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हरियाणवी फिल्म को मिले 3 नेशनल अवॉर्ड, जानें क्या है इसकी कहानी?

पवन मल्होत्रा को जिस फिल्म के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड, क्या है उस 'फौजा' की कहानी? फिल्म ने तीन नेशनल अवॉर्ड अपने नाम किए हैं. ऐसे में हर तरफ इसके चर्चे हो रहे हैं. इस हरियाणवी फिल्म में काम करने को लेकर पवन ने आजतक से बात भी की.

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पवन मल्होत्रा की फिल्म 'फौजा' का पोस्टर
पवन मल्होत्रा की फिल्म 'फौजा' का पोस्टर

70वें नेशनल अवॉर्ड के विनर्स के नामों का ऐलान हो चुका है. इस साल हुई सेरेमनी में एक्टर पवन मल्होत्रा ने बड़ी जीत हासिल की है. लंबे वक्त से एक्टर को इस बात की निराशा थी कि उन्हें अपनी फिल्मों के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने को नहीं मिला है. अब उनकी ये शिकायत दूर हो गई है. पवन ने अपनी हरियाणवी फिल्म 'फौजा' के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड जीत लिया है. इतना ही नहीं, कम बजट की फिल्म 'फौजा' को बनाने के लिए डायरेक्टर प्रमोद कुमार को बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला है. साथ ही फिल्म के गाने 'सलामी' के लिए नौशाद सदर खान को बेस्ट लीरिक्स का नेशनल अवॉर्ड मिला है.

क्या है फौजा की कहानी?

जून 2023 में रिलीज हुई फिल्म 'फौजा' की कहानी एक आम परिवार पर आधारित है, जिसकी हर पीढ़ी का एक सदस्य इंडियन आर्मी में जाता रहा है. फौजा उस शख्स को कहते हैं जो फौज में भर्ती नहीं हो पाया. फिल्म में पवन मल्होत्रा के किरदार के बाप, दादा परदादा और उनके पहले की पुश्तें वतन की रक्षा करते हुए शहीद हो गई है. लेकिन शारीरिक विकलांगता के चलते वो आर्मी में नहीं जा पाए.

ऐसे में पवन मल्होत्रा का किरदार चाहता है कि उनका जवान बेटा इंडियन आर्मी में जाए. इसके लिए वो अपने बेटे को ट्रेन करता है, लेकिन बेटे को अपने पिता के सपने से खास फर्क नहीं पड़ता. वो घर से दौड़ लगाने निकलता है और फिर अपने दोस्त के घर जाकर सोता है. बेटे की हरकतों से निराश होकर पिता खुद ही इंडियन आर्मी में भर्ती होने निकल पड़ता है. जब बेटे को अक्ल आती है तो वो वक्त बर्बाद करने के बजाए फौज में जाने की तैयारी करने लगता है. वहीं गांव में चलने वाली राजनीति के चंगुल में भी वो पड़ता है.

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अवॉर्ड पाकर खुश हैं पवन मल्होत्रा

'फौजा' के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद पवन मल्होत्रा ने इंडिया-टुडे/आजतक से बात की. उन्होंने कहा, 'मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. ये मेरा दूसरा नेशनल अवॉर्ड है. ये फिल्म, इसका विषय मेरे दिल के बहुत करीब है. ये फिल्म भारतीय आर्मी जॉइन करने के बारे में है. मेरे मन में इंडियन आर्मी को लेकर बहुत इज्जत है. मैं हमेशा कहता हूं कि इंडियन आर्मी हमें गर्वित करती है. इस विषय की फिल्म के लिए मुझे अवॉर्ड मिला है, मैं बहुत बहुत खुश हूं.'

पवन से हमने पूछा कि आपको लगता है कि हरियाणवी फिल्मों को इस अवॉर्ड के बाद बढ़ावा मिलेगा. इसपर एक्टर ने कहा, 'मुझे लगता है. हरियाणा के लोगों को हरियाणवी फिल्म देखने के लिए बाहर बुलाना बहुत मुश्किल है. जब फिल्म रिलीज हुई तब स्कूलों में एग्जाम चल रहे थे. हमारी टाइमिंग गलत थी. लेकिन अब इसकी वजह से दूरदर्शन पर ये फिल्म आएगी. बच्चे इसे देख पाएंगे.'

एक्टर ने आगे कहा, 'मैं ईमानदारी से कहूंगा कि मैं कुछ महीने पहले मैं दिल्ली गया था और मैं वॉर मेमोरियल देखने गया था. वहां मैंने सूविनियर्स देखे. मैंने वहां एक घड़ी देखी और मैं सालों से घड़ियां नहीं पहन रहा हूं. आप अगर कीमत की बात करें तो वो घड़ी 1100 रुपये की है. आज के जमाने में कोई 1100 रुपये की घड़ी नहीं पहनता है. खासकर ये एक्टर्स वगैरह. तो मैंने वो घड़ी चुनी क्योंकि लोंगेवाला, जिसपर फिल्म बॉर्डर बनी थी उसपर वो बना हुआ है. तो मेरे लिए वो घड़ी अमूल्य है. मैं हमेशा उसे पहनता हूं और बच्चों को उसे दिखाता हूं. तो मैं बहुत खुश हूं कि मुझे इस फिल्म के लिए अवॉर्ड मिला. इस फिल्म को मैंने इसके सब्जेक्ट के लिए चुना था. और इसके डायरेक्टर प्रमोद कुमार को बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला है.'

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फिल्म 'फौजा' में पवन मल्होत्रा के साथ नीवा मलिक, कार्तिक दम्मू, जोगी मलंग, जाह्नवी सांगवान, संदीप शर्मा संग अन्य ने काम किया है. 

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