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Housefull 5 Review: अक्षय-रितेश के अलावा सबकुछ बेमजा, 'किलर' फिल्म ने ले ली कॉमेडी की जान

अक्षय कुमार की 'हाउसफुल 5' के टीजर, ट्रेलर और गानों को ठीकठाक चर्चा मिली थी. अक्षय के साथ रितेश देशमुख, श्रेयस तलपडे, चंकी पांडे, जॉनी लीवर और नाना पाटेकर जैसे कॉमेडी के उस्तादों के होने से जनता को इस फिल्म से काफी उम्मीदें भी थीं. मगर क्या 'हाउसफुल 5' इन उम्मीदों पर खरी उतर पाई?

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'हाउसफुल 5' रिव्यू
'हाउसफुल 5' रिव्यू
फिल्म:हाउसफुल 5
1/5
  • कलाकार : अक्षय कुमार, रितेश देशमुख, अभिषेक बच्चन, नाना पाटेकर, संजय दत्त, जैकी श्रॉफ, जैकलीन फर्नांडिस, नरगिस फाखरी, सोनम बाजवा
  • निर्देशक :तरुण मनसुखानी

बॉलीवुड पर ये आरोप है कि इनके फ्रैंचाइजी प्रोजेक्ट पहली फिल्म से, तीसरी फिल्म तक आते-आते सौर-मंडल में भटकते हुए किस उल्का-पिंड पर निकल जाते हैं ये साइंस भी पता नहीं लगा सकता. 'हाउसफुल' फ्रैंचाइजी में ये पांचवी फिल्म है और इसलिए इसे देखने के लिए हॉल में घुसते वक्त उम्मीदें पहले ही इतनी नीची रखी गईं कि उससे थोड़ा भी नीचे जाने पर शायद दिल्ली में ही पेट्रोलियम का भंडार मिल जाता. 

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ये शायद देश हित ना सोचकर, एंटरटेनमेंट हित में सोचने का ही नतीजा है कि इतनी नीची उम्मीदें लेकर जाने पर भी 'हाउसफुल 5' से निराशा ही हाथ लगी! दुस्साहस की यदि कोई सीमा है, तो मेकर्स का इस फिल्म को 'कॉमेडी' कहना उस सीमा से कई सौ किलोमीटर आगे निकल जाने वाली बात है. 

हालांकि, उससे भी दो-चार किलोमीटर आगे का दुस्साहस ये है कि 'हाउसफुल 5' के दो वर्जन रिलीज हुए हैं और ऐसा दावा है कि दोनों की एंडिंग अलग-अलग है. हमने जो वर्जन देखा वो 'हाउसफुल 5' का 'A' वर्जन है. फिल्म देखने के बाद मेकर्स के इस दावे से सहमत हुआ जा सकता है कि ये 'किलर कॉमेडी' है. क्योंकि ये कॉमेडी की हत्या करने में बिल्कुल सफल सिद्ध होती है. 

कहानीनुमा कुछ... 
'हाउसफुल 5' का प्लॉट लंदन के सातवें सबसे बड़े रईस रंजीत डोबरियाल (रंजीत) की वसीयत पर बेस्ड है. रंजित के एम्पायर को संभालने के लिए एक बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स है जिसमें चित्रांगदा सिंह, फरदीन खान और श्रेयस तलपड़े शामिल हैं. सभी को उम्मीद थी कि वसीयत में रंजीत साहब उनके लिए कुछ न कुछ छोड़ जाएंगे. लेकिन उन्होंने अपनी वसीयत में अपने असली बेटे जॉली को अपनी सारी दौलत का वारिस घोषित किया है, जो दुनिया में कहीं खोया हुआ है. 

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हां, अगर जॉली नहीं आता है तो सारी दौलत इन लोगों की. लेकिन जॉली की एंट्री होती है और वो भी एक नहीं तीन-तीन जॉली की. रितेश देशमुख, अभिषेक बच्चन और अक्षय कुमार जॉली बनकर आ जाते हैं. उनके साथ उनकी गर्लफ्रेंड्स भी हैं, जिनके कन्फ्यूजन का अलग मसला है. रंजित डोबरियाल के डॉक्टर की भी हत्या हो चुकी है और अब उसका कातिल भी खोजा जाना है. 

संजय दत्त और जैकी श्रॉफ दो लूजर पुलिसवाले बने हैं, जो इस केस को सुलझाकर कुछ नाम कमा लेना चाहते हैं. इनके सीनियर नाना पाटेकर हैं.  इन सभी की एंट्री के बाद जो खिचड़ी बनती है उसी का नाम है 'हाउसफुल 5'. आखिरी पास्ता (चंकी पांडे) और बटुक पटेल (जॉनी लीवर) भी इसी खिचड़ी में अंचार और पापड़ बने हैं. यहां देखें 'हाउसफुल 5' का ट्रेलर:

हाउस-फुल मगर कॉमेडी का कमरा खाली 
'हाउसफुल 5' में कन्फ्यूजन के साथ-साथ एक हत्या का भी मामला है इसलिए फिल्म को 'किलर कॉमेडी' कहा गया. मगर बतौर किलर इस फिल्म ने कॉमेडी की जो हत्या की है उसकी मिसालें दी जा सकती है. सेक्सुअल रेफरेंस वाले जोक्स, एक्टर्स के चेहरों पर उतरते भोंडे एक्सप्रेशन, किरदारों की बेवकूफाना हरकतें मिलाकर उसे कॉमेडी का नाम देने की कोशिश हंसाने से ज्यादा चिढ़ाती है. 

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ये साफ पता लगता है कि राइटिंग में फनी सिचुएशंस नहीं लिखी गई हैं बल्कि एक्टर्स को कहा गया है कि वो सीन में कुछ फनी करें. अक्षय कुमार और रितेश देशमुख कॉमेडी के दो मंजे हुए खिलाड़ी हैं और 'हाउसफुल 5' में सिर्फ वही दोनों हैं जिनके कुछ रिएक्शन, कुछ बातें और कुछ एक्सप्रेशन फनी टाइप हैं. लगभग आधी फिल्म में ये दोनों भी एड़ी-चोटी का जोर लगाकर कॉमेडी क्रिएट करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. 

संजय दत्त, जैकी श्रॉफ और नाना पाटेकर जैसे दमदार एक्टर्स को जिस तरह वेस्ट किया गया है, वैसा भगवान ना करे किसी एक्टर के साथ हो. जैकलीन फर्नांडिस, नरगिस फाखरी और सोनम बाजवा को ग्लैमरस कपड़े और सेक्सुअली इशारेबाजी वाले जुमलों के लिए इस्तेमाल किया गया है. फरदीन खान को देखकर ऐसा लगता है जैसे उन्हें कहा गया था कि उन्हें 'रेस 4' में कास्ट किया जा रहा है. 

कई जगहों पर ये दिखता है कि अब इसके आगे क्या करना है, किसी को नहीं पता. ऐसे में फिर से किसी एक्टर की विचित्र हरकतों का सहारा लिया जाता है. फिल्म के गाने अच्छे हैं, मगर ये आपको फिल्म में पूरे-पूरे दिखाए गए हैं, जैसे फिल्म में अब कुछ भी और बचा ही नहीं है दिखाने के लिए. इस हाल में फिल्म के अंत में एक बड़े स्टार का कैमियो भी आप पर कुछ असर नहीं कर पाता.

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'हाउसफुल 5' के साथ सबसे विचित्र बात ये है कि इसमें भी राइटर का बाकायदा क्रेडिट है. ये राइटिंग का महत्व सिखाने वाला एक सबक है... अगर लिखने के बावजूद कोई फिल्म इस कदर खराब हो सकती है, तो बिना लिखे वो कितनी खराब हो सकती थी. इसलिए राइटर्स को सम्मान दिया जाना चाहिए. ऐसी फिल्मों का एक पूरा टाइप है जिनमें इतनी अजीब चीजें होती हैं कि आप उस विचित्रता को एन्जॉय करने लगते हैं. ये फिल्में इतनी बुरी होती हैं कि उनकी बुराई में मजा आने लगता है. मगर डायरेक्टर तरुण मनसुखानी की फिल्म इस लिस्ट में भी नहीं आती.

कुल मिलाकर कॉमेडी अगर आर्ट है, तो 'हाउसफुल 5' केमिस्ट्री है. 'हाउसफुल 5' ऐसी फिल्म है जिसे देखते हुए सिनेमा हॉल में लोग रील्स चला सकते हैं, आधे दशक से व्हाट्सएप पर पड़े अनदेखे मैसेज पढ़ सकते हैं. मामा-मौसी-फूफा-चाचा के मिस कॉल्स का हिसाब बराबर कर सकते हैं और फिर भी इस साल का डिटेल्ड राशिफल पढ़ने भर का वक्त बच जाएगा. और ये सब करते हुए भी आप फिल्म में कुछ मिस नहीं करेंगे. 

'हाउसफुल 5' खत्म होने के बाद, क्रेडिट्स के साथ जो बिहाइंड द सीन फुटेज दिखाई गई है, वो पूरी फिल्म से ज्यादा मजेदार है. बल्कि फिल्म देखने के बाद तो आप में वो स्टेमिना आ जाएगा कि आप 3 घंटे तक इसकी बिहाइंड द सीन फुटेज पूरी खुशी से एन्जॉय कर लेंगे. 'हाउसफुल 5' देखने के बाद सबसे पहला काम ये सूझता है कि जल्दी से पहली 'हाउसफुल' फिल्म देखी जाए ताकि कुछ पाप धुलें. 

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