गुल पनाग जल्द ही वेब सीरीज गुड बैड गर्ल में एक वकील का किरदार निभाती नजर आने वाली हैं. फिल्म को लेकर गुल एक्साइटेड इसलिए भी हैं कि हाल ही में उन्होंने अपनी वकालत पूरी की है, ऐसे में डिग्री लेने के बाद गुल अब स्क्रीन में ही सही लेकिन कोर्ट रूम ड्रामा को साकार करतीं नजर आएंगी. सीरीज, अपने किरदार और निजी जिंदगी को लेकर गुल हमसे ढेर सारी बातचीत करती हैं.
गुल के नजरिये में गुड और बैड गर्ल की क्या परिभाषा है इस पर गुल कहती हैं, अच्छा और बुरा तो हर कोई होता है, यह सबकुछ परिस्थिति पर निर्भर करता है. मुझे लगता है कि महिलाओं के प्रति जो लोगों का नजरिया होता है और उस नजरिये से अपनी राय बनाते हैं, हमें तो ऐसे लोगों पर ध्यान ही नहीं देना चाहिए. हम उन्हें बिना वजह अटेंशन देकर महत्वपूर्ण बना देते हैं. जिसका खामियाजा हमें ही आगे चलकर भुगतना पड़ता है.
गुड बैड गर्ल से जुड़ने पर गुल कहती हैं, मैंने जून में अपनी एलएलबी खत्म की है. यह महज संयोग की बात है कि मुझे एक वकील के किरदार का ऑफर मिल गया. मैंने जब स्क्रिप्ट भी देखा, तो मुझे स्टोरी लाइन थोड़ी यूनिक सी लगी. मुझे लगता है कि मैं खुशनसीब हूं कि इस तरह के प्रोजेक्ट से जुड़ने का मौका मिला है. खुद को गुड या बैड किस कैटेगरी में फिट करती हैं, इसके जवाब में कहती हैं, मैं तो कहूंगी कि मैं मीडियम टाइप की हूं. मैं बहुत शांत स्वाभाव की हूं. पब्लिक में जल्दी इरीटेट नहीं होती हूं.
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एक एक्ट्रेस के साथ-साथ गुल ने अपनी निजी जिंदगी में फ्लाइट ट्रेनिंग, वकालत, पॉलिटिक्स आदि कई चीजों में इनवॉल्व रही हैं. इस पर गुल कहती हैं, मैं हमेशा से गोल ओरियेंटेड इंसान रही हूं. मुझे हर कदम पर लक्ष्य तय करना अच्छा लगता है. फिल्म इंडस्ट्री तो मेरा काम है, लेकिन इसके जरिये जो मुझे इतने सारे मौके मिलते रहे हैं, मैं वो सबकुछ कर लेना चाहती हूं. अभी तो शुरूआत ही है, आगे-आगे मैं लोगों को सरप्राइज करती रहूंगी. जब आप लक्ष्य को पूरा कर लेते हैं, तो एक अजब सा सुकून मिलता है. वो फीलिंग मेरे लिए ड्रग की तरह है. इसलिए मैं खुद के लिए नई-नई चुनौतियों को तैयार करती जाती हूं. मैं मानती हूं कि मुझमें इतनी शक्ति है कि मैं कुछ भी कर सकती हूं. अमूमन लोग 30 से 40 की उम्र में अपने उस एहसास को खो देते हैं. उनमें आग नहीं बचती है. मुझे लगता है कि हमें ऐसा नहीं करना चाहिए.
फैमिली के सपोर्ट पर गुल कहती हैं, मुझे बचपन से ही परिवार वालों का सपोर्ट मिलता रहा है. मैंने 20 के दशक में जो कुछ भी हासिल किया है, वो सारा क्रेडिट पैरेंट्स को जाता है. फिर एक बार पापा ने कहा कि तुम बाइक क्यों चला रही हो? फ्लाइट शुरू किया, तो कहा कि ये करने की क्या जरूरत है? मैंने कभी उनको इस क्यों और क्या का जवाब नहीं दिया. एक इंसान, जिसने मेरी जिंदगी को शेप किया है, वो इंसान है जिससे मैंने शादी की. मेरी 20 के बाद जो कुछ भी अचीव किया है, मेरे हसबैंड का बहुत बड़ा सपोर्ट रहा है. उसने हमेशा से मुझे इनकरेज ही किया है. एक जगह मुझे सवाल पूछे गए और दूसरी जगह मुझे इनकरेजमेंट मिली है. देखें, पैरेंट्स को लगता है कि उनको आपको हर चीज के लिए परमिशन देनी है. वहीं लाइफपार्टनर होने का प्रीवलेज्ड होता है कि वो आपके डिसीजन को रिस्पेक्ट करते हैं. मैं अपने सपनों को लेकर हमेशा से वोकल रही हूं.
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इंडस्ट्री में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर गुल कहती हैं, हाल ही की बात है, मैं एक बहुत बड़े एक्टर के साथ प्रोजेक्ट पर काम कर रही हूं. जब पैसे की बात हो रही थी. मेरे मैनेजर ने फीस बताई, तो प्रोड्यूसर ने आंखें चढ़ाते हुए कहा कि इतने पैसे, हमने तो सारे पैसे एक्टर को दे दिए हैं. मेरे मैनेजर ने साफ कह दिया कि अगर आपका सारा बजट एक्टर के लिए ही था, तो फिर हमारे पास क्यों आए हो. ये अक्सर होता रहा है. कई बार मैनेजर मेरे पास ये बात तक लाते नहीं हैं. वो हमेशा कहते हैं कि अगर लेडी है, तो इसलिए आप फीस कम दे रहे हो, तो यह गलत बात है. हमें तो इससे लड़ना ही है.
पॉलिटिक्स जॉइन के बाद वो किस मुद्दे पर काम करना चाहती हैं. इसके जवाब में गुल कहती हैं, हमें अपने समाज में जेंडर न्यूट्रलिटी पर जोर देने की जरूरत है. वूमन इंपॉवरमेंट की बात करते हैं, लेकिन इसमें भी इश्यूज हैं. यहां महिलाएं कहती हैं कि जो हम कमाती हैं, वो हमारी पॉकेटमनी है और जो लड़का कमाता है, वो भी हमारा है. देखें, पुरुषप्रधान सोच का शिकार तो पुरूष भी हैं हीं न. खरीद चलाना और घर खरीदना सब लड़का करेगा और मैडम जो कमा रही हैं, वो पॉकेटमनी है. ये किस तरह की बराबरी है. एक दूसरे को सपोर्ट करो. अब ये बोझ तो उनका भी कम हो, ये मर्दों के लिए भी आवश्यक है कि पुरुष प्रधान सोच खत्म हो.
अपने ड्रीम प्रोजेक्ट पर गुल कहती हैं, मैं हमेशा से पुलिस ऑफिसर का किरदार करने की ख्वाहिश करती आई हूं. इसके अलावा मैं प्रॉपर कोर्ट रूम ड्रामा भी करना चाहती हूं.