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जब महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज की वजह से डिप्रेशन में चले गए थे सुदेश भोसले!

सिंगर और मिमिक्री की दुनिया का पॉपुलर चेहरा सुदेश भोसले ने अपने करियर में खुद की पहचान बनाई है. उन्होंने अमिताभ बच्चन के लिए कई सारी फिल्मों में गाने गाए हैं.

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सुदेश भोसले
सुदेश भोसले

सिंगर और मिमिक्री की दुनिया का पॉपुलर चेहरा सुदेश भोसले ने अपने करियर में खुद की पहचान बनाई है. उन्होंने अमिताभ बच्चन के लिए कई सारी फिल्मों में गाने गाए हैं. मगर उन्हीं अमिताभ बच्चन की वजह से एक समय वे डिप्रेशन में भी चले गए थे. क्या थी इसकी वजह, सुदेश ने आजतक को दिए हालिया इंटरव्यू में बताया है. 

14 साल की उम्र में बने अपने पापा के असिस्टेंट

सुदेश ने कहा- मैंने अपने करियर की शुरुआत बतौर पेंटर अपने पिता जी के साथ उनके स्टूडियो में की तब आज के ज़माने के डिजिटल प्रिंटेड पोस्टर नहीं हुआ करते थे और उन्हें कलर पेंट की मदद से पेंट किया जाता था. उस काम में मैं अपने पिता को बतौर असिस्टेंट मदद करता था मुझे याद है हमने पहले साथ में ही उस ज़माने की हिट फिल्में जैसे प्रेम नगर, जूली, श्रीमान श्रीमति , प्रेम, स्वयंवर, दोस्ती, स्वर्ग नर्क राज श्री प्रोडक्शन की तमाम और फिल्मों के पोस्टर पेंट किए थे. 

घर में हिंदी फिल्मी गाने सुनना मना था

मेरे पिता जी जो गोवा से थे उन्हें शुद्ध क्लासिकल संगीत पसंद था. उनके सामने अगर कोई हिंदी गाने बजाता था तो वो बोलते थे की ये भी कोई गाने होते हैं, जिनमे संगीत कम और शोर ज्यादा होता है. इस लिए घर में भी हिंदी गाने सुने जाने की पाबन्दी थी. लेकिन वो कहते है न जिस काम को मना किया जाए वही करने का मन ज्यादा करने लगता है. ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ. मैं पहले से ही पंचम दा, सहगल साहब और सचिन दा के संगीत का दीवाना था. उस समय एंटरटेनमेंट का कोई और साधन नहीं था. उस ज़माने में तो टीवी भी नहीं आई थी. सिर्फ रेडियो का दौर था. वही एक मात्र विकल्प था और मैं सारा दिन समय निकल कर सुनता रहता था.

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मुझे उस वक्त भी करीब 250 हिंदी गाने याद थे

जी हां ये बात सच है मैं बताना चाहूंगा कि मुझे तब अपने हुनर का पता चला जब मैं इतने बड़े-बड़े संगीतकारों की आवाज में गाने भी लगा और उनका स्टाइल हूबहू कॉपी करने लगा उस दौर में ही मैं सचिन दा सहगल साहब, हेमंत जी, मुकेश जी की अलग-अलग आवाज में गाने गाने लगा.  आप यकीन नहीं मानेंगे कि मुझे तकरीबन ढाई सौ से जायदा हिंदी फिल्मे गाने अच्छी तरह से याद भी थे जिन्हें मैं लगातार बिना ब्रेक लिए सिर्फ अलग-अलग सिंगर्स की आवाज में गाने में भी सक्षम हो चुका था. फिर उसके बाद से ही मुझे मेरे दोस्त अपने-अपने घरों में बुलाने लगे और मैं वहां जा कर छोटा मोटा परफॉरमेंस देने लगा और मेरी रूचि इस काम और भी बढ़ने लगी.

जब फिल्म "मुकद्दर का सिकंदर" देख बदला सुदेश का मुकद्दर

मैं बताना चाहूंगा कि मैं एक दिन फिल्म मुकद्दर का सिकंदर देख रहा था और अगले दिन अपने कॉलेज गया और वहां अपने दोस्त से ऐसे ही अचनाक उसी फिल्म का जोरावर वाला डायलॉग सुनाया. मेरे दोस्त मेरे मुंह से महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज सुन कर दंग रह गए. सबने कहा कि तुम्हारी आवाज़ तो अमिताभ बच्चन से हूबहू मिलती है. फिर वो टेप रिकॉर्डर लेकर आये और फिर मैंने मजाक-मजाक में कई और अभिनेताओं की आवाज भी रिकॉर्ड की. लेकिन अमिताभ की आवाज के लोग दीवाने हो गए और मैंने फिर कई एक्टर्स जैसे कि राजकुमार , दिलीप कुमार, मिथुन, अमिताभ, असरानी, जीवन, शत्रुघ्न सिन्हा और बहुत सारे एक्टर्स की आवाज की नकल की.

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तब मैं पहला ऐसा आर्टिस्ट था जो अमिताभ बच्चन की आवाज की नकल कर पाता था. क्योंकि बच्चन साहब की सिंगिंग योग्यता भी बहुत थी और मैं उनके आवाज में गए गाने भी गा सकता था. बस वहीं से आर्केस्ट्रा में गाने लगा और नंबर वन बना. मेरे माता-पिता ने भी किसी और के कहने पर चोरी-छिपे मेरे शो को देखने का फैसला किया जहां उन्होंने देखा कि मेरे बेटे की परफॉर्मेंस में तालियां बज रही हैं तभी पिता जी का मन परिवर्तन हो गया कि मैं सही था.

जुम्मा जुम्मा गाना बना मेरे करियर के लिए मील का पत्थर

वैसे, तो मैंने अमित जी की आवाज में पहले भी गाने गाए. सबसे पहले फिल्म अजूबा में उनके लिए 2 गाने गए. लेकिन फिल्म  "हम" के गाने जुम्मा जुम्मा के तीस साल होने के बाद भी आज भी मैं कहीं जाता हूूं तो लोग उसी गाने की डिमांड करते हैं और मैं उसी जोश के साथ हर बार उनकी फरमाइश पूरी करता आ रहा हूं. मुझे याद है ये गाना मुंबई के महबूब स्टूडियो में शूट हुआ था वो भी लाइव. अस्सी से ज्यादा म्यूजिशियंस के साथ बहुत अच्छी तहर से शूट हुआ था. अमित जी की इस परफॉर्मेंस ने इस गाने में जान डाल दी. लोग आज भी यकीन नहीं मानते की वो गाना मैंने गया है. लोग आज भी अमित जी को ही इस गाने की बधाई देते हैं. ये बात खुद महानायक ने मुझसे कही.

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जब महानायक अमिताभ बने डिप्रेशन की वजह

जी हां, मैं ये कहना चाहूंगा कि जिस आवाज ने मुझे सबसे ज्यादा पहचान दी और जिस आवाज के सहारे मुझे मेरे टैलेंट को साबित करने का मौका मिला, वही आवाज मेरे लिए डिप्रेशन का सबब भी बनी. मैं कहीं भी जाता था लोग मुझसे सिर्फ अमिताभ की आवाज में ही काम करवाने में ज्यादा जोर देने लगे जबकि मैं और भी आवाजें निकाल सकता था. मुझे रिजेक्शन का सामना करना पड़ा. और मैं अपने करियर को लेकर बहुत चिंता करने लगा. लेकिन फिर भी मैं ये कहना चाहूंगा कि जो मुझे मिला वो मुझे मेरे टैलेंट से ज्यादा मिला. इसके लिए मैं अपने फैंस और ऊपर वाले का शुक्रगुजार हूं.


 

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