बॉलीवुड नए-नए प्रयोगों के दौर से गुजर रहा है और जब बड़ी फिल्में नहीं आ रही हों तो वह समय छोटी फिल्मों का होता है. इन दिनों ऐसा ही कुछ चल रहा है. हर हफ्ते कई छोटी फिल्में रिलीज हो रही हैं. अधिकतर का हश्र बॉक्स ऑफिस पर अच्छा नहीं हो रहा है. फिर भी आवक जारी है और नए-नए विषय देखने को मिल रहे हैं. इस हफ्ते का शुक्रवार भी ऐसा ही है. ऐसी ही एक फिल्म रिलीज हुई है, 'हंटर' . इसमें हर वक्त औरत और सेक्स के ख्यालों में डूबे युवक की कहानी है. उसके लिए औरत के मायने सिर्फ सेक्स है. 'हंटर' पर सेंसर बोर्ड ने बड़ी बेरहमी से हंटर चलाए हैं.
कहानी गुलशन देवैया की है, जो अजीबोगरीब लुक वाला है और किशोरावस्था से ही सेक्स का दीवाना है. बहुत ज्यादा जिज्ञासु है और जवान होकर खुद को किसी प्लेबॉय से कम नहीं मानता, और ऐसे लक्षण दिखाता भी है. लेकिन फिर आती है घर बसाने की बात. लड़की मिलती है तो फिर शुरुआत होती है नए जीवन की और गुलशन असमंजस में फंस जाता है. कहानी मजेदार है. लेकिन पहले हाफ में तेजी के साथ शुरू हुई कहानी सेकेंड हाफ में घिसटती नजर आती है. यहीं स्क्रिप्ट की कमजोरी भी सामने आती है. हर्षवर्धन को इस तरह के विषय के साथ आगे बढ़ते समय संभवतः इसकी कहानी पर थोड़ा ज्यादा ध्यान देना चाहिए था.
गुलशन ने बेहतरीन ऐक्टिंग की है. जिसे देखने में मजा आता है. राधिका आप्टे ने भी अपने रोल को बखूबी निभाया है, और 'बदलापुर' में नजर आने के बाद उन पर नजरें टिकने लगी हैं. साई तम्हाणकर ने भाभी बन के पोर्न दुनिया की भाभी की यादों को ताजा करने की कोशिश की है और उनका कैरेक्टर काफी बोल्ड है. यह फिल्म एडल्ट दर्शकों के लिए है और उन लोगों के लिए अच्छी ट्रीट है जो सेक्स को नए ढंग से देखना चाहते हैं. लेकिन कमजोर कहानी और खिंचाव जरूर तंग कर सकता है.