अल्पसंख्यकों की सबसे बड़ी हितैषी होने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने मुस्लिम वोटों को एकजुट करने के लिए ही आजमगढ़ से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. लेकिन इसके ठीक उलट पूर्वांचल की किसी भी सीट से सपा ने अल्पसंख्यक प्रत्याशी को नहीं उतारा है. एसपी ने गोरखपुर से फैजाबाद तक की 16 सीटों पर भी किसी को टिकट नहीं दिया है, जहां अल्पसंख्यकों की संख्या निर्णायक साबित हो सकती है.
पहले एसपी ने संतकबीरनगर से पूर्व विधायक अब्दुल कलाम को उम्मीदवार घोषित किया था लेकिन अचानक उनकी जगह पूर्व सांसद भालचंद यादव को टिकट दे दिया गया. वह पिछला चुनाव सपा से ही लड़कर तीसरे स्थान पर रहे थे. ऐसा भी नहीं कि अब्दुल कलाम की जगह लेने वाला कोई मुस्लिम चेहरा नहीं था. वहां से दो और अल्पसंख्यक नेता भी एसपी टिकट के दावेदार थे. इनमें शामिल लाल अमीन खान और डा. मोहसिन खान को तो लालबत्ती देकर खुश कर करने की भी कोशिश की गई. लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज लाल अमीन ने बीएसपी का दामन थाम लिया.
डुमरियागंज में भी अल्पसंख्यकों की भारी तादाद है. यहां से उत्तरप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को टिकट दिया गया है. पिछले चुनाव में इन्हें भी तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा था. प्रदेश सरकार के मंत्री राजकिशोर सिंह के भाई बस्ती सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली बार राज किशोर खुद प्रत्याशी थे और हार गए थे. कुशीनगर में इस बार ब्रह्माशंकर की जगह विधायक राधेश्याम सिंह को मैदान में लाया गया है, जबकि देवरिया में बालेश्वर यादव और मऊ सीट से राजीव राय को टिकट मिला है.
उधर, बीएसपी ने हर मंडल से एक मुस्लिम प्रत्याशी को टिकट देकर खुद को अल्पसंख्यकों का मसीहा साबित करने की कोशिश की है. देवरिया से नियाज खान को प्रत्याशी बनाया गया है. आजमगढ़ से शाहआलम मैदान में हैं. सपा मुखिया के वहां से चुनाव लडऩे की घोषणा के बाद भी बीएसपी सुप्रीमो ने प्रत्याशी नहीं बदला. डुमरियागंज से मो. मुकीम उसके प्रत्याशी हैं, जबकि गोंडा सीट पर पूर्व सांसद अकबर अहमद डंपी को टिकट दिया है.
एसपी ने पिछले चुनाव में भी पूर्वांचल की किसी सीट पर मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था.