सलमान खान की फिल्म किसी का भाई किसी की जान से अपना फिल्मी डेब्यू करने जा रहीं पलक तिवारी इसे अपना ड्रीम डेब्यू मानती हैं. श्वेता तिवारी की बेटी पलक के लिए शोबीज की एंट्री कितनी मुश्किल या आसान रही, खुद बता रही हैं.
अभी फैन कोई नहीं बना है
पलक के एक्ट्रेस बनने के पहले ही सोशल मीडिया पर उनके लाखों फॉलोअर्स बन चुके हैं. बड़ी फैन फॉलोइंग का होना, डेब्यू में कितना मददगार है. इसके जवाब में पलक कहती हैं, मैं नहीं कहूंगी कि मेरे अभी तक कोई फैंस बने हैं. हां, वो मुझे जानते हैं, फॉलो करते हैं. फैन तब बनेंगे, जब मुझे एक्टर के रूप में पहचानेंगे. थोड़ा इस फिल्म में और आगे आने वाले कामों में वो मेरे काम को समझेंगे. हां, फॉलोअर्स के होने के फायदे यह हैं कि डेब्यू के दौरान वो आपकी शक्ल को याद रखते हैं. लेकिन आखिरकार वही होता है, जो स्क्रीन पर दिखता है. मैं प्रेशर तो जरूर महसूस करती हूं क्योंकि इतने सारे फॉलोअर्स की उम्मीदें मुझसे जुड़ी हैं. हालांकि इनसे ज्यादा मैं मम्मी की एक्सपेक्टेशन को लेकर टेंशन में हूं, उनको लेकर यही सोचती रहती हूं कि कैसे अपने काम से उन्हें गर्व महसूस करवा सकूं.
मां से तुलना कर उनकी इंसल्ट सही नहीं
मां श्वेता तिवारी से तुलना को लेकर पलक कितनी तैयार हैं. इसके जवाब में कहती हैं, मैं मानती हूं कि कंपीटिशन और कंपेरिजन तब ही होता है, जब आप उसे कंसीडर करते हो. मुझे यह भी बहुत सही नहीं लगता है. चूंकि हम दोनों पब्लिक की नजरों में हैं इसलिए तुलना हो रही है, वर्ना वो हाउस वाइफ होतीं, तो कोई पूछने नहीं आता. आजतक कौन सी मां को लगता है कि मेरी बेटी मेरी कंपीटिशन हैं या बेटी अपनी मां से कंपीट करे. यह सुनने में काफी फनी लगता है. मेरे दिमाग में तो यह है कि मेरी मां से बेस्ट कोई हो ही नहीं सकता. मुझे मेरी मम्मी से कंपेयर कर रहे हैं, तो मेरे लिए बहुत बड़ा कॉम्पीलिमेंट है लेकिन उनके लिए यह बड़े इंसल्ट की बात होगी.
श्वेता तिवारी की बेटी होने का मिला ये फायदा
श्वेता की बेटी होने का कितना फायदा मिला है. इसके जवाब में पलक कहती हैं, मैं यह नहीं बोलूंगी कि मेरी मां के नाम ने मेरी मदद नहीं की है. लोग कंफ्यूज्ड हैं, मैं खुद कंफ्यूज्ड हूं कि मैं नेपोटिज्म किड हूं भी या नहीं. हो सकता है कि मैं कोई हाइब्रिड नेपोटिज्म वाली प्रोडक्ट हूं. मैं आउटसाइडर तो बिलकुल भी नहीं हूं. मैंने बहुत कुछ सेट पर रहकर सीखा है. हालांकि वो फिल्मों के सेट्स नहीं होकर टीवी सीरीयल्स के सेट रहे हैं. लोग मुझे पहले से जानते हैं. मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट यही रहा है कि मेरी मां ने अपने काम की वजह से बहुत प्यार कमाया है. उनकी पूरी शोहरत प्यार में हैं. बस वही प्यार मुझे ट्रांसफर हो जाए. आज भी लोग मुझसे श्वेता की बेटी समझकर प्यार से मिलते हैं. यही मेरा सबसे बड़ा प्रीविलेज है. सच बताऊं, तो मां के नाम की वजह से अभी तक कोई फिल्म ऑफर नहीं हुई है. मैं चाहती भी नहीं, वर्ना मेरी प्राउड क्यों होंगी.
एसी कार में बैठकर ऑडिशन देने जाती थी
ऑडिशन के दौरान किस तरह की मुश्किलें झेलनी पड़ती थीं. पलक कहती हैं, अरे बहुत मुश्किल प्रोसेस रहा है. मैं जब 17 साल की थी, तो मीठीबाई कॉलेज में पढ़ती थी. वहां से ऑडिशन के लिए आराम नगर जाया करती थी. मैं क्लास बंक करके वहां ऑडिशन सेट पहुंच जाया करती थी. एक सेट से दूसरे सेट घूमा करती थी. मैंने ऑडिशन तो बहुत किया है, लोग बहुत ब्रूटल भी रहे हैं, कई रिजेक्शन भी झेले हैं. लेकिन फिर भी मेरे पास एसी वाली कार थी, जहां से मैं ऑडिशन दिया करती थी. उसी कार से घर जाती थी, जिसका मुझे रेंट नहीं भरना पड़ता है. मेरे पास कोई प्रेशर नहीं था कि मैं मजबूरी में काम करूं क्योंकि मेरी मम्मी कमा रही थी. ये सारे प्रीविलेज्ड हैं, जिसे मैं समझती हूं.