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कौन कमबख्त बर्दाश्त करने को पीता है... दिलीप कुमार के आइकॉनिक डायलॉग्स

बॉलीवुड के ट्रेजेडी किंग अब इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं. 98 की उम्र के दिलीप कुमार ने हिंदूजा अस्पताल में बुधवार की सुबह आखिरी सांस ली. फिल्मों में दिलीप अपनी संजीदा अदायगी के लिए पहचाने जाते रहे हैं. उनके द्वारा कहे गए कई डाइलॉग्स अब आइकॉनिक बन चुके हैं. पेश है दिलीप साहब के कुछ फेमस डायलॉग..

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स्टोरी हाइलाइट्स
  • दिलीप कुमार के दस आइकॉनिक डायलॉग
  • ट्रेजेडी किंग के इन डायलॉग्स को आप भूल नहीं पाएंगे

ट्रैजिडी किंग के नाम से मशहूर दिलीप कुमार की तरह ही फिल्मों में बोले गए उनके डायलॉग्स भी आइकॉनिक बन गए. मुगल ऐ आजम का सलीम हो या फिर सौदागर का वीर सिंह दिलीप साहब की दमदार पर्सनैलिटी को ध्यान में रखकर डायलॉग लिखना राइटर्स के पसीने छुड़ा देता था. हम आपसे शेयर कर रहे हैं इस लिजेंड्री स्टार के कुछ ऐसे ही डायलॉग्स जिसकी गूंज आज भी बॉलीवुड के गलियारों में हैं.

1. मजदूर : साहब मैंने अपने हाथों की मेहनत बेची है. 


2. फुटपाथ : इस फिल्म का हर एक डायलॉग आज के कोरोना दौर में सच साबित होता नजर आ रहा है. 


3. देवदास : कौन कंबख्त है जो बर्दाश्त करने के लिए पीता है, मैं तो पीता हूं ताकि सांस ले सकूं.


4. मुगल ऐ आजम:  मोहब्बत जो डरती हो, वो मोहब्बत नहीं अय्याशी है, गुनाह है..


5. नया दौर: जब अमीर का दिल खराब होता है न.. तो गरीब का दिमाग खराब हो जाता है.


6. विधाता : बड़ा आदमी बनना हो, तो छोटी हरकतें कभी मत करना.


7. सौदागर : हक हमेशा सिर झुका कर नहीं बल्कि सिर उठाकर मांगा जाता है.


8. मशाल : हालात, किस्मतें, इंसान और जिंदगी.. वक्त के साथ-साथ सबकुछ बदल जाता है.


9. शक्ति : जो लोग सच्चाई की तरफदारी की कसम खाते हैं, जिंदगी उनके बड़े कठिन इम्तिहान लेती है.

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10.क्रांति : कुल्हाड़ी में अगर लकड़ी का दस्ता न होता, तो लकड़ी काटने का रास्ता न होता

 

 

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