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'मंटो' के रोल के लिए नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने ली थी सिर्फ 1 रुपए की फीस, ये थी खास वजह

नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने रुपहले पर्दे पर मंटो का किरदार इतनी खूबसूरती से निभाया कि कहीं से भी लगा ही नहीं कि वो कोई और है. हर तरफ नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अभिनय की तारीफ हुई. मगर अपने इस चैलेंजिंग रोल के लिए उन्होंने सिर्फ 1 रुपए फीस ली.

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नवाजुद्दीन सिद्दीकी
नवाजुद्दीन सिद्दीकी

अपने लेखन की बेबाकी के लिए मशहूर सआदत हसन मंटो को गुजरे हुए लंबा वक्त बीत गया. मगर उनके लेखन से प्रभावित होने वाले लोगों की आज भी कमी नहीं है. इन्हीं में से एक नाम उस शख्स का भी है जिसने रुपहले पर्दे पर मंटो का किरदार इतनी खूबसूरती से निभाया कि कहीं से भी लगा ही नहीं कि वो कोई और है. हर तरफ नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अभिनय की तारीफ हुई. मगर अपने इस चैलेंजिंग रोल के लिए उन्होंने सिर्फ 1 रुपए फीस ली. आइए सआदत हासन मंटो की पुण्यत‍ि‍थ‍ि के मौके पर जानते हैं फिल्म से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में. 

साल 2018 में सआदत हसन मंटो पर फिल्म बनकर आई थी. इस फिल्म को नंदिता दास ने मंटो को ट्रिब्यूट के तौर पर बनाया था. फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने मंटो का रोल प्ले किया था. काफी विचार-विमर्श के बाद नवाजुद्दीन ने इस रोल को करने के लिए हां बोली. वे ये सुनिश्चित कर लेना चाहते थे कि वे ऑनस्क्रीन मंटो के रोल के साथ इंसाफ कर सकते हैं या नहीं. मगर मेकर्स को नवाजुद्दीन पर पूरा भरोसा था और नवाजुद्दीन ने किसी को भी निराश नहीं किया. उनके शानदार अभिनय में मंटो की वो हर बारीकियां दिखीं जिससे लोग रिलेट कर पाए और देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में उनके अभिनय की तारीफ की गई.

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ली सिर्फ एक रुपए फीस-

नवाजुद्दीन सिद्दीकी को जब नंदिता दास ने स्क्रिप्ट पढ़ाई तो उन्हें लगा कि जो विचार मंटो के हैं वही तो उनके खुद के विचार भी हैं. दोनों के विचार आपस में मेल खाते हैं. इसलिए अपने प्रति ईमानदार होते हुए उन्होंने फिल्म में काम करने के लिए सिर्फ एक रुपए लिए. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात कही थी. उन्होंने कहा था कि जब कोई चीज आपसे जुड़ी हो और आप उसके साथ एक अलग प्रकार का जुड़ाव महसूस कर रहे हों उस दौरान पैसे की बात करना बेईमानी मालूम होती है. इसलिए उन्होंने फीस के तौर पर सिर्फ 1 रुपए लिए. 

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अपने समय के सबसे कंट्रोवर्सियल राइटर थे नवाज- 

बता दें कि सआदत हसन मंटो अपने समय के सबसे कंट्रोवर्सियल राइटर्स में से एक रहे. उन्होंने कई सारे ऐसे मुद्दों पर जोर दिया जिस पर समाज की नजर कम ही जाती है और जिसके हक में लोग कम ही आवाज उठाते नजर आते हैं. उन्होंने महिलाओं के हक में बात की. वे उन वैश्याओं की आवाज बने जिनकी सुनने वाला कोई नहीं था. उनकी लेखनी में जो हमदर्दी नजर आती है उससे आने वाली पीढ़ियों ने इत्तेफाक रखा और सआदत हसन बन गए नई पीढ़ी के फेवरेट में से एक. 11 मई , 1912 को मंटो का जन्म हुआ था. पार्टिशन के बाद वे पाकिस्तान चले गए. 18 जनवरी, 1955 को उनका निधन हो गया. 

 

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