दिल्ली विधानसभा के चुनाव में छुपा रुस्तम साबित हुई आम आदमी पार्टी (आप) आम चुनाव में कुछ खास नहीं कर पाई. केवल पंजाब से पार्टी को चार सीटें मिल पाई हैं, जहां उसके बेहतर प्रदर्शन के अनुमान पहले से ही लगाए जा जा रहे थे. पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 440 प्रत्याशी उतारे थे.
पार्टी को हालांकि अनुमान के अनुसार परिणाम नहीं मिल पाया और सबसे खराब बात यह रही कि जिस दिल्ली में उसकी 49 दिनों तक अल्पमत की सरकार रही वहां उसका एक भी प्रत्याशी नहीं जीत सका. विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 70 सदस्यों वाली विधानसभा की 28 सीटें जीती थीं, वहीं मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी पराजय का दंश झेलना पड़ा था.
दिल्ली में इस तरह का निराशाजनक प्रदर्शन पार्टी के लिए शुभ संकेत नहीं है, लेकिन उसके लिए संतोष की बात यही है कि उसके प्रत्याशी सभी सीटों पर दूसरे नंबर पर रहे हैं. आप के एक नेता ने अपना नाम जाहिर नहीं होने देने की शर्त पर बताया, ‘दिल्ली का परिणाम वास्तव में निराश करने वाला है. लेकिन पंजाब को देखिए, हम दिल्ली में फिर धमाकेदार वापसी कर सकते हैं.’
आप के नेता और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी दिल्ली के परिणाम को निराशाजनक कहा है. केजरीवाल वाराणसी में मोदी के हाथों पराजित हुए हैं. पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा, ‘लेकिन हम सभी सातों सीटों पर दूसरे स्थान पर रहे हैं.’
पार्टी के लिए दूसरा निराशाजनक बेंगलुरू साबित हुआ है. पार्टी को कर्नाटक से बहुत उम्मीद थी. आप के प्रदर्शन के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार केजरीवाल का अचानक इस्तीफा देना रहा. इसी मुद्दे को विपक्ष ने खूब प्रचारित किया.
आप के एक नेता ने कहा, ‘हम दीर्घावधि की राजनीति करते हैं. सीटें बहुत ज्यादा अहमियत नहीं रखती हैं.’ आप नेता योगेंद्र यादव ने कहा, ‘हम अपनी गलतियों से सीखेंगे. हमने सरकार छोड़ने में हड़बड़ी में फैसला लेकर गलती की. हम इस पर मंथन करेंगे.’