1984 का सिख दंगा और आग की लपटों के बीच पनपती एक प्रेम कहानी. इस दास्तान में कैसे संजय सिंह ग्रहण बनकर बैठ जाता है, इसे एक्टर टीकम जोशी से बेहतर शायद ही कोई और निभा सकता था. सत्य व्यास के उपन्यास चौरासी से प्रेरित वेब सीरीज ग्रहण में टीकम जोशी ने निगेटिव किरदार निभाया है. रंगमंच के इस उम्दा कलाकार को कैसे यह रोल मिला इसपर टीकम जोशी ने आजतक के साथ बातचीत की.
आम दिनों की तरह उस दिन भी टीकम अपने थिएटर के कामकाज में व्यस्त थे. जब अचानक उन्हें कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने ग्रहण में यह रोल ऑफर किया. टीकम कहते हैं- 'इस किरदार में पहले किसी और को चुना गया था पर जब बात नहीं बनी, तो मुकेश छाबड़ा ने मुझसे संपर्क किया. बाद में मुझे रोल के बारे में बताया गया फिर मैंने बिना तैयारी ही इसकी शूटिंग शुरू कर दी. मैंने सबसे लेट ज्वॉइन किया और 20-22 दिनों में मेरे हिस्से का शूट पूरा हो गया था.'
एक नजर ग्रहण में उनके किरदार पर
वेब सीरीज ग्रहण में टीकम सिंह ने संजय सिंह उर्फ चुन्नू का कैरेक्टर निभाया है. संजय सिंह 1984 के समय बोकारो स्टील कंपनी का यूनियन लीडर रहता है जो आगे चलकर राज्य का विधायक बन जाता है. विधायक की कुर्सी तक पहुंचने के लिए उसने बिना अपना हाथ गंदा किए सिख दंगे करवाए. इस किरदार में चालाकी, भावहीनता और लालच जैसे कई अवगुण हैं. और इसे टीकम जोशी ने एक स्थिरता के साथ पर्दे पर उतारा है.
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ऋषि कपूर एक नैचुरल एक्टर: टीकम जोशी
टीकम जोशी ने ग्रहण से पहले साल 2009 में फिल्म चिंटू जी में काम किया है. इस फिल्म में टीकम ने ऋषि कपूर और पंकज त्रिपाठी संग काम किया था. जहां ऋषि कपूर ने एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर अपने एक्टिंंग करियर की शुरुआत कर ली थी, वहीं फिल्म में थिएटर से निकले पंकज त्रिपाठी भी थे. एक थिएटर और एक नॉन-थिएटर आर्टिस्ट के बीच अंतर पर टीकम जोशी ने अपनी राय दी.
उन्होंने कहा- 'दोनों ही एक्टर्स सधे हुए कलाकार हैं. ऋषि कपूर जी एक नैचुरल एक्टर थे. उनकी क्राफ्ट बहुत स्ट्रॉन्ग थी. और इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उनका पूरा फैमिली बैकग्राउंड पृथ्वी थिएटर से जुड़ा है. वहीं पंकज त्रिपाठी थिएटर के महारथी हैं, उनका क्राफ्ट अलग है. उनका कोई सानी नहीं है. ऋषि कपूर और पंकज त्रिपाठी दोनों की तुलना नहीं की जा सकती.'
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संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित
टीकम जोशी अपने क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित किए जा चुके हैं. मूलत: भोपाल के रहने वाली टीकम पिछले 20 साल से दिल्ली में अपने परिवार के साथ रहे रहे हैं.
पैसों से ज्यादा है पैशन से लगाव
सात साल की उम्र में ही टीकम जोशी का अभिनय प्रेम सभी को दिखने लगा था. उन्होंने भोपाल में थिएटर ज्वॉइन किया और पिछले 30 सालों से वे थिएटर में अपने पैशन को निखारते आ रहे हैं. उन्होंने थिएटर्स में कई ठोस और कद्दावर किरदारों को आकार दिया है. इनमें अश्वत्थामा (अंधायुग) हो, अजीज (तुगलक), नगीना (जानेमन), रैक्व (अनामदास का पौधा), रघुबर प्रसाद (दीवार में एक खिड़की रहती थी), महात्मा गांधी के जीवन पर बनीं बापू (एकल) हो या समलैंगिक रिश्तों पर अ स्ट्रेट प्रपोजल शामिल है.
टीकम जोशी का कहना है कि फिल्मों से उन्हें कोई ऐतराज नहीं है पर उन्हें अच्छी कहानी का इंतजार है. 46 वर्षीय टीकम आज कई लोगों को अभिनय की कला सिखाते हैं. उन्होंने एक्टर्स को भी प्रशिक्षण दिया है.
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