scorecardresearch
 

अमेठी की चुनावी जंग में इस बार आमने-सामने दो रानियां

अमिता तीन बार अमेठी से विधायक रह चुकी हैं लेकिन इस बार मामला अलग है क्योंकि उनका मुकाबला किसी और से नहीं बल्कि महल की ही दूसरी रानी से है.

Advertisement
X
अमेठी के चुनावी मैदान में अमिता सिंह और गरिमा सिंह आमने-सामने
अमेठी के चुनावी मैदान में अमिता सिंह और गरिमा सिंह आमने-सामने

गांधी परिवार के गढ़ अमेठी में इस बार एक ही राजघराने की दो रानियों के बीच सियासी जंग छिड़ी है. एक ओर कांग्रेस नेता संजय सिंह की पत्नी गरिमा सिंह को बीजेपी ने टिकट दिया है तो वहीं सिंह की दूसरी पत्नी अमिता सिंह चुनाव लड़ने पर अड़ी हैं. हालांकि कांग्रेस ने उन्हें टिकट देने पर अब तक हामी नहीं भरी है. खास बात ये है कि राज परिवार की ये बहुएं कम ही जनता के बीच निकलती हैं.

पुरानी है रानियों की रंजिश
अमिता सिंह से संजय सिंह की शादी 1995 में हुई थी. बाद में संजय सिंह ने गरिमा सिंह से शादी की तो अमिता ने अमेठी का महल छोड़ दिया. 2014 में वो जायदाद की जंग में शामिल होने के लिए महल लौटीं तो अमिता सिंह और गरिमा सिंह के समर्थकों के बीच जमकर टकराव हुआ. इस संघर्ष में एक पुलिसवाले को भी जान गंवानी पड़ी थी.

Advertisement

उसके बाद से गरिमा और अमिता दोनों इसी महल के अलग-अलग हिस्से में रहती हैं. लेकिन दोनों के बीच छत्तीस का आंकड़ा है और उनका कभी आमना-सामना भी नहीं होता. इसलिए अमेठी में चुनाव सिर्फ विधायक चुनने के लिए नहीं बल्कि इस बात के लिए भी है की अमेठी के लोग इस राजघराने की किस रानी को असली मानते हैं और किसको नकली.

बच्चों के हाथ में प्रचार की कमान
गरिमा सिंह के चुनाव प्रचार का जिम्मा उनके बेटे अनंत विक्रम सिंह और उनकी बेटी महिमा सिंह संभाल रही हैं. महिमा सिंह अमेरिका में रहती हैं और अपनी मां के चुनाव प्रचार के लिए खास तौर पर अमेठी में डटी हुई हैं. गरिमा खुद यह मानती हैं कि वो कभी अमेठी से बाहर नहीं निकलीं. लेकिन उनका दावा है कि जनता उनके साथ है.

अमिता सिंह के अपने दावे
दूसरी तरफ, टिकट नहीं मिलने के बावजूद अमिता सिंह अपना चुनावी दफ्तर बना कर तैयार कर चुकी हैं और लगातार लोगों से मिलकर यह कह रही हैं कि वह चुनाव हर हालत में लड़ेंगी. अमिता तीन बार अमेठी से विधायक रह चुकी हैं लेकिन इस बार मामला अलग है क्योंकि उनका मुकाबला किसी और से नहीं बल्कि महल की ही दूसरी रानी से है. असली और नकली रानी के सवाल पर अमिता कहती हैं कि देश बांटने वाली बीजेपी ने अब परिवार बांटने वाली चाल चली है.

Advertisement

क्या प्रजापति मारेंगे बाजी?
अमेठी के इस सबसे रोमांचक मुकाबले में लोगों की दिलचस्पी इस बात में भी है कि कहीं दोनों रानियों की जंग में गायत्री प्रजापति फिर से बाजी न मार ले जाएं. वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं. प्रजापति अखिलेश यादव सरकार के सबसे विवादों में रहने वाले मंत्री रहे. समाजवादी पार्टी से गठबंधन होने के बाद कांग्रेस ने यह सीट हासिल करने की काफी कोशिश की लेकिन मुलायम सिंह के खास होने की वजह से गायत्री प्रजापति का टिकट बरकरार है.


Advertisement
Advertisement