तो मां का मुंह फेर लेना जैसे सीन्स को बेहद इमोशनल तरीके पेश किया गया है. वहीं रणवीर का बेटी निशा (जिया वैद्य) के साथ की ट्यूनिंग भी जबरदस्त है. कई जगहों पर वे रणवीर से भारी पड़ती दिखती हैं.
सिनेमेटोग्राफी ने जीता दिल
फिल्म के टेक्निकल पक्ष की बात करें, तो सिद्धार्थ दिवान की सिनेमेटोग्राफी बेहतरीन है. कुछ लॉन्ग शॉट्स बेहद ही खूबसूरती से लिए गए हैं. हां, सेट डिजाइनिंग में चुक नजर आती है. रियल गुजरात का वो माहौल नहीं दिख पाता है. कहीं जगह ऑर्टिफिसियल सेट्स का समझ में आ जाते हैं. नम्रता राव का एडिटिंग पक्ष थोड़ा कमजोर नजर आया है. फर्स्ट हाफ के मुकाबले सेकेंड हाफ में बिखराव है. आखिरकार के कुछ सीन्स जबरन खींचे नजर आते हैं. परफेक्ट एडिटिंग से कुछ सीन्स को काट फिल्म को दुरूस्त किया जा सकता था.
एक्टिंग के मामले में पूरी कास्ट एक दूसरे पर भारी पड़ती नजर आई है. रणवीर सिंह एक बार फिर किरदार में पूरी तरह से ढल गए हैं. गुजराती लहजा हो या बेतुका सा डांस, वो पूरी तरह ऑडियंस को जयसभाई के रूप में कन्विंस करते हैं. बॉलीवुड में शालिनी पांडेय ने फिल्म के जरिए प्रॉमिसिंग डेब्यू किया है. निशा के रूप में चाइल्ड आर्टिस्ट जिया वैद्य अपनी परफॉर्मेंस से सबको सरप्राइज करती हैं. बोमन ईरानी, रत्ना पाठक, पुनीत इस्सर जैसे सभी दिग्गजों ने अपने किरदार को बखुबी परदे पर उतारा है.
सोशल इश्यू पर रणवीर की यह कोशिश सराहनीय है. रणवीर के फैंस को उनकी फिल्म का एक नया फ्लेवर मिलेगा. फैमिली के साथ यह फिल्म एक बार जरूर देखी जा सकती है.