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मूवी रिव्‍यू: डायलॉग अच्छे पर कहानी उलझी हुई, ये है सनी-हरमन की ढिश्कियाऊं

श्री श्री सनी देओल जी ने दुरुस्त फरमाया है. आदमी छोटा हो या बड़ा, फर्क नहीं पड़ता. उसकी कहानी बड़ी होनी चाहिए. मगर जिस फिल्म ढिश्कियाऊं में उन्होंने यह ज्ञान दिया, उसकी कहानी बहुत उलझी हुई है. और इसी चक्कर में तमाम गुंजाइशों और कोशिशों के बावजूद फिल्म पंच नहीं मार पाती.

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फिल्मः ढिश्कियाऊं
एक्टरः सनी देओल, हरमन बावेजा, आयशा खन्ना, प्रशांत नारायण, आनंद तिवारी, सुमित निझावन, शिल्पा शेट्टी (आइटम सॉन्ग के लिए)
डायरेक्टरः सनमजित सिंह तलवार
ड्यूरेशनः 1 घंटा 59 मिनट
स्टारः 5 में 2

श्री श्री सनी देओल जी ने दुरुस्त फरमाया है. आदमी छोटा हो या बड़ा, फर्क नहीं पड़ता. उसकी कहानी बड़ी होनी चाहिए. मगर जिस फिल्म ढिश्कियाऊं में उन्होंने यह ज्ञान दिया, उसकी कहानी बहुत उलझी हुई है. और इसी चक्कर में तमाम गुंजाइशों और कोशिशों के बावजूद फिल्म पंच नहीं मार पाती.

फिल्म के डायलॉग अच्छे हैं. उनमें ड्रामा भी है और ह्यूमर भी. गाने बहुत अच्छे हैं. तू मेरे टाइप का नहीं है, तो जनता सुन ही रही है, स्नेहा और विशाल का गाया निसार और अरिजित का गाया आशिकी भी सुना जाए. एक्टिंग की बात करें तो हरमन बावेजा ठीक ठाक हैं. उन्हें अभी कुछ मल्टी स्टारर फिल्में कर खुद को धीरज के साथ मांजना चाहिए. सनी देओल का हरियाणवी रूप जनता को पसंद आएगा. लीड एक्ट्रेस आयशा खन्ना पर्दे पर फ्रेशनेस लेकर आती है, मगर उनके आगे इस कैटिगरी में कतार लंबी है. फिल्म की स्पीड अच्छी नहीं है, जबकि अंडरवर्ल्ड की फिल्मों में पेस जरूरी होता है. दूसरी खामी है डिटेलिंग की. सब कुछ बहुत देखा सुना सा लगता है और कहानी में जो ट्विस्ट दिए जाते हैं, वे अहमक टाइप लगते हैं. मतलब घोंचू टाइप आदमी तो सिर्फ कॉमेडी फिल्मों में ही डॉन के रोल में अच्छे लगते हैं न. बेहतर होता कि डायरेक्टर साहब ज्यादा कुछ नहीं तो रामगोपाल वर्मा की फैक्ट्री में बनी कुछ फिल्मों का अध्ययन कर लेते.

क्या हैं कहानी के तार
विकी बचपन में सबसे पिटता है. एक डॉन मोटा टोनी उसे बताता है, पलटकर मार. विकी पूछता है, उसने मारा तो. टोनी जवाब देता, वो तो पहले से ही तुझे मार रहा है. बस, यहीं से विकी की लाइफ का एजेंडा सेट हो जाता है. उसे बड़ा होकर गैंगस्टर बनना है. विकी गैंगस्टर बनता है. यहीं से अंडरवर्ल्ड की साजिशें शुरू होती हैं. पुलिस से साठ-गांठ, धोखा, अंदर की गुटबाजी और खुद सबसे बड़ा डॉन बनने की तमन्नाएं, सब हिलोरे लेने लगती हैं. इसके साथ ही विकी से प्यार करने लगते हैं. फिर वही ट्रैक कि तुम्हें प्यार और बुलेट में एक को चुनना होगा. अरे बुद्धू फिल्में नहीं देखती क्या. धंधे में एंट्री होती है एग्जिट नहीं. पूरी स्टोरी विकी एक अपराधी लकवा को सुना रहा है और इंटरवल के बाद लकवा के किरदार की कई परतें खुलती हैं. आखिर में विकी अपने तमाम सपने पूरे कर लेता है, मगर इस दौरान हुईं चूकों का क्या?

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एक्टिंग और दूसरी चीजें
एक क्यूट लड़का है. आनंद तिवारी नाम है. इसे आपने आयशा में बहादुरगढ़ वाली लड़की के बॉयफ्रेंड के तौर पर देखा. फिर गो गोआ गॉन में बाबा जी की बूटी गाते देखा. उन्हें देखकर लगता था, दम है. मगर हर बार लूजर टाइप रोल ही क्यों. इस फिल्म ने वह कमी भी पूरी कर दी. फिल्म में आनंद रॉकी के रोल में नजर आते हैं. एक हटेला टाइप मगर हटकर गैंगस्टर. इससे उनकी एक्टिंग रेंज भी सामने आई.

एक और उम्दा एक्टर हैं. जिन पर पहले भी काफी कुछ लिखा जा चुका है. प्रशांत नारायण. उन्हें जनता ज्यादातर मर्डर 2 के विलेन के तौर पर याद रखती है. इस फिल्म में उन्होंने टोनी के रोल में अच्छी एक्टिंग की है. बाकी सबकी एक्टिंग खर्चा पानी टाइप है. फिल्म स्टाइलिश है. कुछ नई लोकेशन भी दिखाई गई हैं. एक्शन वगैरह रेगुलर से ही हैं. गानों के बोल अच्छे हैं. अच्छा होता उनके शूट में भी वैसी ही कल्पनाशीलता का इस्तेमाल किया जाता. वैसे कल्पना की बात करें तो तू मेरे टाइप का नहीं है, गाना जबरदस्त है. बोल, म्यूजिक का प्रयोग और शूट, हर लिहाज से. इसे गाना है कुणाल और गायत्री अय्यर ने.

तो क्या है सलाह
कुल मिलाकर ढिश्कियाऊं एक ठीकठाक मसाला फिल्म है. हरमन बावेजा हीरो है, सिर्फ इसलिए ही इस फिल्म को खारिज मत करिएगा. बस इतनी ही सलाह है. मुझे लगता है कि इस तरह की मार धाड़, एक्शन और रोमांच की सिंगल स्क्रीन और कस्बों में अच्छी खपत होगी.

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