प्रार्थना गीत इतनी शक्ति हमें दे ना दाता फेम गीतकार अभिलाष का रविवार 27 सितंबर को निधन हो गया. वे 74 वर्ष के थे. मार्च में उन्होंने पेट के एक ट्यूमर का ऑपरेशन कराया था, तब से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी. रविवार आधी रात गोरेगांव पूर्व के शिव धाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनकी बेटी और दामाद बेंगलुरू में रहते हैं.
पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा कलाश्री अवार्ड से सम्मानित गीतकार अभिलाष का विश्व प्रसिद्ध गीत 'इतनी शक्ति हमें देना दाता' हिंदुस्तान के 600 विद्यालयों में प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है. विश्व की आठ भाषाओं में इस गीत का अनुवाद हो चुका है और इसे वहां भी प्रार्थना गीत के रूप में गाया जाता है. इस गीत के मेल और फीमेल दो संस्करण हैं. एक में सुषमा श्रेष्ठ, पुष्पा पागधरे आदि की आवाज है, दूसरे में घनश्याम वासवानी, अशोक खोसला, शेखर सावकार और मुरलीधर की आवाज है.
संगीतकार कुलदीप सिंह ने इस गीत को एन चंद्रा की फिल्म अंकुश (1985) के लिए संगीतबद्ध किया था. इससे पहले फिल्म 'साथ साथ' में कुलदीप सिंह का संगीत सुपरहिट हो चुका था. वे फिल्म जगत में एक स्ट्रगलर थे. एक दिन वे कुलदीप सिंह के पास गए और बोले- पापा जी, मैंने स्ट्रगल कर रहे कलाकारों की एक टीम बनाई है और उन्हें लेकर एक फिल्म कर रहा हूं. कुलदीप सिंह ने बिना फीस मांगे फिल्म 'अंकुश' का संगीत दिया. गीतकार अभिलाष ने गीत लिखे, फिल्म हिट हुई और इसके संगीत भी हिट हुए.
अभिलाष के लिखे गीत
'इतनी शक्ति हमें देना दाता' गीत के अलावा अभिलाष के लिखे सांझ भई घर आजा (लता), आज की रात न जा (लता), वो जो खत मुहब्बत में (ऊषा), तुम्हारी याद के सागर में (ऊषा), संसार है इक नदिया (मुकेश), तेरे बिन सूना मेरे मन का मंदिर (येसुदास) आदि गीत भी बेहद लोकप्रिय हुए. अभिलाष 40 सालों से फिल्म जगत में सक्रिय थे. गीत के अलावा उन्होंने कई फिल्मों में बतौर पटकथा-संवाद लेखक भी योगदान दिया है. कई टीवी धारावाहिकों की स्क्रिप्ट लिखी है.
इन अवॉर्ड्स से सम्मानित किए जा चुके हैं अभिलाष
संवाद लेखन और गीत लेखन के लिए अभिलाष को सुर आराधना अवार्ड, मातो श्री अवार्ड, सिने गोवर्स अवार्ड, फिल्म गोवर्स अवार्ड, अभिनव शब्द शिल्पी अवार्ड, विक्रम उत्सव सम्मान, हिंदी सेवा सम्मान और दादा साहेब फाल्के अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया है. अदालत, धूप छांव, दुनिया रंग रंगीली, अनुभव, संसार, चित्रहार, रंगोली और ॐ नमो शिवाय जैसे अनेक लोकप्रिय धारावाहिकों में अभिलाष ने अपनी कलम की छाप छोड़ी है. अभिलाष स्क्रीन राइटर एसोसिएशन के ज्वाइंट सेक्रेटरी और आईपीआरएस के डायरेक्टर का पद भी संभाल चुके हैं. साथ ही वे अपने प्रोडक्शन हाउस मंगलाया क्रिएशन के तहत टीवी के लिए कई धारवाहिकों का निर्माण भी कर चुके हैं. हिंदी सिने जगत में रचनात्मक योगदान के लिए गीतकार अभिलाष को गीत गौरव सम्मान से विभूषित किया गया.
'अज़ीज़' के नाम से अभिलाष की नज्म-गजलें प्रकाशित हुई
गीतकार अभिलाष का जन्म 13 मार्च 1946 को दिल्ली में हुआ. दिल्ली में उनके पिता का व्यवसाय था. छात्र जीवन में बारह साल की उम्र में अभिलाष ने कविताएं लिखनी शुरू कर दी थीं. मैट्रिक की पढ़ाई के बाद वे मंच पर भी सक्रिय हो गए. उनका वास्तविक नाम ओम प्रकाश है. उन्होंने अपना तखल्लुख 'अज़ीज़' रख लिया. ओमप्रकाश 'अज़ीज़' के नाम से उनकी गज़लें, नज़्में और कहानियां कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं. 'अज़ीज़' देहलवी नाम से अभिलाष ने मुशायरों में शिरकत की. दिल्ली के एक मुशायरे में साहिर लुधियानवी से 'अज़ीज़' देहलवी ने आशीर्वाद लिया. साहिर साहब को कुछ नज़्में सुनाईं. साहिर ने कहा- मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मैं तुम्हारे मुंह से अपनी नज़्में सुन रहा हूं. ऐसी ग़ज़लें और नज़्में लिखो जिसमें तुम्हारा अपना रंग दिखाई पड़े. साहिर का मशवरा मानकर वे अपने रंग में ढल गए. ओमप्रकाश 'अज़ीज़' सिने जगत में बतौर गीतकार दाखिल हुए तो उन्होंने अपना नाम अभिलाष रख लिया.