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जब रिजेक्शन से परेशान विद्या बालन, मरीन ड्राइव से बांद्रा तक पैदल निकल पड़ीं

विद्या बालन इंडस्ट्री की शानदार एक्ट्रेस की लिस्ट में शामिल होती हैं. उन्होंने कई फिल्मों में बेहतरीन किरदार निभाकर सभी के दिलों में जगह बनाई है. विद्या बालन ने एक इंटरव्यू के दौरान उन दिनों को याद किया जब वह मरीन ड्राइव से बांद्रा तक पैदल गई थीं, क्योंकि वह गुस्से में थीं और कुछ सोच नहीं पा रही थीं.

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विद्या बालन
विद्या बालन
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मरीन ड्राइव से बांद्रा तक पैदल चलीं विद्या बालन
  • विद्या बालन ने झेले रिजेक्शंस

विद्या बालन इंडस्ट्री की शानदार एक्ट्रेस की लिस्ट में शामिल होती हैं. उन्होंने कई फिल्मों में बेहतरीन किरदार निभाकर सभी के दिलों में जगह बनाई है. विद्या बालन ने एक इंटरव्यू के दौरान उन दिनों को याद किया जब वह मरीन ड्राइव से बांद्रा तक पैदल गई थीं, क्योंकि वह गुस्से में थीं और कुछ सोच नहीं पा रही थीं. वह गुस्से में इसलिए थीं, क्योंकि वह लगातार रिजेक्शन्स फेस कर रही थीं. 

मरीन ड्राइव से बांद्रा तक पैदल चलीं विद्या बालन  
एक इंटरव्यू में विद्या बालन से पूछा गया कि क्या कहानी सच है तो उन्होंने कहा कि यह सच है, हालांकि ऐसा सिर्फ एक बार हुआ था. विद्या ने कहा कि पैदल चलने से वास्तव में उनका दिमाग क्लियर और रिलैक्स्ड हो जाता है. उन्होंने बॉलीवुड बबल से कहा, "मैंने इसे एक बार किया था, मैं वास्तव में गुस्से में थी और मैं गर्मी में मरीन ड्राइव से बांद्रा चली गई. मुझे उस समय एहसास भी नहीं हुआ. मैं बस चल रही थी. आज मैं इसे एक्सरसाइज के लिए कर सकती हूं, लेकिन उस दिन मैंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि... मुझे नहीं पता था कि मैं कहां जा रही हूं."

उन्होंने इंटरव्यू के दौरान आगे कहा, "कभी-कभी, जब मैं सोचने में सक्षम नहीं होती हूं, तो मैं देखती हूं कि चलने से मेरा दिमाग क्लियर हो जाता है. उस दिन, मुझे नहीं लगता कि मुझे एहसास हुआ कि मैं चल रही थी. मुझे प्यास नहीं थी न ही मुझे भूख लगी थी, मैं बस गुस्से में थी. मैं तब तक चलती रही जब तक मुझे एहसास नहीं हुआ, 'हे भगवान, मैं बांद्रा पहुंच गई हूं."

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बार-बार रिजेक्शन के बारे में पूछे जाने पर विद्या ने कहा कि 'शायद' वह 'सफलता के लिए तैयार' नहीं थीं और इसके बजाय उन्हें 'इसके लिए तैयार' किया जा रहा था. उन्होंने यह भी साझा किया कि उन्हें एक पागल व्यक्ति के रूप में जाना जाता था और उनकी अपीयरेंस पर भी काफी कमेंट किए गए जिससे उनका सेल्फ-एस्टीम गिरा दिया था और इस वजह से उन्होंने खुद को शीशे में भी नहीं देखा था.

इस टेलीविजन शो से की विद्या ने शुरुआत 

विद्या बालन ने 1995 में टेलीविजन शो हम पांच के साथ अभिनय की शुरुआत की. उन्होंने 2003 में बंगाली फिल्म भालो थेको के साथ बड़े पर्दे पर अपना डेब्यू करने से पहले साउथ में अपनी किस्मत आजमाई. उनकी पहली हिंदी फिल्म 2005 में परिणीता थी. बॉलीवुड बबल से बात करते हुए विद्या ने कहा, “साउथ इंडस्ट्री में भी जब मैं केवल रिजेक्शन ही फेस कर रही थी तो मैं काफी होपलेस हो गई थी. यह बात है साल 2002-2003 की. मैं सोने से पहले रोती थी, यह सोचती थी कि मैं कभी एक्टर नहीं बन पाऊंगी." 

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इंटरव्यू के दौरान विद्या ने आगे कहा, "लेकिन अगली सुबह मैं उठती थी. वह सूरज की किरण मुझे उम्मीद देती थी. मैं सोचती थी कि अगर मैं एक सुबह सूरज को उगते देख सकती हूं तो इसका मतलब है मेरे पास एक चांस और है. तो ऐसे में मैं जिन चीजों से निकल रही थी, वह मायने नहीं रखता था. मेरे पेरेंट्स ने मुझे काफी सपोर्ट किया और मैं उनका शुक्रिया अदा करना चाहती हूं."

 

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