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सुल्तानपुर से दो वरुण गांधी, बठिंडा से दो मनप्रीत बादल लड़ रहे हैं चुनाव

नाव जीतने के लिए नेता गण तमाम सियासी तिकड़में अपनाते हैं. इनमें से एक है विरोधी उम्मीदवार के हमनाम शख्स को चुनाव मैदान में खड़ा करना. इस चुनाव में भी कई सीटों पर ऐसी ही चालबाजी की गई है.

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varun Gandhi
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नाव जीतने के लिए नेता गण तमाम सियासी तिकड़में अपनाते हैं. इनमें से एक है विरोधी उम्मीदवार के हमनाम शख्स को चुनाव मैदान में खड़ा करना. इस चुनाव में भी कई सीटों पर ऐसी ही चालबाजी की गई है.

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से चुनाव लड़ने वाले बीजेपी नेता वरुण गांधी, इकलौते वरुण गांधी नहीं हैं. यहां से उन्हीं का हमनाम उम्मीदवार भी चुनावी मैदान में है. पांचवें चरण में नामांकन के अंतिम दिन इस वरुण गांधी ने भी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार नामांकन दाखिल किया है. दिलचस्प बात यह है कि वह हरियाणा के रेवाड़ी जिले स्थित शक्तिनगर के रहने वाले हैं और मूल रूप से व्यवसायी हैं.

उनकी उम्मीदवारी ने सुल्तानपुर में तरह-तरह की चर्चाओं को जन्म दे दिया है. बीजेपी समर्थक इसे विपक्षी दलों की साजिश बता रहे हैं. उनका कहना है कि नए वरुण गांधी को खड़ा करके बीजेपी प्रत्याशी के वोटों को बांटने की साजिश की जा रही है. वरना उनका हरियाणा से सुल्तानपुर आकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का क्या मतलब है.

पतंग के निशान पर लड़ रहा दूसरा मनप्रीत बादल
यही हाल है पंजाब की बठिंडा संसदीय सीट पर. यहां से पीपीपी-सीपीआई और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के भतीजे मनप्रीत बादल चुनाव लड़ रहे हैं. उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उनकी भाभी यानी सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर खड़ी हुई हैं. लेकिन इस मुकाबले में एक और मनप्रीत सिंह बादल है जिसने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरा है.

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दिलचस्प बात यह है कि नया मनप्रीत बादल चुनाव आयोग से 'पतंग' का निशान हासिल करने में कामयाब रहा. इससे पहले 2012 में पतंग के निशान पर ही मनप्रीत की पार्टी पीपीपी को मिला था. लेकिन पर्चा भरने के बाद इस नए मनप्रीत बादल का कुछ अता-पता नहीं है.

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